उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से दिया इस्तीफा: स्वास्थ्य कारणों का दिया हवाला, कौन होगा नया उपराष्ट्रपति

22 जुलाई 2025: संसद का मानसून सत्र शुरू होते ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दिया । उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक का था। किंतु उन्होंने 2 साल पहले ही अपने पद को छोड़ दिया।
कार्यकाल पूरा होने के पहले पद से इस्तीफा देने वाले वे तीसरे उपराष्ट्रपति हैं । इसके पहले वी वी गिरि ने 20 जुलाई 1969 को इस्तीफा दिया था। किंतु उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दिया था ।।इसके अलावा आर वेंकटरमन ने जुलाई 1987 में उपराष्ट्रपति पद को छोड़ा था क्योंकि वह राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित हो चुके थे।

स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर अपना पद छोड़ने वाले जगदीप धनखड़ पहले उपराष्ट्रपति हैं।
जगदीप धनखड़ पिछले माह 25 जून को उत्तराखंड में कार्यक्रम में सीने में दर्द की वजह से एम्स में भर्ती हुए थे। इसके पहले भी वह 9 मार्च को सीने में दर्द की शिकायत पर एम्स दिल्ली में भर्ती हुए थे। इसी कारण स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर उन्होंने अपने पद से दो वर्ष पूर्व ही इस्तीफा दिया है।

राजस्थान के मूल निवासी हैं धनखड़:

जगदीप धनखड़ मूलतः राजस्थान के निवासी हैं । 74 वर्षीय जगदीप धनखड़ देश के पहले उपराष्ट्रपति हैं, जिन्होंने अपने निजी कारणों से कार्यकाल पूरा किए बिना पद को छोड़ा है। उपराष्ट्रपति का पदभार संभालने के पहले धनखड़ बंगाल के राज्यपाल भी रह चुके हैं।

जगदीप धनखड़ के अपने पद से इस्तीफा देने के फैसले को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अनुच्छेद 67 ए के अनुसार औपचारिक रूप से इसे स्वीकार कर लिया है जो स्वैच्छिक त्यागपत्र की अनुमति देता है।

कौन होगा अगला उपराष्ट्रपति:

जगदीप धनखड़ के इस्तीफा के बाद हर तरफ एक ही सवाल पूछा जा रहा है कि आखिर अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा। सत्ता पक्ष एनडीए को लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत प्राप्त है इसलिए धनखड़ के इस्तीफा से सभी को हैरानी है । कई संभावित नाम पर विचार किया जा रहा हैं।
पार्टी किसी ऐसे व्यक्ति को चुनेगी, जो अनुभवी भी हो और जिस पर कोई विवाद ना हो , जो जगदीप धनखड़ के विकल्प के रूप में सही फैसला हो।

संविधान में क्या है प्रावधान:

जगदीप धनखड़ के अपने पद से इस्तीफा देने के बाद नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी। जिसमें संविधान के अनुच्छेद 68 के खंड 2 के अनुसार यह चुनाव जल्द से जल्द कराया जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति का पद देश के लिए सबसे बड़ा संवैधानिक पद है और उनका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
संविधान के अनुच्छेद 68 खंड 2 के अनुसार उपराष्ट्रपति के निधन त्यागपत्र या अन्य किसी कारण से होने वाले कारणों से रिक्ती को भरने के लिए जल्द से जल्द चुनाव होने चाहिए।

उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है उनका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है । किंतु कार्यकाल समाप्त होने के बाद वे तब तक अपने पद पर बने रह सकते हैं जब तक उनका उत्तराधिकारी पदभार ग्रहण नहीं कर लेता।
संविधान में केवल एकमात्र ऐसा प्रावधान है जिसमें उपराष्ट्रपति के राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करने के संबंध में है जो भारत के उपसभापति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अधिकृत राज्यसभा का कोई अन्य सदस्य करता है।
संविधान विशेषज्ञ के अनुसार नया उपराष्ट्रपति चुनने के लिए संविधान में कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। उपराष्ट्रपति के इस्तीफा के बाद उनके स्थान पर राज्यसभा के उपसभापति नया उपराष्ट्रपति चुने जाने तक राज्यसभा के सभापति होंगे । संविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति होने का प्रावधान नहीं है। आमतौर पर राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उनके पदभार उपराष्ट्रपति संभालते हैं । किंतु उपराष्ट्रपति का पद यदि खाली है और राष्ट्रपति भी अनुपस्थित हैं या देश से बाहर हैं या अन्य किसी कारणों से अनुपस्थित हैं ,तो ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति का पदभार चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को दिया जाता है।
संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि उपराष्ट्रपति का पद खाली होने पर कितने दिनों में यह रिक्त पद भर जाना चाहिए । जबकि सांसद ,विधायक या राष्ट्रपति की लिए इस पद के लिए 6 महीने की समय सीमा तय की गई है। और राष्ट्रपति के लिए शीघ्र ही इस पद पर भरे जाने का प्रावधान है।

इसके पहले भी कई उपराष्ट्रपति इस्तीफा दे चुके हैं ।
उनकी अनुपस्थिति में राज्यसभा के उपसभापति उनकी जिम्मेदारियां संभालते हैं।यह व्यवस्था जारी रहेगी और इससे कोई संवैधानिक संकट उत्पन्न नहीं होगा।

संसद में सहज दिखे किंतु शाम को उठाया एक अप्रत्याशित कदम:

मानसून सत्र से पहले दिन ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दोपहर तक राज्यसभा में सभापति का दायित्व निभाया किंतु शाम को अचानक ही उनके इस्तीफा की खबर आई । उन्होंने अपने स्वास्थ्य की प्राथमिकता देने और चिकित्सा सलाह का पालन करने हेतु अपने पद से इस्तीफा दिया।
उनका हृदय संबंधी बीमारियों का इलाज चल रहा था । किंतु लगातार वह कार्यक्रम में शामिल भी हो रहे थे। कल बुधवार को उनको जयपुर में एक कार्यक्रम में जाना था। इस्तीफा देने के पहले राज्यसभा में भी काफी सहज दिख रहे थे । सभी सांसदों का अभिवादन भी स्वीकार किया । किसी को ऐसा भान नहीं था कि वह इस्तीफा देने जैसे एक अप्रत्याशित कदम उठाएंगे। क्योंकि सदन में उन्होंने जस्टिस यशवंत वर्मा के महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस पर पर्याप्त बात भी रखी थी शाम 4:00 बजे राज्यसभा में कई मुद्दों पर चर्चा करने के लिए समय सीमा तय करने के लिए केंद्रीय सलाहकार समिति की बैठक तय की थी जिसमें बीएसी मैं कई विपक्षी नेता मौजूद थे लेकिन सदन के नेता जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन मेघवाल के नहीं आने के कारण यह बैठक कल तक के लिए टाल दी गई थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हृदय से किया आभार:
उन्होंने सभी का अभिवादन स्वीकार किया ।इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री के सहयोग और समर्थन के अमूल्य सहयोग की बात कही । उन्होंने कहा कि मैंने अपने कार्यकाल के दौरान बहुत कुछ उनसे सीखा है। सभी संसद के सदस्यों से जो विश्वास और स्नेह मिला है वह सदैव मेरी स्मृति में रहेगा।

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