धरती का कल्पवृक्ष-पीपल: जिसके पूजन से शनि दोष से मिलती है मुक्ति, आईए जानते हैं धार्मिक महत्व

26 जुलाई 2025: पीपल के वृक्ष को अत्यंत पवित्र और बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है।
पीपल के वृक्ष को हिंदू धर्म में विशेष वृक्ष का दर्जा दिया गया है।‌ इसका एक विशेष आध्यात्मिक महत्व भी है। इसे मोक्ष का वृक्ष भी माना गया है। भगवान गौतम बुद्ध ने पीपल के पेड़ के नीचे ही ज्ञान प्राप्त किया था। इसलिए इसे बोधिवृक्ष भी कहा जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पीपल के वृक्ष में भगवान ब्रह्मा विष्णु और शिव का निवास स्थान माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इसकी जड़ों में ब्रह्मा तने में विष्णु और शाखाओं में शिव का वास होता है । और पीपल के वृक्ष की पूजा करने से त्रिदेवों यानि तीन देवों की कृपा प्राप्त होती है।

‘अश्वत्थः सर्वकृक्षिणां’ अर्थात समस्त वर्षों में मैं पीपल का वृक्ष हूं ।
भगवान श्री कृष्ण की यह युक्ति पीपल के वृक्ष को रेखांकित करती है। पीपल वास्तविक जगत में सर्वश्रेष्ठ है । इसी कारण स्वयं भगवान ने अपनी उपमा पीपल के वृक्ष से की है और इसके देव गुणों और दियत्व की उद्घोषणा की है।
पीपल का वृक्ष सदा से ही हमारे भारतीय जीवन में ,भारतीय संस्कृति में विशेष रूप से पूजनीय रहा है।

आईए जानते हैं पीपल के वृक्ष का धार्मिक महत्व :

पीपल का पेड़ जन्म और पुनर्जन्म के चक्र का प्रतीक है । इसकी पूजा करने से जन्म और मरण के चक्र से मुक्ति प्राप्त होती है ।
पीपल का वृक्ष 24 घंटे ऑक्सीजन देता है । इसलिए इसे जीवन रक्षक भी कहा जाता है। इसके पास बैठने से, इसके समीप रहने से सकारात्मक ऊर्जा और शांति और सुकून मिलता है ।

पूजन का भी है विशेष महत्व:

1.. पीपल के वृक्ष की पूजा करने से घर परिवार में और जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है ।

2.. पीपल की पूजा करने से पाप कर्म से मुक्ति मिलती है आत्मा शुद्ध होती है ।
3.. शनिवार को पीपल का स्पर्श पूजन और सात परिक्रमा करने के बाद सरसों के तेल के दीपक प्रज्वलित करने से शनि की पीड़ा दूर होती है ।

4.. श्रावण मास में पीपल के नीचे स्थित हनुमान जी की शनिवार के दिन पूजा करने से बड़ा से बड़ा संकट दूर होता है ।

5.. जन्म कुंडली में यदि किसी कन्या को वैधव्य योग हो ,तो पीपल की पूजा से इस दोष से मुक्ति मिलती है और अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है ।

6.. किसी शुभ मुहूर्त में पीपल के वृक्ष का रोपण कर 8 वर्षों तक अगर पालन पोषण किया जाए तो अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

7.. गुरु ग्रह या बृहस्पति की उत्पन्न होने वाले अशुभ फल पीपल की समिधा से हवन करने से शांत होते हैं।

8.. ज्येष्ठ मास में महिलाओं द्वारा संतान प्राप्ति और परिवार की खुशहाली के लिए पीपल की परिक्रमा करना शुभ माना जाता है।

9..पीपल का वृक्ष वृक्षराज है इसका पूजन करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है । पीपल के दिव्य गुणों ने इस पृथ्वी पर इसे कल्पवृक्ष का स्थान दिया है।

यदि घर में पीपल का पेड़ उग आए तो उसे कैसे हटाए:

वास्तु शास्त्र में घर के अंदर पीपल के पेड़ को अशुभ माना गया है । क्योंकि इसकी जड़ बहुत मजबूत होती हैं और यह घर की नींव को नुकसान पहुंचा सकती है । पीपल का वृक्ष बहुत तेजी से बढ़ता है। इसकी शाखाएं बहुत तेजी से फैलती हैं । इसके कारण घर में पर्याप्त सूर्य की रोशनी और हवा बाधित हो सकती है। इसके कारण घर में वास्तु दोष उत्पन्न होता है । किंतु यदि घर में ,घर की किसी दीवार में, कोने में पीपल का छोटा सा पौधा निकल आए तो उसे हटाना जरूरी हो जाता है। किंतु इसे हटाने के लिए विधिवत प्रक्रिया के बाद ही हटा सकते हैं।

कैसे हटाए :
पीपल को पेड़ों को हटाने के लिए सबसे पहले वहां पर पीपल के पेड़ की पूजा करें। भगवान से क्षमा याचना करें और किसी पवित्र दिन जैसे पूर्णिमा, अमावस्या ,या किसी विशेष त्यौहार के दिन ,इसे निकाल कर किसी अन्य जगह पर उसका रोपण करें । इसके अलावा इसे छोटे गमले में लगाकर घर के बाहर भी रख सकते हैं। जिसे समय-समय पर कटाई छटाई करते रहना चाहिए जिससे पेड़ बहुत अधिक बड़ा ना हो सके।

हिंदू धर्म में पीपल का पेड़ विशेष माना गया है। पीपल के वृक्ष की सेवा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है ।
ऐसा कहा जाता है कि रविवार के दिन पीपल का स्पर्श नहीं किया जाता। रविवार के दिन पीपल में जल भी नहीं चढ़ाया जाता ।
पीपल का पेड़ न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है
वैज्ञानिक दृष्टि से यह 24 घंटे ऑक्सीजन प्रदान करता है। इस कारण इसे अन्य पेड़ों से अलग वृक्ष का दर्जा प्राप्त है ।इससे वायु प्रदूषण कम होता है ।पीपल के वृक्ष का विभिन्न विभिन्न उपयोग कर अनेक बीमारियों में इसका इलाज भी किया जाता है।

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