
भारत की नीति दुनिया के सामने स्पष्ट
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का रुख एक बार फिर साफ कर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवादियों को पीड़ितों के बराबर रखने की नीति को कभी स्वीकार नहीं करेगा। यह बयान उन्होंने हाल ही में ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी के साथ हुई एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान दिया। जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को समझें और इसका समर्थन करें।
जयशंकर ने बैठक में स्पष्ट किया कि भारत अपने सहयोगी देशों से यह उम्मीद करता है कि वे आतंकवाद के प्रति सख्त रवैया अपनाएंगे। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और इसे पीड़ितों के समकक्ष रखना अनुचित है। विदेश मंत्री ने भारत की नीति को दोहराते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कोई समझौता नहीं होगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली नीतियों का कड़ा विरोध करता है और ऐसी गतिविधियों को कभी सफल नहीं होने देगा।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब वैश्विक मंचों पर आतंकवाद की परिभाषा और उसके प्रति दृष्टिकोण को लेकर बहस चल रही है। जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों की उस प्रवृत्ति पर भी सवाल उठाए जो आतंकी घटनाओं पर चुप्पी साध लेते हैं। उन्होंने कहा कि भारत को उपदेश देने वालों की नहीं, बल्कि इस लड़ाई में साथ देने वाले मित्रों की जरूरत है। यह बयान संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुट्रेस के उस बयान के जवाब में भी देखा जा रहा है जिसमें उन्होंने युद्ध को समस्या का समाधान नहीं बताया था।
जयशंकर के इस बयान की सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा हो रही है। कई लोगों ने उनके सख्त रुख की तारीफ की है और इसे भारत की मजबूत विदेश नीति का हिस्सा बताया है। कुछ यूजर्स ने लिखा कि जयशंकर ने भारत के हितों को वैश्विक मंच पर बेबाकी से रखा है। वहीं कुछ का मानना है कि यह बयान भारत की उस नीति को दर्शाता है जो आतंकवाद के खिलाफ बिना किसी समझौते के लड़ाई को प्राथमिकता देती है।
भारत लंबे समय से आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करता रहा है। जयशंकर ने इस बैठक में यह भी कहा कि भारत अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर आतंकवाद के खात्मे के लिए काम करेगा। उन्होंने ब्रिटेन से इस दिशा में और मजबूत सहयोग की उम्मीद जताई। यह बयान न केवल भारत की कूटनीतिक दृढ़ता को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक समुदाय को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का संदेश भी देता है।