
24 जुलाई 2025 :
सर्पो के विष से बचाने की शक्ति रखने वाला ज्योतिर्लिंग
भारत में भगवान शिव के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, जो गुजरात के द्वारका और बेत द्वारका के बीच स्थित है। यह स्थान न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है, बल्कि यहां की रहस्यमयी ऊर्जा और लोककथाएं भी श्रद्धालुओं को गहराई से छू जाती हैं।
पौराणिक कथा:
दारुक राक्षस और शिव का प्राकट्य
मान्यता है कि प्राचीन काल में दारुक नामक एक अत्याचारी राक्षस इस क्षेत्र में निवास करता था। वह साधु-संतों और भक्तों को बहुत सताता था। एक दिन एक परम शिवभक्त सुयज्ञ और उनकी पत्नी को दारुक ने बंदी बना लिया। उन्होंने शिवजी की आराधना की और तभी भगवान शिव प्रकट हुए। उन्होंने दारुक का संहार कर इस स्थान को मुक्त कराया।
भगवान शिव ने यहाँ स्वयं ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित होकर घोषणा की कि जो भी श्रद्धा से मेरी पूजा करेगा, मैं उसकी रक्षा करूँगा। इसी कारण इसे “नागेश्वर” यानी “सर्पों के ईश्वर” के रूप में जाना गया।
मंदिर की विशेषताएं:
मंदिर में 25 मीटर ऊँची भगवान शिव की एक विशाल प्रतिमा है, जो दूर से ही श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
मंदिर का गर्भगृह शुद्ध पत्थरों से निर्मित है और यहां का शिवलिंग स्वयंभू माना जाता है।
यहां दिन में चार बार पूजा होती है – प्रातःकालीन आरती, मध्यान्ह आरती, संध्या आरती और रात्रि आरती।
भौगोलिक स्थिति और पहुँचने का मार्ग
नागेश्वर मंदिर, गुजरात राज्य के द्वारका जिले में स्थित है। यह स्थान द्वारका शहर से लगभग 18 किलोमीटर दूर है।
कैसे पहुँचें:
रेल मार्ग: द्वारका रेलवे स्टेशन से टैक्सी या ऑटो द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
सड़क मार्ग: अहमदाबाद, जामनगर और अन्य प्रमुख शहरों से बस और टैक्सी सुविधा उपलब्ध है।
हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा जामनगर है, जो लगभग 130 किमी दूर है।
विशेष पर्व और उत्सव:
महाशिवरात्रि पर यहाँ लाखों श्रद्धालु आते हैं। इस दिन भव्य रुद्राभिषेक और जागरण का आयोजन होता है।
श्रावण मास में प्रतिदिन भक्तों की भारी भीड़ रहती है।
मंदिर परिसर में नाग पंचमी भी विशेष रूप से मनाई जाती है।
आध्यात्मिक अनुभव
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग में प्रवेश करते ही भक्तों को एक अलौकिक शांति का अनुभव होता है। विशाल शिव मूर्ति के समक्ष खड़े होकर जब कोई “ॐ नमः शिवाय” का जाप करता है, तो उसकी आत्मा स्वयं को शिवमय महसूस करती है।
आसपास के दर्शनीय स्थल
द्वारकाधीश मंदिर: नागेश्वर से 18 किमी दूर यह भगवान कृष्ण को समर्पित प्रसिद्ध मंदिर है।
बेत द्वारका: समुद्र के बीच स्थित यह तीर्थ बोट द्वारा पहुँचा जाता है और यहां भी कृष्ण से जुड़ी अनेक कथाएं हैं।
रुक्मिणी देवी मंदिर और गोपी तालाब भी निकट के दर्शनीय स्थल हैं।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग एक ऐसा तीर्थ है, जहाँ आकर मन, वचन और आत्मा शिव में लीन हो जाती है। यह मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण का केंद्र भी है। अगर आप गुजरात की तीर्थयात्रा की योजना बना रहे हैं, तो नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को अवश्य शामिल करें और भगवान शिव की अपार कृपा का अनुभव करें।