एमपी बीजेपी के नये अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल

मध्य प्रदेश में बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए बीते 6 महीने से कवायद चल रही थी आखिर कार वो दिन भी आ ही गया जब मप्र बीजेपी को अपना नया अध्यक्ष मिल गया…..यानि एमपी भाजपा को मिला नया BOSS….कई दिनों से अलग अलग नामों की चर्चा चल रही थी…. हेमंत खंडेलवाल वो अकेला नाम है. जो बीते दिनों मध्य प्रदेश में बीजेपी अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे बना हुआ था. मुकाबले में डॉ नरोत्तम मिश्रा, अरविंद भदौरिया जैसे पूर्व मंत्री भी थे. महिला चेहरे के तौर पर अर्चना चिटनिस, रीति पाठक और रंजना बघेल के नाम भी लिए जा रहे थे, लेकिन खंडेलवाल का नामएखतरफा चलता रहा….बीते 48 घंटों में वो नाम अचानक आंधी बन चुका था….राजनीतिक गलियारों में कहा जाने लगा बैतूल से होकर एक बड़ी खबर बस आने ही वाली है….विधायक हेमंत खंडेलवाल के नाम पर मुहर लग चुकी थी….बस औपचारिक एलान ही बाकी रह गया था…. अब पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने इसी नाम पर मुहर लगा दी है…. तो क्या मध्य प्रदेश में सत्ता और संगठन की सेहत के लिए हेमंत खंडेलवाल का नाम संजीवनी साबित होगा…. क्या वजह रही कि बड़े बड़े नेताओं के बीच हेमंत खंडेलवाल को चुना गया….


कौन हैं भाजपा के नये अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल


मप्र के कद्दावर नेताओं की लंबी कतार में राष्ट्रीय से लेकर प्रदेश नेतृत्व तक हेमंत खंडेलवाल राइट च्वाइस बन गए. हेमंत खंडेलवाल की निर्विवाद छवि है आज तक किसी विवाद में उनका नाम नहीं आया….और सबसे बड़ी ताकत उनका संघ की पृष्ठभूमि से होना है. दूसरा वो मुख्यमंत्री मोहन यादव के भी काफी करीब माने जाते हैं…उनका भी पसंदीदा नाम हेमंत खंडेलवाल ही रहा….


विरासत में मिली मप्र की राजनीति?


मध्य प्रदेश भाजपा के नये प्रदेश अध्यक्ष पुराने राजनीतिक घराने के वारिस हैं… प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए सिर्फ हेमंत खंडेलवाल ने नामांकन दाखिल किया था… और किसी अन्य दावेदार के न होने के चलते उनका निर्विरोध चयन हुआ…भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में उनके नाम का औपचारिक ऐलान कर दिया गया……नामांकन के समय सीएम डॉ. मोहन यादव, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीडी शर्मा, प्रह्लाद पटेल के अलावा भाजपा के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे…मप्र के दो इलाकों को खासकर तवज्जो दी जा रही थी ग्वालियर चंबल संभाग औऱ मालवा निमाड़….और इसके अलावा लंबे समय से पार्टी के नेतृत्व में कोई वैश्य नही था….इसके पहले प्यारेलाल खंडेलवाल का एक ही नाम याद आता है….तो इस समुदाय को संतुष्ट करने के लिए भी इस नाम का चयन जरूरी था…


राजनीति में सक्रिय एंट्री साल 2008 में हुई


वैसे भी पहले कहा जाता रहा बीजेपी ब्राह्मण बनिया की पार्टी है…..हालांकि कर्तमान राजनीति में सभी समीकरण बदल चुके हैं….जातियों का खेल अब वोट के लिए खेला जाता है….वही अब अगर खंडेलवाल के राजनीतिक जीवन की बात करें तो पता चलता है कि हेमंत खंडेलवाल मूल रूप से मथुरा के रहने वाले हैं… उनका जन्म 3 सितंबर 1964 को हुआ… उन्हें राजनीति में आने की प्रेरणा और ज्ञान अपने पिता विजय कुमार खंडेलवाल से मिला…… हेमंत खंडेलवाल के पहले उनके पिता विजय कुमार खंडेलवाल बैतूल सीट से 15 साल तक सांसद रहे. उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में हेमंत खंडेलवाल को इस सीट से जीत मिली …औऱ राजनीति में इनकी सक्रिय एंट्री साल 2008 में हुई… … भाजपा ने उन्हें टिकट दिया और उन्होंने जीत दर्ज कर लोकसभा तक का सफर तय किया… जिसके बाद साल 2013 के विधानसभा चुनाव में वे विधायक भी बने… इसके बाद 2018 में कांग्रेस के निलय डागा से खंडेलवाल हार गए थे … हेमंत खंडेलवाल चुनावी राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं …साल 2023 में फिर वापसी करते हुए उन्होंने निलय डागा को हराया और बैतूल पर दोबारा कब्जा जमाया…बताया जाता है कि हेमंत खंडेलवाल ने अपने राजनीतिक करियर में हमेशा जनता के मुद्दों को प्राथमिकता दी… फिर चाहे वो सड़क हो, शिक्षा हो या किसानों की समस्याएं… उनके इन्ही कामों से बैतूल में कई विकास योजनाएं जमीन पर उतरीं…


सबसे बड़ी ताकत उनकी संघ की पृष्ठभूमि


पार्टी और संगठन में भी उन्होंने कई जिम्मेदारियां निभाईं… एमपी भाजपा के कोषाध्यक्ष भी रह चुके हैं… साथ ही कुशाभाऊ ठाकरे विचार न्यास के अध्यक्ष पद पर भी रहे… इसी वजह से संगठन में उनकी पकड़ और कार्यशैली को लेकर अच्छी छवि रही है… ऐसे में अब भाजपा की कमान हेमंत खंडेलवाल के हाथों में है… हेमंत खंडेलवाल की सबसे बड़ी ताकत उनकी संघ की पृष्ठभूमि है. संघ नेता सुरेश सोनी का आशीर्वाद तो है ही. सीएम डॉ मोहन यादव की भी वे पहली पसंद रहे… केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी उनकी पैरवी की है. हेमंत प्रबंधन में भी माहिर हैं….इसके अलावा उन्होंने लंबे समय तक पार्टी के कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली है….मध्य प्रदेश में सत्ता का चेहरा बदलने के बाद अब पार्टी संगठन का भी चेहरा बदलने जा रही है, तो जाहिर है कोशिश ये होगी सत्ता संगठन का तालमेल बेहतर रहे. इस लिहाज से भी हेमंत खंडेलवाल का नाम फाइनल किया गया है, पार्टी की रणनीति और संगठन को धार देने की बड़ी जिम्मेदारी अब उनके कंधों पर है… मप्र के नेतृत्व के लिए यही बने राइट च्वाइस …

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