
तख्तापलट औऱ इस्तीफे की बारी…
घड़ी की सुईंया गिन रहे हैं मो. युनूस….. बांग्लादेश में एक बार फिर सड़कों पर उतरे हैं लोग….फिर गृहयुद्ध जैसे हालात हैं…तख्तापलट औऱ इस्तीफे की कहानी बुनी जा रही है….. बांग्लादेश की सियासत में एक बार फिर भूचाल आया है… अचानक ऐसा क्या बदला है, जिससे देश में सियासी हलचल पैदा हो गई है? बांग्लादेश के सेना प्रमुख की तरफ से हाल ही में ऐसा क्या-क्या कहा गया, जिसे यूनुस सरकार के लिए अल्टीमेटम के तौर पर देखा जा रहा है… बांग्लादेश इन दिनों राजनीतिक अस्थिरता है और गहराते संकट के दौर से गुजर रहा है देश….देश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने पहली बार अफना मुंह खोला है…औऱ देश के बिगड़े हालातों पर खुलकर चिंता जाहिर की है. कि अवामी लीग पर लगे प्रतिबंध के बाद देश गृहयुद्ध जैसे हालात बन गये है और पूरे सिस्टम पर इसका गहरा असर पड़ा है. देश की पूर्व प्रधानमंत्री…औऱ शेख हसीना की कट्टर विरोधी खालिदा जिया जल्द चुनाव चाहती हैं…औऱ खालिदा जिया की पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस से मांग तक रख दी है…कि आम चुनाव की स्पष्ट तारीख घोषित करें…यहां तक कि BNP का साफ कहना है कि दिसंबर 2025 तक देश में आम चुनाव कराए जाएं, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को फिर से पटरी पर लाया जा सके….इसका मतलब ये भी हो सकता है कि खालिदा जिया को पार्टी की जीत का भरोसा है….इधर BNP की स्थायी समिति के सदस्य हैं खंदाकर मुशर्रफ हुसैन…. मो. यूनुस से इनकी एक मुलाकात होती है…और इसी मुलाकात के बाद उन्होंने कहा ‘विवादित सलाहकारों’ को मंत्रिपरिषद से हटाया जाना चाहिए…. उन्होंने कहा कि कुछ नामों को लेकर जनता और पार्टी दोनों में असंतोष है जैसे महफुज आलम और आसिफ महमूद शोजिब भुइयां. ये दोनों स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन (SAD) आंदोलन से जुड़े रहे हैं, और उन्हें प्रतिनिधित्व देने के निर्णय को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं…अब देखने वाली बात ये है कि ये वाकई चुनाव की तैयारी पर फोकस हैं ये फिर यूं ही टालामटोली चल रही है….BNP के साथ-साथ जमात-ए-इस्लामी और नेशनल सिटीजन पार्टी (NCP) जैसे अन्य दल भी चुनाव की समयसीमा पर अलग-अलग राय रखते हैं. जमात प्रमुख शफीकुर रहमान का कहना है कि फरवरी 2026 तक सभी सुधारों को पूरा कर मतदान हो. वहीं NCP ने पहले स्थानीय निकाय चुनाव की मांग रखी है, जिसका BNP ने विरोध किया है…हैलैंकि सरकार कह रही है सब ठीक ठाक है….तमाम विरोधों के बावजूद खुद को लोकतांत्रिक दिखाने के प्रयास में है युनूस सरकार… उनकी तरफ से ये कहा जा रहा है कि “देश के सभी प्रमुख राजनीतिक दल यूनुस सरकार पर भरोसा जता चुके हैं और हम स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए प्रतिबद्ध हैं….तो अभ सवाल ये है कि आखिर चुनाव कब तक होंगे….सूत्रों के मुताबिक जो संकेत मिल रहे हैं चुनाव 2025 के दिसंबर से लेकर 2026 के जून के बीच कराए जा सकते हैं. लेकिन विपक्ष इस टालमटोल से असहमत है और जल्द से जल्द चुनावी टाइमलाइन घोषित करने पर अड़ा हुआ है….हालिया समय में स्वायत्तता के कुछ मुद्दों पर यूनुस पूरी तरह से घिरती चली जा रही है…, जिस वजह से उनकी छवि पर भी गलत असर पड़ा है….जैसे शेख हसीना ने आरोप लगाया कि उन्होंने देश को बेच दिया है….बाइडन सरकार के हाथों की कठपुतली रहे… ऐसे कई आरोप हैं…उनके कई फैसलों को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है..तो जिस तरह से युनूस सरकार बनी थी उसका अंत भी वैसा ही हो सकता है…क्योंकि सत्ता की लड़ाई में कुछ भी संभव है…