
2 अगस्त 2025: पूजा घर न केवल एक धार्मिक स्थान है, बल्कि यह घर की आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र भी होता है। यह स्थान सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और पूरे घर को शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य प्रदान करता है। वास्तु शास्त्र में पूजन कक्ष से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं, जिनका पालन करके हम अपने जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति ला सकते हैं।
1 पूजा घर की दिशा और स्थान
- पूजा घर का सर्वोत्तम स्थान ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में होना चाहिए। यह दिशा सूर्य की पहली किरणों को ग्रहण करती है, जिससे यह भाग शुद्ध और ऊर्जा से भरपूर रहता है।
- यदि ईशान कोण उपलब्ध नहीं है, तो उत्तर या पूर्व दिशा में भी पूजा स्थल बनाया जा सकता है।
- दक्षिण दिशा में पूजा घर नहीं बनाना चाहिए। यह दिशात्मक दृष्टि से अशुभ मानी जाती है।
- पूजा घर शयनकक्ष (बेडरूम), बाथरूम के पास, ऊपर या नीचे नहीं होना चाहिए।
2 पूजा करते समय मुख की दिशा
- जब आप पूजा करें तो आपका मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इससे ध्यान केंद्रित रहता है और शुभ ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
- भगवान की मूर्तियाँ या तस्वीरें पूर्व या उत्तर दिशा की दीवार पर इस तरह रखें कि उनका मुख पश्चिम या दक्षिण की ओर हो, जिससे पूजा करते समय आप पूर्व या उत्तर दिशा की ओर बैठे रहें।
3 मूर्तियों का स्थान
- मूर्तियाँ कभी भी उत्तर दिशा की ओर मुख करके नहीं रखनी चाहिए, नहीं तो पूजा करने वाले को दक्षिण की ओर बैठना पड़ेगा जो वास्तु अनुसार अनुचित है।
- मूर्तियाँ दीवार में बनी हुई अलमारियों (आली) में या लकड़ी/संगमरमर के बने ऊँचे आसन पर रखें। फर्श पर सीधे मूर्ति न रखें।
- खंडित या भग्न मूर्तियाँ और फटी-पुरानी तस्वीरें पूजा घर में नहीं होनी चाहिए।
4 दीपक और हवन स्थान
- दीपक या हवन कुंड को पूजा कक्ष में दक्षिण-पूर्व (आग्नेय कोण) में रखें, क्योंकि यह अग्नि का स्थान माना जाता है।
- पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री को सुंदर और सुव्यवस्थित तरीके से रखें। पूजा घर में अनावश्यक वस्तुएँ नहीं रखें।
5 स्वच्छता और सजावट
- पूजा घर हमेशा स्वच्छ और सुगंधित रहना चाहिए। यह स्थान पवित्र होता है, इसलिए आसपास और इसके ऊपर/नीचे शौचालय या गंदगी नहीं होनी चाहिए।
- दीवारों और फर्श के लिए सफेद, हल्का पीला या आसमानी रंग शुभ माने गए हैं।
- संगमरमर का उपयोग, विशेषकर सफेद या हल्के पीले रंग का, शुभ माना जाता है।
6 द्वार और वास्तु सज्जा
- पूजा घर के लिए द्वार दो पल्लों वाला और उत्तम श्रेणी की लकड़ी से बना होना चाहिए।
- द्वार के नीचे दहलीज (threshold) अवश्य होनी चाहिए।
- पूजा घर को कभी भी अन्य उपयोगों के लिए नहीं लेना चाहिए, जैसे स्टोररूम या बैठने का स्थान।
7. तुलसी का पौधा
- घर के आंगन में या पूजा घर के समीप तुलसी का पौधा अवश्य लगाएं। तुलसी की पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना गया है और यह वातावरण को शुद्ध करती है।
वास्तु के अनुसार बनाया गया पूजा घर न केवल आपके घर की आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है बल्कि मन को शांत और स्थिर भी करता है। यह स्थान परिवार में सकारात्मकता, प्रेम, एकता और समृद्धि का स्रोत बनता है।
अगर आप नया घर बना रहे हैं या घर में पूजा स्थान की स्थापना करना चाहते हैं, तो उपरोक्त नियमों का पालन अवश्य करें। एक छोटा सा पूजा स्थान भी अगर वास्तु संगत हो, तो वह चमत्कारी रूप से लाभदायक सिद्ध हो सकता है।