
अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्ष की तृतीया शुभ होती है, किन्तु वैशाख माह की तृतीया तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है ।
एक कहानी के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन ही त्रेता युग की शुरुआत हुई थी और भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम का जन्म हुआ था. एक और कथा कहती है कि इसी दिन महाभारत के लेखक महर्षि वेद व्यास ने भगवान गणेश को महाकाव्य सुनाना शुरू किया था ।इसके अलावा, यह दिन भगवान कृष्ण और उनके बचपन के मित्र सुदामा की मुलाकात का भी दिन है ।
अक्षय तृतीया सबसे महत्वपूर्ण दिन है, जिसमें कोई भी शुभ काम कर सकते हैं ,क्योंकि इस पूरे दिन स्वयं सिद्ध मुहूर्त होता है।
इस बार अक्षय तृतीया 29 अप्रैल को है या फिर 30 अप्रैल को?
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यह सवाल इसलिए है क्योंकि अक्षय तृतीया की तिथि दो दिन 29 अप्रैल और 30 अप्रैल को पड़ रही है । ऐसे में यह जानना जरूरी है कि अक्षय तृतीया की सही तारीख क्या है?
काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट का कहना है कि अक्षय तृतीया वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि को होती है । सूर्योदय की तिथि का ही महत्व है ।
आइए जानते हैं कि 2025 की अक्षय तृतीया कब है? अक्षय तृतीया की सही तारीख क्या है? अक्षय तृतीया पर किसकी पूजा करते हैं? अक्षय तृतीया के 4 शुभ मुहूर्त कौन से हैं?
Akshay Tritiya 2025: अक्षय तृतीया का पर्व इस बार 30 अप्रैल दिन बुधवार को मनाया जा रहा है. माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए यह दिन बहुत शुभ माना जाता है ।इस दिन विधि विधान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाए तो घर-परिवार में सुख-शांति और समद्धि बनी रहती है ।
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है ।
और इस बार यह शुभ तिथि 30 अप्रैल दिन बुधवार को है। इस पर्व को अक्खा तीज या आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है अर्थात इस दिन बिना पंचांग देखें कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है ।
अक्षय तृतीया के दिन विधि विधान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से सुख-संपत्ति और समृद्धि में विस्तार होता है।और सभी दुख दूर भी होते हैं ।
शुभ मुहूर्त और शुभ संयोग:
वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल मंगलवार शाम 5:32 से शुरू होगी और 30 अप्रैल दोपहर 2:15 तक रहेगी। उदया तिथि होने से अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को मनाई जाएगी।
इस अक्षय तृतीया पर बुधवार रोहिणी नक्षत्र का शुभ संयोग बनेगा ।
इस योग में बड़े लेनदेन रियल एस्टेट में निवेश विशेष फायदेमंद होगा। ऐसा संयोग 2008 में बना था और अब 27 साल के बाद 2052 में बनेगा ।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस दिन पारिजात, गजकेसरी, केदार ,काहल ,हर्ष ,उभयचरी और वाशी सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग भी बना रहे हैं। इस तरह 10 महायोग में इस बार की अक्षय तृतीया बनेगी।
उदयातिथि के अनुसार, अक्षय तृतीया 30 अप्रैल, बुधवार को ही मनाई जाएगी. इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इस दिन सोना खरीदना विशेष रूप से शुभ माना जाता है ।
30 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजकर 12 मिनट तक सोना खरीदना सबसे अच्छा माना गया है ।
इस संयोग में खरीदारी निवेश लेनदेन और नई शुरुआत से लाभ होगा ।
मान्यता है कि ग्रहों की शुभ स्थिति बनने से हर तरह की खरीदारी और नई शुरुआत लंबे समय तक फायदा देने वाली होती है ।
स्कंद पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया पर खरीदा गया सोना समृद्धि देने वाला होता है।
इससे आत्मविश्वास और सकारात्मक में वृद्धि होती है। ऐसी स्थिति में की गई नई शुरुआत समृद्धि देने वाली होती है
ग्रहों का शुभ संयोग अक्षय तृतीया को बनाती है खास:
इस दिन ग्रहण का विशेष संयोग बनता है ।सूर्य और चंद्रमा अपनी उच्च राशि में होते हैं ।साल में सिर्फ एक दिन यह संयोग बनता है।
सूर्य मेष राशि में होता है और चंद्रमा वृषभ राशि में होता है ।
शास्त्रों में सूर्य को हमारा प्राण और चंद्रमा को हमारा मन माना गया है। सूर्य और चंद्रमा का संबंध बनने की वजह से यह तिथि बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है।
पूजन विधि :
अक्षय तृतीया के दिन सुबह स्नान से निवृत्ति हो पूजा की तैयारी की जाती है ।यह दिन उपवास के लिए भी उत्तम माना गया है ।इस दिन परशुराम भगवान की पूजा भी की जाती है। साथ ही कुल देवता ,इष्ट देवता ,पितर देवता की भी पूजा होती है ।
इस दिन लक्ष्मी नारायण यानि भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं।
अक्षय तृतीया के दिन अक्षत युक्त जल से स्नान करना चाहिए और भगवान विष्णु जी की मूर्ति पर अक्षत चढ़ाना चाहिए।
नारद पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन लक्ष्मी सहित भगवान विष्णु जी को पुष्प ,धूप , दीप,नैवेद्य, चंदन आदि से पूजा करना चाहिए ।इस दिन गंगाजल से स्नान का विधान है ।ऐसा करने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है ।इस दिन सभी तरह के रस, अन्न, शहद, जल से भरे घड़े ,फल, जूता, अन्न, गौ, भूमि आदि जरूरतमंद और ब्राह्मणों को दान में देना चाहिए। इस दिन शादी और खरीदारी का शुभ मुहूर्त होता है।