पूर्व आईएफएस अधिकारी पर अवैधानिक नियुक्तियों का इल्जाम

ईओडब्ल्यू ने दर्ज किया मामला

पूर्व आईएफएस अधिकारी ललित मोहन बेलवाल पर राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में अवैधानिक नियुक्तियों का आरोप लगा है। ईओडब्ल्यू ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। बेलवाल पर पद का दुरुपयोग करके अनाधिकृत तरीके से नियुक्तियां करने के आरोप हैं। मामले में जांच प्रतिवेदन से पुष्टि हुई है कि उन्होंने 2015 से 2023 के बीच अवैध नियुक्तियां की थीं।

मध्य प्रदेश के एक पूर्व आईएफएस अधिकारी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पूर्व आईएफएस अधिकारी ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की है। उन पर राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में गलत तरीके से नियुक्तियां करने का आरोप है। उन्होंने अपने पद का गलत इस्तेमाल करके ये नियुक्तियां की थीं। शिकायत मिलने के बाद और कोर्ट के आदेश पर ईओडब्ल्यू ने जांच की और एफआईआर दर्ज की।

दरअसल, ललित मोहन बेलवाल पर आरोप है कि उन्होंने मुख्य कार्यपालन अधिकारी रहते हुए गलत तरीके से लोगों को नौकरी दी। यह नियुक्तियां राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में की गईं। आरके मिश्रा नाम के व्यक्ति ने 12 फरवरी 2024 को ईओडब्ल्यू में शिकायत दर्ज कराई थी। शुरुआत में इस पर कोई खास कार्रवाई नहीं हुई।

इसके बाद आरके मिश्रा ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) कोर्ट में मामला दायर किया। कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए ईओडब्ल्यू से 28 मार्च तक जांच रिपोर्ट मांगी। कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच करके बताएं कि क्या हुआ है। ईओडब्ल्यू ने कोर्ट को बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि नियुक्तियों में गड़बड़ी हुई है। ये नियुक्तियां सरकारी पद पर रहते हुए की गईं।

जांच अधिकारी नेहा मारव्या (जो अभी डिंडौरी की कलेक्टर हैं) ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास के प्रमुख सचिव को 8 जून 2022 को एक रिपोर्ट भेजी थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि ललित मोहन बेलवाल ने 2015 से 2023 के बीच अपने पद का गलत इस्तेमाल किया। उन्होंने राज्य परियोजना प्रबंधक के पदों पर सलाहकारों की गलत तरीके से नियुक्तियां कीं। उन्होंने विभागीय मंत्री की आपत्तियों को भी नहीं माना और नियुक्तियां कर दीं।

रिपोर्ट में यह बताया गया कि बेलवाल ने बिना योग्यता देखे सुषमा रानी शुक्ला और उनके परिवार के सदस्यों जैसे देवेंद्र मिश्रा, अंजू शुक्ला, मुकेश गौतम, ओमकार शुक्ला और आकांक्षा पांडे को मिशन के अलग-अलग पदों पर नियुक्त कर दिया गया। इसके अलावा, उन पर कई और तरह के गबन करने के भी आरोप हैं। इस पूरे मामले में ईओडब्ल्यू अब आगे की जांच कर रही है।

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