इजरायल-हिजबुल्लाह संघर्ष: आयरन डोम की नाकामी से बढ़ा तनाव

मध्य-पूर्व में हालिया संघर्ष ने इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच पहले से ही बढ़ते तनाव को एक नया मोड़ दे दिया है। हिजबुल्लाह के हमले में इजरायल की अत्याधुनिक रक्षा प्रणाली आयरन डोम को एक बड़ी चुनौती मिली। आयरन डोम, जो अब तक कई हमलों को निष्फल करने में सफल रहा है, इस बार कमजोर पड़ गया, जिससे हाइफा समेत कई शहरों में भारी संकट उत्पन्न हुआ।

आयरन डोम की प्रणाली और उसकी कमियां

आयरन डोम को इजरायल ने 2011 में सक्रिय किया था। यह मिसाइल डिफेंस सिस्टम राडार तकनीक से हमले का पता लगाकर, मिसाइल को बीच में ही नष्ट करने के लिए जाना जाता है। हालांकि हाल के हमलों से पता चलता है कि यह प्रणाली अब पूरी तरह से अजेय नहीं रही है। विशेषज्ञ बताते हैं कि सिस्टम की बैटरियां कमजोर हो चुकी हैं, और इसके ऑपरेशन में भी कुछ तकनीकी समस्याएं हैं। साथ ही, हिजबुल्लाह द्वारा विकसित किए गए नए किस्म के हथियारों के कारण यह और भी असफल हो गया है।

हिजबुल्लाह की ताकत और रणनीति

लेबनानी संगठन हिजबुल्लाह, जिसे ईरान का सहयोग प्राप्त है, ने अपनी सैन्य क्षमता में भारी वृद्धि की है। उसके पास लगभग 1.5 लाख मिसाइलें हैं, जिनमें से कई ऐसे हैं जो राडार सिस्टम को भ्रमित कर सकते हैं। हिजबुल्लाह की नई रणनीति में इलेक्ट्रॉनिक जामिंग और ड्रोन का प्रभावी उपयोग शामिल है, जिससे आयरन डोम को बुरी तरह प्रभावित किया जा रहा है। इन मिसाइलों का प्रमुख लक्ष्य इजरायल के महत्वपूर्ण शहरी केंद्रों को भेदना है, जिससे देश में अस्थिरता बढ़ रही है।

हाइफा और प्रभावित क्षेत्र

हिजबुल्लाह के हालिया हमले में हाइफा सबसे अधिक प्रभावित रहा। मिसाइलों की बौछार से इस क्षेत्र में तबाही मच गई, जिससे लोग अपने घरों में छुपने को मजबूर हो गए। पूरे शहर में आपातकालीन सेवाएं सक्रिय कर दी गईं, और इजरायली सेना ने स्थिति पर नियंत्रण पाने की कोशिश की। कई बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ है, और सरकारी अधिकारियों ने जनता को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं।

इजरायल की भविष्य की रणनीति

इजरायल के रक्षा विशेषज्ञ अब आयरन डोम को और मजबूत करने के तरीकों पर विचार कर रहे हैं। सरकार ऐसे विकल्पों की खोज में है, जो आधुनिक मिसाइल और ड्रोन तकनीक का सामना कर सकें। इसके लिए अमेरिका और अन्य मित्र देशों के सहयोग से नई प्रणालियों के विकास पर चर्चा चल रही है। इसके अलावा, कूटनीतिक प्रयासों से भी संघर्ष को टालने की कोशिशें की जा रही हैं, ताकि क्षेत्रीय शांति बनी रहे।

बढ़ता तनाव और क्षेत्रीय अस्थिरता

इस संघर्ष ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है, क्योंकि यह क्षेत्रीय शांति के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है। हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच यह टकराव इस बात की ओर इशारा करता है कि आने वाले दिनों में मध्य-पूर्व में हालात और बिगड़ सकते हैं। विशेष रूप से, जब दोनों पक्षों के पास अत्याधुनिक हथियार हैं, यह स्थिति अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।

इजरायल के सामने अब एक बड़ा सवाल है कि वह कैसे अपनी सुरक्षा प्रणाली को अपडेट करे और हिजबुल्लाह के बढ़ते खतरों से निपटे। यह संघर्ष आने वाले समय में न केवल क्षेत्रीय समीकरणों को बदल सकता है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा पर भी असर डाल सकता है। आयरन डोम की कमजोरियों के उजागर होने से इजरायल को न केवल अपनी तकनीकी रक्षा प्रणाली में सुधार करना होगा, बल्कि अपनी सामरिक रणनीति में भी व्यापक बदलाव करने होंगे।

  • Related Posts

    ट्रंप के 25% टैरिफ पर भारत पर क्या होगा असर: 1 अगस्त से नया टैरिफ लागू

    31 जुलाई 2025: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 1 अगस्त से 25 %आयात शुल्क और अतिरिक्त जुर्माना लगाने का ऐलान किया है। ट्रंप की ये पुरानी रणनीति…

    Read more

    रूस में आए भयंकर भूकंप के बाद मंडराया सुनामी का खतरा

    30 जुलाई 2025: रूस के कामचटका प्रायद्वीप के पास आज सुबह भयंकर भूकंप के झटके महसूस किए गए ।रेक्टल स्केल पर भूकंप की तीव्रता 8.8 मापी गई। यह भूकंप आज…

    Read more

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    error: Content is protected !!