41 साल के व्यक्ति को मिला दूसरा जीवन

ग्रीन कॉरिडोर की मदद से समय पर मिला इलाज

राजधानी दिल्ली में डॉक्टरों ने 23.5 घंटे की मैराथन सर्जरी कर 41 साल के मरीज का डबल लंग्स ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किया। मरीज एडवांस इंटरस्टीशियल लंग्स डिजीज से पीड़ित थे और सर्जरी के बाद 42 दिनों तक इंटेंसिव केयर में रहे। इसमें ग्रीन कॉरिडोर का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

मैराथन सर्जरी में पूरे 23.5 घंटे मेहनत कर अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने डलब लंग्स ट्रांसप्लांट को सफल बनाया। इस सर्जरी की वजह से 41 साल के मरीज की जान बचाने में कामयाबी मिली। मरीज एडवांस इंटरस्टीशियल लंग्स डिजीजसे पीड़ित थे। लेकिन सर्जरी के बाद 42 दिनों तक इंटेंसिव केयर में रहने के बाद पूरी तरह से ठीक होकर बाहर आए हैं। मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है।
डॉक्टरों की टीम ने बताया कि मरीज 2021 से ILD से जूझ रहे थे और पिछले कुछ महीनों से ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे, जिससे लंग्स ट्रांसप्लांट जरूरी हो गया था। सभी जांचों के बाद 28 जनवरी को ऑपरेशन किया गया। राइट लंग ट्रांसप्लांट में 10.5 घंटे लगे, जबकि लेफ्ट लंग ट्रांसप्लांट 13 घंटे तक चला। इसके बाद मरीज को 5 घंटे तक ECMO मशीन पर रखा गया और फिर CTVS ICU में शिफ्ट किया गया।
सर्जरी की सफलता में ग्रीन कॉरिडोर ने अहम भूमिका निभाई। इसके साथ ही गोवा से डोनर लंग्स को दिल्ली तक लाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया गया, जिससे अंगों को सुरक्षित और समय पर पहुंचाया जा सका। यह अस्पताल, कानून व्यवस्था और स्थानीय प्रशासन के बीच तालमेल से संभव हो पाया।

ट्रांसप्लांट के बाद मरीज को इंफेक्शन से बचाने के लिए इम्यूनोसप्रेसेंट और एंटीमाइक्रोबियल थेरेपी दी गई। उनकी स्थिति पर लगातार ब्रोंकोस्कोपी और इमेजिंग स्टडीज के जरिए नजर रखी गई। पोस्ट-ऑपरेटिव पीरियड में मरीज को सेप्टिक शॉक, किडनी इंजरी, रेस्पिरेटरी कॉम्प्लिकेशन और मल्टी ऑर्गन डिसफंक्शन जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन एक्सपर्ट टीम की कड़ी मेहनत और बेहतर मेडिकल केयर की वजह से वो धीरे-धीरे रिकवर हुए। 7 मार्च को मरीज को एक्सट्यूबेट किया गया, जो उनकी रिकवरी का महत्वपूर्ण पड़ाव था। 42 दिनों तक इंटेंसिव केयर में रहने के बाद, वे घर लौटे।

डॉ. मुकेश गोयल, डॉ. भूषण थोंबारे, डॉ. अनूप गंजू और डॉ. ज्योति मुथु की एक्सपर्ट टीम ने इस सर्जरी को अंजाम दिया। पूरी प्रक्रिया की निगरानी डॉ. एमएस कंवर ने की, जो रेस्पिरेटरी मेडिसिन, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट हैं। एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉ. दीपा सरकार और डॉ. विकास विक्रम सिंह ने किया।
डॉ. मुकेश गोयल ने बताया कि डबल लंग्स ट्रांसप्लांट समय के खिलाफ एक रेस होती है। हर कदम को सटीक रूप से प्लान और एग्जीक्यूट करना होता है। ग्रीन कॉरिडोर ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ. एमएस कंवर ने कहा कि लंग्स ट्रांसप्लांट एक बेहद चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है। मरीज की दृढ़ इच्छाशक्ति और हमारी टीम के समर्पित प्रयासों की वजह से यह सफलता संभव हो पाई।

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