MSP के साथ मिलेगा बोनस
मध्यप्रदेश में सरकारी गेहूं की खरीदी शुरू हुई है। समर्थन मूल्य और बोनस मिलाकर किसानों को 2600 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहे हैं। हालांकि, बाजार में सामान्य गेहूं 2800 से 3000 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है।वही सरकार ने गेहूं खरीदी की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं।
मध्य प्रदेश में सरकारी गेहूं खरीदी की शुरुआत हो गई है। कई जिलों में खरीदी केंद्र खुल गए हैं, जबकि कुछ जिलों में जल्द ही खरीदी शुरू हो जाएगी। भोपाल में 60 केंद्र बनाए गए हैं, लेकिन पहले दिन कम आवक देखी गई। किसानों को 2600 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिल रहा है, जबकि बाजार में भाव 2800 से 3000 रुपये प्रति क्विंटल है। शुरुआत में खरीदी 1 मार्च से होनी थी, लेकिन फसल देरी से पकने के कारण इसे 15 मार्च कर दिया गया। सरकार ने 80 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है।
मध्य प्रदेश में शनिवार से सरकारी गेहूं खरीदी का काम शुरू हो गया है। कई जिलों में किसान अपने गेहूं बेचने के लिए मंडियों में पहुंचने लगे हैं। राजधानी भोपाल में किसानों की सुविधा के लिए 60 खरीदी केंद्र बनाए गए हैं। इनमें बैरसिया मंडी और आसपास के गांवों के केंद्र भी शामिल हैं। हालांकि पहले दिन उम्मीद के मुताबिक गेहूं की आवक नहीं हुई। भोपाल, इंदौर, उज्जैन और नर्मदापुरम जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक जिलों में भी आवक कम रही। पहले दिन केवल 20 केंद्रों के लिए 269 स्लॉट बुक हुए थे।
सरकार द्वारा गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। इसके साथ ही मध्य प्रदेश सरकार 175 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस भी दे रही है। इस तरह किसानों को कुल 2600 रुपये प्रति क्विंटल मिलेंगे। लेकिन खुले बाजार में गेहूं का भाव 2800 से 3000 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। यही कारण है कि सरकारी केंद्रों पर गेहूं की आवक कम रही। किसानों को बाजार में बेहतर दाम मिलने की उम्मीद है।
शुरुआत में गेहूं की खरीदी 1 मार्च से शुरू होनी थी। लेकिन इस साल गेहूं की फसल पकने में देरी हुई। इसलिए सरकार ने खरीदी की तारीख 15 मार्च कर दी। इससे किसानों को अपनी फसल तैयार करने का पर्याप्त समय मिल गया। प्रदेश सरकार ने इस साल लगभग 80 लाख टन गेहूं खरीदने का अनुमान लगाया है। अगर इतनी खरीदी होती है तो समर्थन मूल्य पर किसानों को 19,400 करोड़ रुपये का भुगतान होगा। इसके अलावा बोनस की राशि 1400 करोड़ रुपये किसानों के खाते में जाएगी। इससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी और उन्हें आर्थिक मदद मिलेगी।