भारत की वायुसेना को मजबूत बनाने के लिए मल्टी रोल फाइटर जेट खरीदने की योजना, जाने क्या जायेगा बदल।

भारत की वायुसेना की क्षमता में होगी वृद्धि, देश की रक्षा क्षमता भी होगी मजबूत।

भारतीय वायुसेना 114 नए लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए तेजी से कदम बढ़ा रही है। चयन प्रक्रिया में 7 विमान शामिल हैं, जिनमें से 6 का पहले ही परीक्षण हो चुका है। अमेरिका का F15 EX नया है, बाकी में डसॉल्ट राफेल, यूरोफाइटर, साब ग्रिपेन, F 21, F/A 18 सुपर हॉर्नेट और मिग 35 शामिल हैं।

नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना आसमान में भारत की ताकत और बढ़ाना चाहती है। एयर फोर्स 114 नए लड़ाकू विमान चाहिए। मल्टी रोल फाइटर जेट (MRFA) प्रोग्राम के तहत ये विमान जल्द ही खरीदे जा सकते हैं। वायुसेना 5 साल के अंदर पहला विमान तैनात करना चाहती है। 7 विमान इस दौड़ में शामिल हैं। ज्यादातर विमानों का पहले ही परीक्षण हो चुका है, इसलिए चुनाव प्रक्रिया तेज होगी।
वायुसेना MRFA प्रोग्राम के तहत 114 मल्टी रोल फाइटर जेट (MRFA) खरीदने की तैयारी में है। इसके लिए सात विमानों का ट्रायल होगा। वायुसेना चाहती है कि ट्रायल के बाद पांच साल के अंदर पहला विमान सेवा में आ जाए। क्योंकि ज्यादातर विमानों का परीक्षण पहले ही हो चुका है, इसलिए चुनाव प्रक्रिया तेज होगी। पूरा ट्रायल दो साल तक चल सकता था, लेकिन अब कम समय में ही फैसला आने की उम्मीद है।

इस बड़े सौदे के लिए 7 दावेदार हैं। इनमें से 6 का वायुसेना पहले ही अलग-अलग परिस्थितियों में परीक्षण कर चुकी है। सिर्फ बोइंग का F15 EX नया है, जिसका परीक्षण होना बाकी है। बाकी 6 दावेदारों में फ्रांस का डसॉल्ट राफेल, यूरोपीय यूरोफाइटर, स्वीडन का साब ग्रिपेन, अमेरिका का F 21 और F/A 18 सुपर हॉर्नेट, और रूस का मिग 35 शामिल हैं। अगर इनमें से किसी विमान में नए बदलाव किए गए हैं, तो उनका भी परीक्षण किया जाएगा।
यह प्रतिस्पर्धा करोड़ों डॉलर के सौदे के लिए है। भारत को अपनी वायुसेना को मजबूत बनाने के लिए इन नए लड़ाकू विमानों की सख्त जरूरत है। MRFA प्रोग्राम के जरिए वायुसेना अपनी ताकत बढ़ाना चाहती है। इन नए विमानों से दुश्मनों के हवाई हमलों से बचाव करने और जरूरत पड़ने पर हमला करने में मदद मिलेगी। चुनाव प्रक्रिया में तेज़ी लाने से वायुसेना को जल्द से जल्द ये अत्याधुनिक विमान मिल सकेंगे।

अगर किसी दावेदार ने अपने विमान में कोई नया फीचर या तकनीक जोड़ी है, तो उसका भी परीक्षण होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वायुसेना को सबसे बेहतरीन और आधुनिक तकनीक वाला विमान मिले। इस प्रतियोगिता में दुनिया के सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमान शामिल हैं। देखना होगा कि कौन सा विमान भारतीय वायुसेना की जरूरतों पर खरा उतरता है। ये विमान न सिर्फ देश की रक्षा करेंगे, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की ताकत का भी प्रतीक होंगे। वायुसेना के इस फ़ैसले का देश की सुरक्षा पर गहरा असर पड़ेगा।

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