डिजिटल अरेस्ट: क्या और कैसे यह अपराधी लोगों से लूटते है पैसे?

आजकल डिजिटल दुनिया में तेजी से बढ़ते साइबर क्राइम्स और धोखाधड़ी की घटनाएं आम हो गई हैं। इनमें से एक ऐसी धोखाधड़ी है जिसे “डिजिटल अरेस्ट” कहा जाता है, जो इंटरनेट के जरिए लोगों को फंसा कर उनका पैसा लूटने का एक नया तरीका बन चुकी है। आइए जानते हैं कि डिजिटल अरेस्ट क्या है, और अपराधी इसे कैसे अंजाम देते हैं।

डिजिटल अरेस्ट क्या है?

डिजिटल अरेस्ट एक तरह की साइबर धोखाधड़ी है, जिसमें अपराधी एक फर्जी आरोप या अपराध के तहत व्यक्ति को साइबर स्पेस में “अरेस्ट” कर लेने का डर दिखाते हैं। इसका मतलब है कि इंटरनेट या फोन के जरिए, कोई व्यक्ति आपको यह बताता है कि आपके खिलाफ कोई गंभीर मामला दर्ज है और आपको तत्काल एक बड़ा रकम जुर्माने के रूप में देने की आवश्यकता है, ताकि आपका नाम और पहचान साफ किया जा सके। इस तरह के धोखाधड़ी वाले मामलों में अपराधी अपनी पहचान छुपा कर लोगों को फंसा लेते हैं और उन्हें पैसों की मांग करते हैं।

कैसे काम करता है डिजिटल अरेस्ट?

यह धोखाधड़ी अक्सर दो तरीकों से की जाती है: फर्जी पुलिस अधिकारियों का फोन: अपराधी खुद को पुलिस या सरकारी अधिकारी के रूप में पेश करते हैं और यह कहते हैं कि आपके खिलाफ किसी बड़े अपराध का मामला दर्ज हो चुका है। वे आपको धमकाते हैं कि अगर आपने जल्दी से जुर्माना नहीं भरा तो आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

इसके बाद वे आपको लिंक या QR कोड भेजते हैं, जिसके जरिए आप पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं। फर्जी न्यायिक आदेश या समन: कुछ मामलों में, अपराधी फर्जी समन या अदालत के आदेश भेजते हैं, जिसमें लिखा होता है कि आपको एक जुर्माना जमा करना होगा। वे इसे इतना असल दिखाते हैं कि लोग धोखे में आकर पैसे ट्रांसफर कर देते हैं।

क्यों फंस जाते हैं लोग?

  1. डर और घबराहट: जब किसी व्यक्ति को यह डर सता रहा होता है कि उसके खिलाफ कोई गंभीर मामला चल रहा है, तो वह जल्दबाजी में गलत निर्णय ले सकता है। ऐसे में, इन अपराधियों द्वारा किए गए दबाव और फर्जी कागजात से लोग अक्सर घबराकर बिना किसी जांच के पैसे ट्रांसफर कर देते हैं।
  2. पेशेवर तरीके से की गई धोखाधड़ी: अपराधी इतने पेशेवर होते हैं कि वे अपनी आवाज़, संवाद और कागजों को इस तरह से पेश करते हैं कि व्यक्ति को यह असली लगता है। वे आपकी जानकारी तक पहुंचने के लिए सोशल इंजीनियरिंग का उपयोग करते हैं, जैसे आपकी व्यक्तिगत जानकारी इकट्ठा करना और इसे आपको विश्वास दिलाने के लिए इस्तेमाल करना।

कैसे बचें डिजिटल अरेस्ट से?

  1. फोन कॉल्स या मैसेजेस की जांच करें: कभी भी अनजान नंबर से आए कॉल्स या संदेशों पर भरोसा न करें। किसी भी कानूनी मामले की जानकारी के लिए संबंधित सरकारी विभाग से सीधे संपर्क करें।
  2. संदेह होने पर सही अधिकारियों से संपर्क करें: यदि आपको किसी प्रकार का समन या जुर्माने का नोटिस मिलता है, तो सबसे पहले उस पर लिखित जानकारी प्राप्त करें और संबंधित पुलिस या न्यायालय से संपर्क करें।
  3. पैसे ट्रांसफर करने से पहले सावधान रहें: अगर आपको किसी भी प्रकार की धमकी दी जाती है या पैसों की मांग की जाती है, तो बिना किसी आधिकारिक पुष्टि के पैसे न भेजें। पहले मामले की पुष्टि करें, फिर ही कोई निर्णय लें।
  4. साइबर सुरक्षा का पालन करें: अपने कंप्यूटर और मोबाइल फोन पर मजबूत पासवर्ड रखें और किसी भी संदिग्ध लिंक या ईमेल से बचें। फिशिंग अटैक से बचने के लिए दो-चरणीय प्रमाणीकरण का इस्तेमाल करें।

डिजिटल अरेस्ट एक नई तरह की धोखाधड़ी है जो लोगों को उनके डर का फायदा उठाकर पैसे लूटने का काम करती है। इस धोखाधड़ी से बचने के लिए जानकारी होना जरूरी है। किसी भी प्रकार के धोखाधड़ी से बचने के लिए सतर्क रहें और किसी भी अनजान कॉल, ईमेल या संदेश को तुरंत नजरअंदाज करें। ऐसे मामलों में सटीक जानकारी और सरकारी अधिकारियों से सीधे संपर्क करने से ही धोखाधड़ी से बचा जा सकता है।

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