
18 जुलाई 2025: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा ने अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है उन्होंने एक याचिका लगाई है और खुद को निर्दोष बताया है। उन्हें आधी जली हुई नगदी मामले में दोषी पाया गया है ।उन्होंने कहा उन्हें खुद को निर्दोष साबित करने के लिए पूरा मौका नहीं दिया गया ।
अब जस्टिस वर्मा पर महाभियोग की चर्चा से सरकार बेचैनी में है।
जस्टिस वर्मा के कैश कांड में अब कपिल सिब्बल सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं और जस्टिस वर्मा को बचाने की कोशिश में आगे आ रहे हैं।
महाभियोग की चर्चा ने आखिर क्यों बढ़ रही है सरकार की बेचैनी….
संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने जा रहा है और इसे लेकर सत्ता पक्ष ने पूरी तैयारी कर ली है तो वहीं विपक्ष भी सरकार को घेरने की रणनीति बनाने में जुट गया हैं. इस बीच खबर है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार इस मानसून सत्र में 8 से 12 विधेयक पेश कर सकती हैं….जिसमें हाईकोर्ट के कैशकांड वाले जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव भी संसद में लाने की पूरी तैयारी है.
जज के घर में भारी मात्रा में नकदी मिलने के बाद जस्टिस वर्मा सवालों के घेरे में हैं….इसके साथ ही पूरी की पूरी न्याय व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं… अब महाभियोग प्रस्ताव पर कपिल सिब्बल ने ऐसे सवाल उठाये हैं जिसने सरकार की बेचैनी बढ़ा दी है…
. क्या जस्टिस वर्मा पर महाभियोग की चर्चा पर कपिल सिब्बल न्यायपालिका पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं… कुछ ऐसे सवालों ने तब तूल पकड़ लिया जब कपिल सिब्बल ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “बिना किसी स्वतंत्र जांच के एक संस्था पर हमला किया जा रहा है, ये बेहद गंभीर मसला है तो क्या माना जाये कि क्या सिब्बल का साफ तौर पर इशारा ये है कि जस्टिस वर्मा पर चल रही कार्रवाई किसी राजनीतिक नाराजगी का परिणाम है या फिर न्यायपालिका को नियंत्रित करने की सरकार की गहरी साजिश है. उन्होंने तमामनियमों का हवाला देते हुए कहा है कि सरकार अगर खुद कहती है कि वह महाभियोग प्रक्रिया शुरू करना चाहती है, तो ये खुले तौर पर संविधान का उल्लंघन है. ..अब सिब्बल के सवालों के तीर बजाए आरोपी के सरकार की तरफ मुड़ गये हैं….वैसे भी ये कपिल सिब्बल हैं जो हमेशा आतंकियों की तरफ पैरवी करते हैं एक नहीं कई उदाहरण ऐसे देखने को मिल जाएंगे….अब उनकी इन्हीं बातों ने न्यायिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया और इस पूरे मामले को एक नई बहस की ओर मोड़ दिया है ।
आखिर जस्टिस वर्मा पर महाभियोग से डर किसे लग रहा है ?
कपिल सिब्बल का ये भी कहना है को “या तो सरकार उनसे किसी बात पर नाराज है या फिर यही समय जानबूझकर चुना गया है ताकि NGAC यानि न्यायिक नियुक्ति प्रणाली को लेकर सुप्रीम कोर्ट पर दबाव बनाया जाए… इधर कांग्रेस पार्टी का रूख भी इस बार सरकार के साथ नजर आ रहा है क्योंकि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में कांग्रेस भी है. पार्टी ने अपने सांसदों से कहा है कि वो इस प्रस्ताव के नोटिस पर हस्ताक्षर करें….और सभी सासंदों के हस्ताक्षर के साथ महाभियोग में सरकार के साथ होगी… इसके साथ ही कांग्रेस ने राज्यसभा के सभापति से अनुरोध किया है कि वे जस्टिस यादव से जुड़े मामले में भी आवश्यक कार्रवाई करें. तो शायद कांग्रेस भी भ्रष्टाचार के खिलाफ जाकर सरकार का सहयोग कर रही हैजो अक्सर विरोध में रहती है… यह राजनीतिक हलचल ऐसे वक्त में हो रही है जब बीजेपी और बाकी के विपक्षी दल भी मिलकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की योजना बना रहे हैं. कांग्रेस नेतृत्व ने लोकसभा में अपने फ्लोर मैनेजरों से कहा है कि वे उन सांसदों की सूची तैयार करें जो इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने को तैयार रहें….अब आइये आपको एक बार फिर याद दिला देते हैं कि जस्टिस वर्मा कैशकांड क्या है….ये मामला तब सुर्खियों में आया जब दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास के स्टोररूम में आग लगने के बाद बड़ी मात्रा में जले हुए कैश मिलने की घटना सामने आई…और देशभर में बवाल मच गया था….
ये पहला मामला था जब किसी जज के यहां इतनी मात्रा में कैश का खुलासा हुआ था । बिना किसी शिकायत औऱ एफआईआऱ के…..पुलिस और दमकल विभाग मौके पर पहुंचे थे लेकिन उस समय कोई स्पष्ट ज़ब्ती नहीं हुई. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर इन हाउस जांच के आदेश दिए….तीन जजों की कमेटी बनाई गई…. मई 2025 में रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सौंपी, जिसमें कथित तौर पर अनैतिक लेनदेन और रकम के स्रोतों पर गंभीर सवाल उठाए गए….जनता का भी दबाव था… इसके बाद मामला राष्ट्रपति के पास पहुंचा…और फिर प्रधानमंत्री पीएम मोदी के पास भेजा गया, और राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने की बात पर चर्चा की गई…
जनता का न्यायपालिका से उठा भरोसा:
.इसके बाद से लोगों का भरोसा उठ गया है न्याय व्यवस्था से….संवैधानिक बहस हो या सुप्रीम कोर्ट की इन हाउस जांच या फिर संसद की जवाबदेही ही क्यों न हो….पूरी की पूरी न्याय व्यवस्था कटघरे में है…अब कपिल सिब्बल का तर्क है कि जजेस इंक्वायरी एक्ट, 1968 के तहत केवल संसद को ही जज के आचरण की जांच करने का अधिकार है…और आरोपी के प्रति जवाबदेही तय करने का अधिकार है. इन हाउस जांच एक प्रशासनिक प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन वह महाभियोग की संवैधानिक प्रक्रिया का विकल्प नहीं हो सकती…..तो अब कपिल सिब्बल के सवालों से जांच की दिशा ही मोड़ दी गई है… जस्टिस वर्मा पर महाभियोग प्रस्ताव को लेकर कपिल सिब्बल ने केंद्र पर निशाना साधा…ये कहकर कि बिना स्वतंत्र जांच के संस्था पर सीधा वार किया जा रहा है… औऱ सरकार की तरफ से न्यायपालिका पर दबाव बनाने की साजिश हो सकती है.अब आपको बताते है संविधान में क्या है…दरअसल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 (4) और 217 में बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के किसी भी जज को केवल महाभियोग के जरिए ही पद से हटाया जा सकता है, वो भी तब …जब कोई जज दुराचार (misbehaviour) या अक्षमता का दोषी पाया जाए… यह प्रक्रिया संसद के जरिए ही पूरी की जाती है और इसमें न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका – तीनों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। महाभियोग प्रस्ताव संसद में सांसदों के एक समूह को लाने का अधिकारहै…… लोकसभा में कम से कम 100 सांसद
होने चाहिए औऱ राज्यसभा में कम से कम 50 सांसद हों….इनमें से किसी भी सदन में यदि इतनी संख्या में सांसद प्रस्ताव लाते हैं, तो सभापति (राज्यसभा) या अध्यक्ष (लोकसभा) इसे स्वीकार कर सकते हैं। इसके बाद शुरू होती है जांच की प्रक्रिया… जस्टिस यशवंत वर्मा के मामले में यदि कैश की जब्ती से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप साबित होते हैं, तो सीबीआई या ईडी जैसी एजेंसियां जांच कर सकती हैं, और मामला अदालत में भी जा सकता है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के घर से कैश मिलने के मामले में नया मोड़ आया है। दरअसल, अब यशवंत वर्मा ने तीन न्यायाधीशों की आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट और पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा उनके खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की सिफारिश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है..जबकि केंद्र सरकार ने महाभियोग लाने की पूरी तैयारी कर ली है,,,विपक्ष भी इसमें साथ है… इसके लिए हस्ताक्षर अभियान शुरू हो गया है। महाभियोग लगने के बाद जस्टिस वर्मा को अपना पद छोड़ना होगा और फिर ईडी और दिल्ली पुलिस की जांच का सामना करना पड़ेगा…अब देखना होगा कपिल सिब्बल के सवालों का सरकार कैसे जवाब देती है और महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की सिफारिश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का क्या एक्शन होता है।