
जेंडर बदलना या जेंडर डिस्फोरिया को मानसिक बीमारी नहीं माना जाता है। यह एक ऐसा अनुभव है जिसमें व्यक्ति अपनी जन्मजात लिंग पहचान (जैसे पुरुष या महिला) और अपने वास्तविक, आंतरिक लिंग पहचान के बीच मतभेद महसूस करता है।
क्या मतलब होता हैं ट्रांसमैन और ट्रांसवुमन का ?
ट्रांसमैन:
वह व्यक्ति जो जन्म के समय महिला के रूप में पहचाना गया हो, लेकिन जो अपनी पहचान और भावनाओं में पुरुष होने का अनुभव करता है।
ट्रांसवुमन:
वह व्यक्ति जो जन्म के समय पुरुष के रूप में पहचाना गया हो, लेकिन जो अपनी पहचान और भावनाओं में महिला होने का अनुभव करता है।
क्या ये मानसिक बीमारी होती हैं?
जेंडर बदलना या जेंडर डिस्फोरिया को मानसिक बीमारी नहीं माना जाता है। यह एक ऐसा अनुभव है जिसमें व्यक्ति अपनी जन्मजात लिंग पहचान (जैसे पुरुष या महिला) और अपने वास्तविक, आंतरिक लिंग पहचान के बीच मतभेद महसूस करता है। इसे आमतौर पर चिकित्सा और मानसिक स्वास्थ्य संगठनों द्वारा मानसिक विकार के रूप में नहीं, बल्कि एक लिंग पहचान का अंतर माना जाता है।
जेंडर बदलने पर वैज्ञानिक और सामाजिक विचार
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2019 में जेंडर डिस्फोरिया को मानसिक विकार की श्रेणी से हटाकर “सेक्सुअल हेल्थ कंडीशन” के रूप में मान्यता दी है। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया कि जेंडर बदलने की प्रक्रिया को मानसिक विकार का नाम न दिया जाए, बल्कि इसे एक सामान्य और स्वाभाविक पहचान मानते हुए इसे सामाजिक रूप से स्वीकार किया जाए।
ट्रांसजेंडर लोगों के अधिकारों को लेकर दुनिया भर में जागरूकता बढ़ी है, और अब कई देशों में उन्हें कानूनी रूप से उनकी पसंद का लिंग अपनाने का अधिकार है।
क्या ट्रांसजेंडर लोग पैरेंट्स बन सकते हैं?
जी हाँ, ट्रांसजेंडर लोग माता-पिता बन सकते हैं। यह कई तरीकों से संभव हो सकता हैं-
जैविक बच्चे: जेंडर बदलने से पहले कुछ ट्रांसजेंडर लोग अपने स्पर्म या एग्स (अंडाणु) को संरक्षित करवा लेते हैं, जिससे वे भविष्य में जैविक रूप से बच्चे कर सकते हैं।
सहायक प्रजनन तकनीकें: जैसे कि सरोगेसी (किराए की कोख) के जरिए भी बच्चे का जन्म संभव है।
दत्तक ग्रहण (एडॉप्शन): ट्रांसजेंडर व्यक्ति या जोड़े बच्चे गोद भी ले सकते हैं, अगर उनके देश की कानून और नीतियां इसकी अनुमति देती हैं।
क्यों बनते हैं लोग ट्रांसजेंडर इसका क्या कारण हैं?
लोग ट्रांसजेंडर इस कारण बनते हैं क्योंकि उनकी लिंग पहचान (gender identity) उनकी जन्म के समय दी गई लिंग पहचान से मेल नहीं खाती है। यह एक प्राकृतिक और जटिल प्रक्रिया है, जिसमें जैविक, मानसिक, और सामाजिक तत्व शामिल होते हैं।
कुछ फैक्टर जिनकी वजह से यह होता हैं-
ट्रांसजेंडर होना कोई “चुनाव” नहीं है (Being Transgender is Not a Choice)
लिंग डिस्फोरिया (Gender Dysphoria)
सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव (Social and Cultural Factors)
मनोवैज्ञानिक कारण (Psychological Factors)
जैविक कारण (Biological Factors)
निष्कर्ष-
ट्रांसजेंडर होना जन्मजात और प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो जैविक, मानसिक और सामाजिक कारकों से मिलकर बनती है। हर इंसान की पहचान और अनुभूति अलग होती है, और ट्रांसजेंडर लोग अपनी पहचान को अपनाकर एक बेहतर और संतुष्ट जीवन जी सकते हैं।