
आपसी तालमेल बढ़ाने की वकालत
लखनऊ। गाजियाबाद में हुई भाजपा और आरएसएस की बैठक में हिंदुत्व के संरक्षण पर जोर दिया गया। बांग्लादेश समेत अन्य जगहों पर हिंदुओं पर हमलों की चिंता व्यक्त की गई। भाजपा और आरएसएस ने तालमेल बढ़ाने और विभिन्न सामाजिक समूहों को एकजुट करने की आवश्यकता पर बल दिया।
गाजियाबाद में बीजेपी और आरएसएस की एक मीटिंग हुई। इस मीटिंग की सबसे खास बात यह रही कि हिंदुओं के हितों की रक्षा पर जोर दिया गया है। इससे एक बार फिर हिंदुत्व विचारधारा को मजबूत करने की बात सामने आई है।
मीटिंग में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और पार्टी के कई नेता शामिल हुए है। पश्चिम और ब्रज क्षेत्र के पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ आरएसएस के कई बड़े पदाधिकारी भी मौजूद थे। इनमें संयुक्त महासचिव अरुण कुमार और संघ के क्षेत्रीय और प्रांत प्रचारक शामिल थे।
मीटिंग में शामिल एक बीजेपी नेता ने बताया, ‘आरएसएस और बीजेपी दोनों ने बांग्लादेश और दूसरी जगहों पर हिंदुओं पर हो रहे हमलों पर चिंता जताई। संघ ने इस बात पर जोर दिया कि हिंदू समुदाय के हितों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।’
आरएसएस का हिंदुत्व पर जोर देने का बयान ऐसे समय में आया है, जब आरएसएस ने काशी और मथुरा मंदिर आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लेने के संकेत दिए हैं। हाल ही में, आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने कहा था कि संगठन मथुरा और काशी के लिए अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय भूमिका निभाने की अनुमति देगा। माना जा रहा है कि इस घोषणा से हिंदूवादी संगठनों में नई ऊर्जा का संचार होगा।
हिंदुत्व के प्रति आरएसएस का रुख इन समूहों के उस रुख के साथ मेल खाता है, जिसमें वे भारत की राजनीतिक चर्चा में हिंदू सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों को बढ़ावा देने की बात करते हैं। इसे एक व्यापक प्रवृत्ति के रूप में भी देखा जा रहा है, जहां बीजेपी और आरएसएस हिंदू राष्ट्रवाद से जुड़े मुद्दों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहरा रहे हैं।
बीजेपी के एक नेता ने बताया कि संघ ने बीजेपी और आरएसएस के बीच तालमेल बढ़ाने की जरूरत पर भी जोर दिया, ताकि अलग-अलग सामाजिक समूहों को एकजुट किया जा सके।
सूत्रों के अनुसार, आरएसएस ने ओबीसी और दलितों सहित विभिन्न सामाजिक समूहों को जुटाने वाली गतिविधियों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही है। ये दोनों समुदाय किसी भी पार्टी, जिसमें बीजेपी भी शामिल है, के राजनीतिक भविष्य को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सूत्रों ने बताया कि योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के नेताओं ने विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से सभी सामाजिक समूहों के हितों की रक्षा के लिए पार्टी की प्रतिबद्धता को दोहराया। आरएसएस ने बीजेपी के भीतर मजबूत तालमेल पर जोर दिया। यह पार्टी के भीतर एक महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में सामने आई है, भले ही पार्टी ने हाल ही में अपने नए प्रदेश अध्यक्ष और बाद में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए संगठनात्मक बदलाव किया है।
जानकारों का कहना है कि आरएसएस इस बात पर जोर देता रहा है कि एक मजबूत आंतरिक संगठन उतना ही महत्वपूर्ण है जितना बाहरी बातों पर ध्यान देना। आरएसएस की प्राथमिकता है कि पार्टी का संगठन अंदर से मजबूत हो।