
भोपाल l भोपाल में सांसद आलोक शर्मा ने बैठक के दौरान नाराज होकर बैठक भी स्थगित कर दी। नगर निगम कमिश्नर गैरहाजिरी और फोन न उठाने की वजह से सांसद, विधायक और महापौर भी नाराज हो गए। सांसद आलोक शर्मा ने इसे भोपाल की जनता और जनप्रतिनिधियों का भी अपमान बताया।
राजधानी में एक बैठक में अफसरों की लापरवाही भी सामने आई। सांसद आलोक शर्मा, नगर निगम कमिश्नर के रवैये से नाराज़ होकर बैठक भी छोड़कर चले गए। कमिश्नर ने सांसद का फोन भी नहीं उठाया। इससे नाराज़ होकर सांसद ने इसे जनता और जनप्रतिनिधियों का भी अपमान बताया। कमिश्नर ने सफाई में कहा है कि उन्हें बैठक की सूचना भी नहीं मिली थी।
अफसरों की मनमानी पर भी उठे सवाल
भोपाल में कई अफसर अब भी मनमानी कर रहे हैं। वे सांसद और विधायकों की बात नहीं सुन रहे हैं। ऐसे में वे जनता की भी बात क्या सुनेंगे? ऐसा ही एक मामला भोपाल में भी सामने आया। इससे नाराज़ होकर सांसद आलोक शर्मा बैठक छोड़कर भी चले गए। नगर निगम कमिश्नर की मनमानी से सांसद आलोक शर्मा भी नाराज़ थे। उन्होंने बैठक बीच में ही छोड़ दी। हैरानी की बात यह है कि कमिश्नर ने सांसद का भी फोन तक नहीं उठाया। इससे गुस्साए सांसद ने नगर निगम के अधिकारियों के व्यवहार पर कड़ी आपत्ति भी जताई। उन्होंने कहा है कि यह भोपाल की जनता और उनके प्रतिनिधियों का भी अपमान है।
कमिश्नर ने भी दी सफाई
नगर निगम कमिश्नर ने इस पर भी सफाई दी। उन्होंने कहा है कि उन्हें बैठक की कोई भी जानकारी नहीं थी। सांसद आलोक शर्मा पहली बार जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की भी बैठक ले रहे थे। बैठक में नगर निगम के कई अफसर भी गायब थे। जब नगर निगम के कामकाज की समीक्षा भी की गई, तो भी यही हाल था। इससे सांसद और भी नाराज़ हो गए।
मीटिंग में भी अनुपस्थित मिले तो लगाया कॉल
सांसद ने भी पूछा कि नगर निगम कमिश्नर हरेंद्र नारायण यादव कहां हैं। उन्हें बताया गया कि वे नहीं आए हैं। जब पूछा गया कि उनकी जगह कौन आया है, तो जवाब मिला कि कोई भी नहीं आया है। इसके बाद सांसद, महापौर और विधायक भगवान दास सबनानी ने नगर निगम कमिश्नर को भी फोन लगाया। लेकिन, उन्होंने किसी का भी फोन नहीं उठाया। इससे नाराज़ होकर सांसद आलोक शर्मा ने भी बैठक को रोक दिया।
भोपाल की जनता का भी अपमान
सांसद आलोक शर्मा ने कहा है कि नगर निगम कमिश्नर का बैठक में न आना भोपाल की 35 लाख जनता का भी अपमान है। उन्होंने यह भी कहा है कि वे विधायक और महापौर का फोन भी नहीं उठा रहे हैं। इसका मतलब है कि वे किसी की भी परवाह नहीं करते हैं।