28 जिलाध्यक्षों की नियुक्ति का मामला यूपी में कहां रहा अटक

जानिए क्या हैं मामला

यूपी बीजेपी ने 70 जिलाध्यक्षों के नाम का ऐलान कर दिया है। वहीं, 28 जिलाध्यक्षों के नाम पर सहमति नहीं बन पाई है। आंतरिक खींचतान और गुटबाजी को इसका कारण माना जा रहा है। सांसदों और स्थानीय विधायकों के बीच सहमति नहीं बन पाने के कारण जिलाध्यक्ष के नाम का ऐलान नहीं हो पाया है।
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में संगठनात्मक मजबूती के लिए 70 जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा कर दी है। हालांकि, शेष 28 जिलों में जिलाध्यक्षों के चयन में आंतरिक खींचतान और गुटबाजी के कारण मुश्किलें आ रही हैं। जिलाध्यक्षों के नाम का ऐलान होने के बाद प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव होने हैं। इसको लेकर तैयारियों को पूरा कराया जा रहा है। हालांकि, डेडलाइन पार करने के बाद भी जिलाध्यक्ष के पद पर नाम का ऐलान नहीं हो पाया है।
बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की मंशा है कि सर्वसम्मति से नामों का चयन हो, ताकि पार्टी के भीतर किसी भी प्रकार की कलह न हो। लेकिन, कई जिलों में सांसदों और विधायकों के आपसी मतभेद के चलते यह प्रक्रिया लंबित है। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक के नाम का ऐलान अटका हुआ है। प्रक्रिया के लंबित होने के कारण प्रदेश के जिलाध्यक्षों की दूसरी सूची आने में देरी हो रही है।
बीजेपी प्रदेश चुनाव अधिकारी डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय के लोकसभा क्षेत्र चंदौली में जिलाध्यक्ष का नाम फाइनल नहीं हो पा रहा है। वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी जिलाध्यक्ष का नाम फाइनल नहीं हो सका है। दरअसल, यहां तीन-तीन दावेदार सामने आ रहे हैं। अलीगढ़, हाथरस, एटा और पीलीभीत में जिलाध्यक्षों को लेकर मामला फंसा हुआ है। फतेहपुर जिलाध्यक्ष पर घूस लेने का आरोप लगा है। इससे उनकी दूसरी दावेदारी खत्म हो गई है।

प्रदेश में 98 जिलों में से जिन 28 जिलों में अब तक जिलाध्यक्षों का नाम तय नहीं हो सका है, उनमें शामली, अमरोहा, सहारनपुर जिला, मेरठ, हापुड़, बागपत, कानपुर, झांसी महानगर, हमीरपुर, जालौन, फतेहपुर, अंबेडकरनगर, बाराबंकी, लखीमपुर, अयोध्या महानगर, अयोध्या जिला, जौनपुर, कौशांबी, मीरजापुर, सिद्धार्थनगर, देवरिया, फिरोजाबाद, अलीगढ़ जिला, अलीगढ़ महानगर शामिल हैं।
बीजेपी प्रदेश चुनाव अधिकारी डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय का कहना है कि अयोध्या में मिल्कीपुर उपचुनाव के कारण जिलाध्यक्ष चयन प्रक्रिया में देरी हुई। जल्द ही दूसरी सूची जारी कर दी जाएगी। पार्टी नेतृत्व इस बार दलितों, महिलाओं और पिछड़े वर्ग को अधिक प्रतिनिधित्व देने पर विचार कर रहा है। दरअसल, जिलाध्यक्ष का चयन यूपी चुनाव 2027 को लेकर अहम माना जा रहा है।
यूपी बीजेपी विपक्षी समाजवादी पार्टी के पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स की काट जिलाध्यक्षों के जरिए ढूंढ़ने की कोशिश में है। जिलाध्यक्षों के जरिए क्षेत्र के जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में इस चुनाव को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

Related Posts

ये होंगे भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष ! इस दिन लगेगी मुहर

10 राज्यों में भी बदला जाएगा भाजपा का संगठन, बदलाव की तैयारी तेज भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है. सूत्रों के…

चिराग पासवान की सियासी राह में चुनौतियां

जेडीयू के समर्थन पर टिका है एलजेपी का भविष्य लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के नेता चिराग पासवान की सियासी महत्वाकांक्षाएं एक बार फिर चर्चा में हैं. बिहार की राजनीति में…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!