
बड़ी बहिन ने अपनी खुशियों का त्याग कर बनाया डॉक्टर
बिहार के किशनगंज के डॉ. अभिनव ने एम्स में एमबीबीएस में शीर्ष स्थान प्राप्त कर राष्ट्रपति से गोल्ड मेडल और प्रशस्ति पत्र प्राप्त किया। पिता के निधन के बाद उनके संघर्ष और बड़ी बहन के सहयोग से उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की। उनकी इस सफलता में बड़ा बहन का खास योगदान है।
बिहार के किशनगंज जिले के रहने वाले युवा डॉ. अभिनव ने मेडिकल क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल कर राष्ट्रपति के हाथों गोल्ड मेडल हासिल कर चौंका दिया है। इस बड़ी उपलब्धि के बाद डॉ. अभिनव अग्रवाल के किशनगंज आगमन पर उनका भव्य स्वागत हुआ। उनके घर पर शुभचिंतकों की भीड़ लग गयी।
उनके स्वागत में किशनगंज जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष संजय कुमार जैन, डॉ. कुमार शैलेंद्र, सुभाष अग्रवाल, दीपक शर्मा, विकास जालान, संगीता जैन, कुक्कू शर्मा, मोनालिसा शैलेन्द्र सहित बड़ी संख्या में लोग डॉ. अभिनव को बधाई देने और स्वागत करने पहुंचे।
संजय कुमार जैन, डॉ. कुमार शैलेंद्र और चाचा सुनील ने बताया कि बचपन से ही अभिनव मेघावी रहा है। 10वीं क्लास में उसके पिता का निधन हो गया। इसके बाद उनकी माता और दीदी अभिनव के भविष्य को संवारने के लिए हमेशा उसके साथ खड़े रहे।
डॉ. अभिनव ने दिल्ली एम्स से एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के साथ सैकरटिक विषय में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इस उपलब्धि पर एम्स की ओर से मेडिकल के छात्र को डॉ. सत्यानंद मेडल से नवाजा जाता है। डॉ. अभिनव की इसी उपलब्धि पर नई दिल्ली के भारत मंडपम में एम्स कॉन्वोकेशन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने डॉ. अभिनव को गोल्ड मेडल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
उन्हें गोल्ड मेडल के अलावा पूरे एम्स में तृतीय स्थान प्राप्त करने और स्टूडेंट ऑफ ईयर का प्रशस्ति पत्र भी महामहिम द्रौपदी मुर्मू ने प्रदान किया है।
डॉ. अभिनव के पिता स्वर्गीय डॉ. सुशील अग्रवाल की गिनती किशनगंज जिले के अग्रणी चिकित्सकों में होती रही। उनका देहांत लगभग 10 वर्ष पहले हुआ जब अभिनव 10वीं के छात्र थे। पिता के निधन के बाद उनकी बड़ी बहन दिव्या दीपशिखा डॉ. अभिनव का साया बनकर उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।
बड़ी बहन दिव्या इंजीनियर हैं और अपने छोटे भाई के भविष्य को सवांरने के लिए अपनी अच्छी खासी बड़े पैकेज वाली नौकरी का त्याग करते हुए भाई के भविष्य को सवांरने में जुट गई।
नवभारत टाइम्स.कॉम से बातचीत के दौरान डॉ. अभिनव ने बताया कि उनके पिता का सपना था कि मैं एक डॉक्टर बनूं और उनके क्लिनिक को एक बड़े अस्पताल में तब्दील करूं। उन्होंने बताया कि किशनगंज में छोटी-छोटी बीमारी को लेकर भी यहां के लोग बड़े शहरों में इलाज करवाने जाते हैं। किशनगंज में फिलहाल एक भी डॉक्टर डीएम नहीं हैं। मेरा लक्ष्य है कि मैं पीजी के बाद डीएम की डिग्री हासिल करूं और अपने जिले के मरीजों की सेवा कर अपने पिता के सपनों को साकार करूं।
डॉ. अभिनव ने किशनगंज के बालमंदिर स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा उतीर्ण की। इसके बाद नीट में प्रथम प्रयास में ही ऑल इंडिया 43 रैंक लाकर एम्स दिल्ली में दाखिला लिया।