
फिर बढ़ी समयसीमा
दिल्ली एयरपोर्ट पर प्रस्तावित एयर ट्रेन परियोजना देरी से चल रही है, जिसमें नई समयसीमा 16 अप्रैल 2025 तय की गई है। इसके साथ ही डीआईएएल इस समय टर्मिनल 1 और टर्मिनल 2-3 के बीच आवागमन को आसान बनाने के लिए बस सेवाएं बढ़ा रहा है।
दिल्ली एयरपोर्ट पर प्रस्तावित एयर ट्रेन का काम धीमी गति से चल रहा है। DIAL ने इस जरूरी प्रोजेक्ट के लिए जमा करने की आखिरी तारीख एक महीने और बढ़ा दी है। यह प्रोजेक्ट पहले से ही देरी से चल रहा है। ऐसा इस प्रोजेक्ट में रुचि दिखाने वालों के अनुरोध पर किया गया है। कई कंपनियों ने इस ऑटोमेटेड पीपल मूवर में रुचि दिखाई है। यह APM दिल्ली एयरपोर्ट को भारत का पहला सही मायने में हब बनाने के लिए जरूरी है।
अभी लगभग 7 किमी दूर टर्मिनल 1 और टर्मिनल 2-3 के बीच यात्रा करना कनेक्टिंग फ्लाइट लेने वाले यात्रियों के लिए एक बड़ी समस्या है। जब तक एयर ट्रेन नहीं बन जाती, तब तक DIAL ट्रांजिट यात्रियों के लिए यात्रा को कैसे आसान बनाएगा? DIAL के CEO विदेह कुमार जयपुरियार ने हाल ही में बताया, “हम T3/2 और T1 के बीच चलने वाली बसों की संख्या बढ़ा रहे हैं। DTC के अलावा, अन्य कंपनियां भी बसें चलाएंगी। एक ही PNR (एक ही एयरलाइन या ग्रुप) पर कनेक्टिंग फ्लाइट लेने वाले यात्रियों का चेक-इन बैगेज एयरसाइड ट्रांसफर कर दिया जाएगा। उन्हें बस में बैग ले जाने की जरूरत नहीं होगी। दोनों टर्मिनलों पर बस वेटिंग लाउंज होगा जहां से वे ट्रांसफर बस में चढ़ने का कूपन ले सकेंगे।”
वही एयरपोर्ट्स इकोनॉमिक रेगुलेटरी अथॉरिटी द्वारा दिल्ली एयरपोर्ट के 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2029 तक के टैरिफ निर्धारण के लिए जारी की गई एडवाइजरी के अनुसार, “APM पहले से ही बिडिंग स्टेज में है।इसके साथ ही मार्च 2028 तक चालू होने की उम्मीद है।इसके साथ ही यह T1 से T3 और T3 से T1 दोनों तरफ चलेगी। DIAL को शुरू में प्रतिदिन 40,000 से 50,000 यात्रियों के आवागमन की उम्मीद है, जिसे बाद में फ्रीक्वेंसी बढ़ाकर 80,000 से 90,000 यात्रियों प्रतिदिन तक किया जाएगा। ट्रांसफर यात्रियों के लिए APM मुफ्त होगी, जबकि बाकी यात्रियों को इसके लिए भुगतान करना होगा।”
प्रस्तावित एयर ट्रेन का 7.7 किमी का रूट लगभग 75% या 5.7 किमी एलिवेटेड और 2 किमी जमीनी स्तर पर होगा। जमीनी स्तर वाला हिस्सा दो जगहों पर होगा – T1 से ठीक पहले और मुख्य रनवे पार करने तक और फिर एलिवेटेड टैक्सीवे के नीचे। बाकी सब एलिवेटेड होगा, कार्गो स्टेशन पर कार्गो टर्मिनल से जोड़ने के लिए एक स्काईवॉक का प्रस्ताव है। लागत बढ़ने से बचने के लिए DIAL ने अंडरग्राउंड सेक्शन नहीं बनाने का फैसला किया है।
भारत में एलिवेटेड मेट्रो लाइनों की प्रति किमी औसत लागत 250-300 करोड़ रुपये, अंडरग्राउंड के लिए 500-600 करोड़ रुपये है।इसी के साथ इसमें ट्रेन, सिग्नल, इलेक्ट्रिकल और सिविल वर्क सहित सभी लागतें शामिल हैं। एयर ट्रेन की लागत 1,500-1,600 करोड़ रुपये तक हो सकती है। मोदी 2.0 में केंद्रीय विमानन मंत्रालय ने एयरपोर्ट ऑपरेटर को इस परियोजना के लिए यात्रियों से अतिरिक्त शुल्क लेने की अनुमति नहीं दी थी और उसे पहले इसे बनाने और फिर लागत वसूलने को कहा था।