
22 जुलाई 2025: सावन की शिवरात्रि क्या है?
सावन की शिवरात्रि, भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पवित्र व्रत और पर्व है, जो सावन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से शिव भक्तों के लिए बेहद शुभ माना जाता है क्योंकि सावन का महीना स्वयं शिव को अत्यंत प्रिय है।
शिवरात्रि की पौराणिक कथा
पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब हलाहल विष निकला था, तब संपूर्ण ब्रह्मांड की रक्षा हेतु भगवान शिव ने उस विष को अपने कंठ में धारण किया। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया और उन्हें नीलकंठ कहा जाने लगा। कहा जाता है कि यह घटना शिवरात्रि की रात को ही घटी थी।
ऐसी भी कथा है कि, पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए हिमालय क्षेत्र में कठोर तपस्या की थी। उन्होंने अनेक वर्षों तक केवल फल, फिर केवल बेलपत्र, और अंत में वायु पर रहकर शिव की उपासना की।
सावन के ही महीने में चतुर्दशी की रात्रि को शिव प्रकट हुए और पार्वती को स्वीकार किया। उसी दिन को सावन की शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।
विशेषकर कुवारें युवक-युवतियाँ इस दिन उत्तम जीवनसाथी की कामना से व्रत करते हैं।
11 जुलाई से आरंभ हुई कावड़ यात्रा का समापन 23 जुलाई को शिवरात्रि पर होगा l कांवड़ यात्रा का जल सावन माह की शिवरात्रि पर चढ़ाया जाता है l इस वर्ष 2025 में सावन माह की शिवरात्रि 23 जुलाई, बुधवार के दिन पड़ रही है l सावन माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन भोलेनाथ के लिए व्रत किया जाता है l और इसी दिन कावड़ जल श्रद्धापूर्वक शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है l इस दिन को सावन शिवरात्रि या श्रावण शिवरात्रि कहते हैं l
सावन की शिवरात्रि का महत्व
- यह दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सर्वोत्तम माना गया है।
- जो व्यक्ति सच्चे मन से व्रत और पूजा करता है, उसे शिव की कृपा से संतान, सुख, स्वास्थ्य, और समृद्धि प्राप्त होती है।
- शिवरात्रि का व्रत मन, वचन और कर्म से पवित्र रहने का प्रतीक है।
सावन शिवरात्रि व्रत एवं पूजन विधि
प्रातः काल की तैयारी
- सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें।
- स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
शिवलिंग की पूजा विधि:
- शिवलिंग का अभिषेक करें – गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से रुद्राभिषेक करें।
- बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद पुष्प और चंदन भगवान शिव को अर्पित करें।
- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
- दीपक जलाकर शिव चालीसा या शिव स्तोत्र का पाठ करें।
रात्रि पूजन और जागरण:
- रात्रि को पुनः अभिषेक करें और चार प्रहर की पूजा करें।
- शिव पंचाक्षर मंत्र (“ॐ नमः शिवाय”) या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- व्रतधारी रातभर जागरण करते हैं और शिव भजन गाते
व्रत के नियम
- उपवास के दौरान अन्न का सेवन न करें, फलाहार या केवल जल ग्रहण करें।
- मानसिक और शारीरिक पवित्रता बनाए रखें।
- व्रत के दिन निंदा, क्रोध और असत्य वचन से बचें।
- जरूरतमंदों को दान दें और गौ सेवा करें।
सावन की शिवरात्रि एक ऐसा पर्व है जो आत्मा की शुद्धि, भक्ति और शिव कृपा प्राप्त करने का माध्यम है। यह दिन भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति दोनों के लिए अत्यंत फलदायक है। संकल्प, संयम और श्रद्धा से किया गया यह व्रत जीवन के समस्त संकटों को दूर करता है और शिव की कृपा प्राप्त होती है।
हर हर महादेव l