
खून और पानी कभी साथ नहीं बह सकते”
लंदन में आयोजित ‘आइडियाज फॉर इंडिया कॉन्फ्रेंस 2025’ में भारतीय सांसद राघव चड्ढा ने वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया। उनकी बेबाक और तीखी टिप्पणियों ने न केवल उपस्थित लोगों का ध्यान खींचा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत के सख्त रुख को भी रेखांकित किया। चड्ढा ने पाकिस्तान को “पीड़ित देश नहीं, बल्कि आतंक का गढ़” करार देते हुए दुनिया भर से उसकी आर्थिक और कूटनीतिक मदद बंद करने की मांग की। उनके शब्दों में गहराई और दृढ़ता थी, जब उन्होंने कहा, “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते, न ही झूठ और कर्ज साथ-साथ चल सकते हैं।” यह बयान न केवल पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी था, बल्कि भारत की शांति और संयम को कमजोरी न समझने का स्पष्ट संदेश भी था।
पाकिस्तान की दोहरी नीति पर करारा प्रहार
राघव चड्ढा ने अपने भाषण में पाकिस्तान की दशकों पुरानी आतंकवादी गतिविधियों को उजागर किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने बार-बार भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा दिया है, फिर भी वह दुनिया के सामने खुद को पीड़ित के रूप में पेश करता है। चड्ढा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे पाकिस्तान की इस दोहरी नीति को पहचानें और उसका बहिष्कार करें। उन्होंने जोर देकर कहा कि आतंकवाद और सहिष्णुता एक साथ नहीं चल सकते। “जो देश आतंक को पनाह देता हो, उसे न तो आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए और न ही कूटनीतिक समर्थन,” चड्ढा ने दृढ़ता से कहा।
उन्होंने हाल के घटनाक्रमों, विशेष रूप से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों पर निशाना साधा। चड्ढा ने कहा कि भारत ने हमेशा शांति का रास्ता चुना है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह कमजोर है। “हमारी शांति को कमजोरी समझने की भूल न करें। भारत अब और बर्दाश्त नहीं करेगा,” उन्होंने चेतावनी दी।
वैश्विक मंच पर भारत का दमदार रुख
लंदन जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर राघव चड्ढा का यह बयान भारत की बदलती विदेश नीति और वैश्विक मंच पर बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। उन्होंने न केवल पाकिस्तान की पोल खोली, बल्कि भारत के आत्मसम्मान और संप्रभुता की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहराया। उनके भाषण ने यह स्पष्ट किया कि भारत अब केवल प्रतिक्रिया देने वाला देश नहीं है, बल्कि वह अपनी शर्तों पर वैश्विक मंच पर अपनी बात रखने में सक्षम है।
चड्ढा ने अपने संबोधन में भारत की सैन्य ताकत का भी जिक्र किया। उन्होंने हाल ही में भारतीय सेना की कार्रवाइयों, विशेष रूप से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की मिसाइलें और रक्षा प्रणालियां आज इतनी सक्षम हैं कि वे “मच्छरों की तरह दुश्मन की मिसाइलों को कुचल सकती हैं।” यह बयान न केवल भारत की तकनीकी और सैन्य प्रगति को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि भारत अब किसी भी खतरे का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है।
“झूठ और कर्ज का खेल अब नहीं चलेगा”
चड्ढा ने पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि एक ओर पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कर्ज और सहायता मांगता है, वहीं दूसरी ओर वह आतंकवाद को बढ़ावा देने में अपनी संसाधनों का दुरुपयोग करता है। “झूठ और कर्ज एक साथ नहीं चल सकते। अगर कोई देश आतंक को पनाह देता है, तो उसे वैश्विक समुदाय से कोई सहायता नहीं मिलनी चाहिए,” उन्होंने कहा। यह बयान पाकिस्तान की आर्थिक कमजोरियों और उसकी आतंकवादी नीतियों के बीच के अंतर्विरोध को उजागर करता है।
भारत की शांति और संयम की नीति
राघव चड्ढा ने अपने भाषण में भारत की शांति और संयम की नीति को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा शांति को प्राथमिकता दी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह अपनी संप्रभुता से समझौता करेगा। “हम शांति चाहते हैं, लेकिन अगर कोई हमारी शांति को भंग करने की कोशिश करेगा, तो हम उसे करारा जवाब देना जानते हैं,” उन्होंने कहा। यह बयान भारत की उस नीति को दर्शाता है, जो शांति और ताकत का एक संतुलित मिश्रण है।
वैश्विक समुदाय को एकजुट होने की अपील
चड्ढा ने अपने भाषण में वैश्विक समुदाय से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा कि आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है, और इसे खत्म करने के लिए सभी देशों को मिलकर काम करना होगा। “पाकिस्तान जैसे देशों को अलग-थलग करना जरूरी है, जो आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं। यह केवल भारत की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की जिम्मेदारी है,” उन्होंने जोर देकर कहा।
सोशल मीडिया पर छाया चड्ढा का बयान
राघव चड्ढा के इस बयान ने सोशल मीडिया पर भी खूब सुर्खियां बटोरीं। कई यूजर्स ने उनके साहस और स्पष्टता की सराहना की, जबकि कुछ ने इसे भारत की नई और आक्रामक विदेश नीति का प्रतीक बताया। उनके बयान “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते” और “झूठ और कर्ज साथ नहीं चल सकते” जैसे वाक्यांशों ने लोगों का ध्यान खींचा और व्यापक चर्चा का विषय बने।
भारत का भविष्य और वैश्विक भूमिका
राघव चड्ढा का यह भाषण न केवल पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी था, बल्कि यह भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और आत्मविश्वास का भी प्रतीक था। उन्होंने अपने संबोधन में भारत के विकास, तकनीकी प्रगति और सैन्य ताकत पर गर्व जताया। साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अब केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर एक मजबूत आवाज है।
भारत की दहाड़, दुनिया की चेतावनी
राघव चड्ढा का लंदन में दिया गया यह भाषण भारत के सख्त और स्पष्ट रुख को दर्शाता है। उनके शब्दों ने न केवल पाकिस्तान की दोहरी नीतियों को उजागर किया, बल्कि वैश्विक समुदाय को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का संदेश भी दिया। यह बयान भारत की शांति, संयम और ताकत का एक अनूठा संगम था, जो यह साबित करता है कि भारत अब अपनी बात को बिना किसी हिचक के वैश्विक मंच पर रखने में सक्षम है।