
भारत और ईयू के बीच व्यापार संबंधों को मजबूत करने के लिए उठाये कई ठोस कदम।
भारत और यूरोपीय संघ के बीच ब्रॉड-बेस्ड ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट एग्रीमे पर चर्चा चल रही है। इसमें टैरिफ, रेगुलेटरी स्टैंडर्ड और स्थिरता प्रतिबद्धताओं पर मतभेद हैं। यदि समझौता सफल होता है तो यह भारत का सबसे व्यापक व्यापारिक समझौता होगा। अमेरिका के बाद ईयू भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूरी दुनिया पर एक साथ चाबुक चला दिया है। इसमें उन्होंने दोस्त और प्रतिद्वंद्वियों दोनों को एक भाव तौल दिया है। इस रुख से ग्लोबल ट्रेड टेंशन बढ़ गई है। ट्रंप ने भारत और यूरोपीय यूनियन सहित सभी देशों पर जवाबी टैरिफ (रेसिप्रोकल टैरिफ) लगाने की धमकी दी है। ऐसे समय में भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच ब्रॉड-बेस्ड ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट एग्रीमेंट (BTIA) पर दसवें दौर की बातचीत ब्रुसेल्स में 10 से 14 मार्च तक होगी। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन की हाल ही में दिल्ली यात्रा ने बातचीत को रफ्तार दी है। दोनों पक्ष इस साल के अंत तक लंबे समय से रुके हुए समझौते को अंतिम रूप देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि, टैरिफ और रेगुलेटरी स्टैंडर्ड पर गहरे मतभेद चुनौतियां पेश कर रहे हैं। यह समझौता भारत के लिए सबसे व्यापक व्यापारिक समझौता होगा। अमेरिका के बाद ईयू भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। वित्त वर्ष 2023-24 में दोनों के बीच 190 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ।
भारत कपड़ा, दवाएं और IT सेवाओं में अपने निर्यात का विस्तार करना चाहता है। इसके साथ ही ईयू का लक्ष्य भारत के ऑटोमोबाइल, वित्तीय और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में बेहतर पहुंच हासिल करना है। हालांकि, विवादास्पद मुद्दे अनसुलझे हैं। इनके लिए दोनों पक्षों से महत्वपूर्ण समझौते की जरूरत है।
बातचीत में एक बड़ी बाधा बाजार पहुंच है।इसके साथ ही ईयू भारत को अपने 95 फीसदी से अधिक निर्यात पर टैरिफ खत्म करने के लिए दबाव डाल रहा है। जबकि भारत अपने बाजार का केवल 90 फीसदी तक खोलने को तैयार है। ईयू पनीर और स्किम्ड मिल्क पाउडर जैसे डेयरी उत्पादों पर कम टैरिफ की मांग कर रहा है। लेकिन, भारत अपने डेयरी किसानों की रक्षा करने के लिए दृढ़ है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, भारत का डेयरी क्षेत्र बहुत संवेदनशील है। लाखों छोटे किसान इस पर निर्भर हैं। ईयू डेयरी आयात पर टैरिफ कम करने से घरेलू उत्पादन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
एक रिपोर्ट में बताया गया है कि विवाद का एक और मुख्य बिंदु ऑटोमोबाइल क्षेत्र है। ईयू चाहता है कि भारत पूरी तरह से निर्मित लग्जरी कारों पर अपने 100-125 फीसदी के ऊंचे आयात शुल्क को घटाकर लगभग 10-20 फीसदी कर दे। हालांकि, भारत सतर्क बना हुआ है। कारण है कि ऑटोमोबाइल उद्योग का उसकी जीडीपी और रोजगार में प्रमुख योगदान है।
दूसरी ओर, भारत कपड़ा निर्यात के लिए टैरिफ में कमी भी चाहता है। जबकि वर्तमान में ईयू का 12-16 फीसदी टैरिफ लगता है। इन टैरिफ को हटाने से भारत के कपड़ा उद्योग को काफी बढ़ावा मिल सकता है। इससे उसे बांग्लादेश और वियतनाम के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी। यह देखते हुए कि भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में ईयू को 5.1 अरब डॉलर मूल्य के कपड़ों का निर्यात किया, इसके साथ ही टैरिफ में ढील इस श्रम-प्रधान क्षेत्र को बहुत जरूरी बढ़ावा दे सकती है।
सेवा क्षेत्र भी बाधाएं पेश करता है। भारत डिजिटल व्यापार के अवसरों को बढ़ाने के लिए ईयू के जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) के तहत एक डेटा-सुरक्षित राष्ट्र के रूप में मान्यता चाहता है। इसके अतिरिक्त, भारत अपने पेशेवरों के लिए आसान अल्पकालिक व्यावसायिक वीजा की मांग कर रहा है। हालांकि, ईयू भारत के बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और कानूनी सेवा क्षेत्रों में अधिक पहुंच की मांग कर रहा है। साथ ही भारतीय IT पेशेवरों के लिए उच्च वेतन सीमा और स्थानीय भर्ती आवश्यकताओं जैसी बाधाओं को बनाए रख रहा है।
हालांकि, ट्रंप की नीतियों से पूरी दुनिया का माहौल बदल गया है। ट्रंप ने न तो चीन जैसे प्रतिद्वंद्वियों को बख्शा है न यूरोपीय और भारत जैसे मित्र देशों को। रेसिप्रोकल टैरिफ को लेकर उन्होंने सभी देशों के लिए एक जैसी पॉलिसी अपनाने को कहा है। ऐसे में भारत और यूरोपीय यूनियन पर समझौते को अमलीजामा पहनाने को लेकर दबाव बढ़ गया है। माना जा रहा है कि इस साल के अंत तक इसे अंतिम रूप दिया जा सकता है।