सैनिकों का ऐसा मंदिर जहां यमराज भी खाते खौफ!


भारतीय आर्मी जंग से पहले टेकती है माथा, दुश्मनों के कांपते हैं हाथ-पैर!

सियाचिन में भारतीय सैनिकों के लिए “ओपी बाबा” नामक एक मंदिर है, जो शहीद ओम प्रकाश को समर्पित है। सैनिक उन्हें अपना सबसे बड़ा कमांडर मानते हैं और हर मिशन से पहले और बाद में उनके मंदिर में माथा टेकते हैं. यह मंदिर सियाचिन के भारतीय सेना बेस के पास स्थित है.
ओपी बाबा कौन थे?

  • ओपी बाबा का पूरा नाम ओम प्रकाश था, जो भारतीय सेना के एक सैनिक थे.
  • वे 1980 के दशक में सियाचिन की मालौन चौकी पर तैनात थे.
  • कहा जाता है कि उन्होंने अकेले ही एक दुश्मन के हमले को नाकाम कर दिया था.
  • उनकी रहस्यमय ढंग से मृत्यु हो गई, जिसके बाद उन्हें ओपी बाबा के नाम से जाना जाने लगा.
  • सैनिकों ने उनके बारे में कई अद्भुत अनुभव साझा किए, जैसे कि वे उन्हें रास्ता दिखाते हैं या बर्फीले तूफान से पहले चेतावनी देते हैं ।
  • ओपी बाबा मंदिर क्यों महत्वपूर्ण है?
  • सैनिकों को लगता है कि ओपी बाबा उनकी रक्षा करते हैं, खासकर सियाचिन की खतरनाक ठंड से.
  • ओपी बाबा को सियाचिन में तैनात हर सैनिक पूजता है और मोर्चे पर जाने से पहले उनके मंदिर में माथा टेकता है ।
  • मंदिर सैनिकों के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र है, जो उन्हें ताकत और प्रेरणा देता है ।

ओपी बाबा सियाचिन में भारतीय सैनिकों के लिए एक महत्वपूर्ण और सम्मानित व्यक्ति हैं। उनका मंदिर सैनिकों के लिए एक आध्यात्मिक केंद्र है, जो उन्हें ताकत और प्रेरणा देता है। यह सैनिकों की आस्था का प्रतीक है कि वे अपने कर्तव्य को पूरी तरह से निभाते हैं और अपने देश की रक्षा करते हैं ।

ओ पी बाबा मंदिर!

पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच जबरदस्त तनाव है ।दोनों देशों की तरफ से ‌आर-पार जंग लड़ने की बात हो रही है. पाकिस्तान ने तो भारत से जंग लड़ने के लिए दुनिया से मदद मांगी है. भारत डंके की चोट पर पाकिस्तान के आतंकियों को मिटा देने की बात कर रहा है. भारतीयों सैनिकों ने जिस तरह से हुंकार भरी है. इसके बाद पूरे पाकिस्तान में हाहाकार मचा है. इस मौके पर हम आपको एक ऐसे सैनिकों की मंदिर के बारे में बताएंगे जो भारत की सैनिकों की हिफाजत करते हैं. उस मंदिर का नाम है ओपी मंदिर. यह मंदिर भारत के उस जगह पर है, जहां यमराज भी जाने से डरे, यानी दुनिया की सबसे ऊंचे रणक्षेत्र सियाचिन में यह मंदिर है. ऐसा माना जाता है कि वहां कड़ाके की ठंड और सीमा की तमाम चुनौतियों के बाद भी ओपी बाबा जवानों की रक्षा करते हैं. आइए जानते हैं आखिर कौन हैं ये ओपी बाबा.

दुनिया के सबसे ऊंचे और खतरनाक युद्धक्षेत्र सियाचिन में ‘ओपी बाबा का मंदिर’ एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. ‘ओपी बाबा’ जिन्हें जिन्हें सियाचिन का रक्षक माना जाता है. भारतीय सेना के जवान उन्हें अपना सबसे बड़ा कमांडर मानते हैं और हर मिशन से पहले और बाद में उनके मंदिर में माथा टेकते हैं. आइए, जानते हैं कौन थे ओपी बाबा, क्यों बना उनका मंदिर,सैनिकों से उनका क्या है कनेक्‍शन.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ओपी बाबा का पूरा नाम ओम प्रकाश है. वे भारतीय सेना के एक जवान थे, जो 1980 के दशक में सियाचिन की मालौन चौकी पर तैनात थे. कहा जाता है कि उन्होंने अकेले ही दुश्मन के हमले को नाकाम कर दिया था. लेकिन रहस्यमयी हालात में उनकी शहादत हो गई. तब से जवानों का मानना है कि ओपी बाबा की आत्मा सियाचिन में तैनात सैनिकों की रक्षा करती है. उनका मंदिर सियाचिन में भारतीय सेना के बेस कैंप के पास है, जहां हर जवान सबसे पहले हाजिरी देता है.

ओपी बाबा कैसे करते हैं रक्षा?

भारतीय जवानों का विश्वास है कि ओपी बाबा ग्लेशियर की हड्डियां गलाने वाली ठंड और खतरों से उनकी हिफाजत करते हैं. कई सैनिक बताते हैं कि अगर कोई जवान रास्ता भटक जाए या बर्फीला तूफान आने वाला हो, तो ओपी बाबा सपने में आकर चेतावनी दे देते हैं. ऐसे कई किस्से हैं, जहां जवानों को सपने में ओपी बाबा ने खतरे से आगाह किया और उनकी जान बची.

सियाचिन का खतरनाक माहौल

सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा वॉर जोन है, जहां 12 महीने बर्फ जमी रहती है. यहां तापमान दिन में -30 से -55 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है. ग्लेशियर तीन तरफ से पाकिस्तान और चीन से घिरा है, जिसके चलते भारतीय जवान हर पल चौकसी करते हैं. यहां ऑक्सीजन की कमी, बर्फीले तूफान में भी भारतीय सैनिक देश की रक्षा करता है.

2003 में बना ओपी बाबा का मंदिर

1996 में ओपी बाबा का मंदिर एक छोटी कुटिया में था. लेकिन 2003 में भारत-पाकिस्तान समझौते के बाद इसे पक्का मंदिर बनाया गया. यहाँ जवान न सिर्फ पूजा करते हैं, बल्कि मिशन की शुरुआत और अंत में औपचारिक रिपोर्ट भी देते हैं. इस मंदिर के बारे में कई सारी कहानियां हैं, उसी में एक कहानी यह है‌ कि 2016 में सियाचिन में हिमस्खलन में फंसे लांस नायक हनुमनथप्पा को 6 दिन बाद बचाया गया था.

ओपी बाबा का चमत्कार

जवानों का मानना था कि ओपी बाबा की कृपा से ही ये चमत्कार हुआ. हालांकि, बाद में उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन इस घटना ने ओपी बाबा की आस्था को और बढ़ा दिया है. ओपी बाबा की कहानी सियाचिन के जवानों के लिए हौसले और विश्वास का प्रतीक है. ये वो शक्ति है, जो बर्फीले तूफानों में भी जवानों को डटकर देश की रक्षा करने की ताकत देती है।

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