
राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने हाल ही में एक बयान में दावा किया कि कांग्रेस पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के एक महत्वपूर्ण वादे को पूरा नहीं किया. उनके अनुसार यह वादा देश के विकास और जनता के कल्याण से जुड़ा था जो आज तक अधूरा है. प्रशांत किशोर ने इतिहास के पन्नों को खंगालते हुए इस मुद्दे को उठाया और कांग्रेस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि यह वादा जनता के प्रति जवाबदेही और विश्वास का प्रतीक था जिसे नजरअंदाज किया गया.
प्रशांत किशोर ने अपने बयान में बताया कि राजीव गांधी ने अपने कार्यकाल में देश की प्रगति और सामाजिक समरसता के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाओं की बात की थी. इनमें से एक वादा था जिसे जनता के बीच काफी उम्मीदों के साथ प्रस्तुत किया गया था. यह वादा प्रशासनिक सुधारों और जनकल्याणकारी योजनाओं से संबंधित था. किशोर का कहना है कि इस वादे को पूरा करने में कांग्रेस ने रुचि नहीं दिखाई जिसके परिणामस्वरूप जनता का भरोसा टूटा.
प्रशांत किशोर ने कांग्रेस की नीतियों और नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि पार्टी ने बार-बार जनता से किए गए वादों को भुलाने की आदत बना ली है. उन्होंने दावा किया कि राजीव गांधी के समय की गई घोषणाएं केवल चुनावी वायदों तक सीमित रह गईं. किशोर ने यह भी कहा कि कांग्रेस ने अपने शासनकाल में कई अवसर गंवाए जिसके कारण जनता में असंतोष बढ़ा. उनके अनुसार यह अधूरा वादा आज भी राजनीतिक चर्चाओं में प्रासंगिक है.
प्रशांत किशोर के इस बयान का वर्तमान राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है. उनके बयान से कांग्रेस को अपनी रणनीति और जनता के बीच विश्वसनीयता पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता हो सकती है. किशोर ने यह भी संकेत दिया कि अन्य राजनीतिक दल भी इस मुद्दे को उठाकर जनता के बीच अपनी स्थिति मजबूत कर सकते हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि जनता अब ऐसी पार्टियों को जवाबदेह बनाना चाहती है जो अपने वादों को पूरा न करें.
प्रशांत किशोर ने सुझाव दिया कि राजनीतिक दलों को अपने वादों के प्रति गंभीर होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जनता के भरोसे को जीतने के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही जरूरी है. किशोर ने यह भी कहा कि राजीव गांधी के अधूरे वादे को अब पूरा करने का समय है ताकि जनता का विश्वास बहाल हो सके. उनके इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है और आने वाले समय में इसके प्रभाव देखने को मिल सकते हैं.