धर्म के आधार पर आरक्षण कितना सही ?

1947 के बंटवारे के बाद भी देश बंटता ही जा रहा है…कभी भाषा के नाम पर …कभी जाति के नाम पर तो कभी धर्म के नाम पर….देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा था कि इस देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है…और ये अब सामने दिख रहा है….कांग्रेस पार्टी की सोच का एक सटीक उदाहरण कर्नाटक में देखने को मिल रहा है….एक फैसले से ये तय हो गया है कि कांग्रेस सिर्फ और सिर्फ मुसलमानों के लिए ही काम करती है वरना ऐसा बेहूदा फैसला न लेती….अब सवाल ये उठता है कि क्या वाकई कांग्रेस को बाकी लोगों की चिंता नहीं है…क्या मुसलमानों के अळावा किसी और के वोट उसे नहीं चाहिए ….हद होती है तुष्टीकरण की ..ये तुष्टीकरण ही तो है…..जिसका नाजायज फायदा देश के मुसलमानों को दिया जा रहा है बाकी लोगों को छोड़कर….कर्नाटक की कांग्रेस सरकार इतनी अंधी हो चुकी है कि अब सरकारी ठेकों में आरक्षण का दायरा बढ़ाकर मुसलमानों को 4 फीसदी का आरक्षण दे रही है…. एससी-एसटी, ओबीसी और महिलाओं के बाद अब कर्नाटक के सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को भी आरक्षण दिया गया है… सीएम सिद्धारमैया की अध्यक्षता वाली कैबिनेट बैठक में कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योर्मेंट (KTPP) एक्ट में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है… इस एक्ट को इसी सत्र में पेश किया जाएगा… विधानसभा में बिल पारित होने के बाद कर्नाटक के सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को 4 फीसदी आरक्षण मिलेगा…ये पहला मौका है जब देश में धर्म देखकर आरक्षण दिया जा रहा है…कर्नाटक सरकार के इस फैसले को बीजेपी ने संविधान विरोधी बताया है……सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा, सरकारी ठेकों में आरक्षण असंवैधानिक है……सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर तो आरक्षण दिया जा सकता है, लेकिन धार्मिक आधार पर आरक्षण देना मंजूर नहीं है… और बीजेपी इसका पुराजोर विरोध करती है… बीजेपी ने इसे कांग्रेस की तुष्टीकरण नीति बताया है…. कहा, सिद्धारमैया सरकार मुस्लिम आरक्षण के जरिए SC-ST और OBC को अब कमजोर कर रही है… ये एक तरह की साजिश है …पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भी 9 दिसंबर 2006 को कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यक, आदिवासियों, महिलाओं और पिछड़ों का होना चाहिए…मुलमानों को आरक्षण ये कहकर दिया जा रहा है कि उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए दिया जा रहा है….अभी तक नौकरी में आरक्षण दिया जा रहा था अब सरकारी ठेकों में देश के कई राज्यों में मुसलमानों की संख्या अच्छी खासी है अब वहां की सरकारें भी ऐसे निर्णय लेकर तुष्टीकरण की राजनीति करेंगीं….ये बात छोटी नहीं है इसका व्यापक असर देशभर में देखने को मिलेगा….मुस्लिम आरक्षण पर सियासी बवाल जरूर देखने को मिलेगा…और सिदेधारमैया का ये फैसला किस हद तक सही है…. धर्म के आधार पर आरक्षण सही है इसका जवाब जनता को सोचने पर मजबूर कर देगी…

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