
बालाकोट से ऑपरेशन सिंदूर तक की रणनीति
भारत ने समय-समय पर आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की है, और इनमें से कई ऑपरेशन आधी रात के सन्नाटे में अंजाम दिए गए। 2019 के बालाकोट हवाई हमले से लेकर 2025 के ऑपरेशन सिंदूर तक, भारतीय सशस्त्र बलों ने मध्यरात्रि को अपनी सटीक और प्रभावी कार्रवाइयों के लिए चुना। लेकिन सवाल यह है कि आखिर क्यों रात का समय इन सैन्य अभियानों के लिए इतना खास है? आइए, इस रणनीति के पीछे की वजहों को विस्तार से समझते हैं।
आश्चर्य और गोपनीयता: रात का पहला हथियार
मध्यरात्रि के समय हवाई हमले करने का सबसे बड़ा लाभ है आश्चर्य का तत्व। रात के अंधेरे में दुश्मन की निगरानी कमजोर होती है, और सतर्कता कम रहती है। 26 फरवरी 2019 को बालाकोट हवाई हमले में भारतीय वायुसेना के मिराज 2000 लड़ाकू विमानों ने सुबह 3:30 बजे पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविर पर हमला किया। इस हमले ने पाकिस्तान को हक्का-बक्का कर दिया, क्योंकि रात के समय ऐसी कार्रवाई की उम्मीद नहीं थी। इसी तरह, 6 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर में सुबह 1:44 बजे शुरू हुए हमलों ने पाकिस्तान और PoK में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिससे आतंकी संगठनों को संभलने का मौका नहीं मिला। रात का समय गोपनीयता बनाए रखने में भी मदद करता है, क्योंकि सैन्य गतिविधियों को छिपाना आसान होता है।
तकनीकी श्रेष्ठता: अंधेरे में सटीक निशाना
आधुनिक युद्ध में तकनीक का महत्व सर्वोपरि है, और भारतीय सेना ने इसका बखूबी उपयोग किया है। रात के समय थर्मल इमेजिंग, नाइट विजन सिस्टम, और सैटेलाइट-आधारित निगरानी उपकरण भारतीय सेना को सटीक निशाना लगाने में सक्षम बनाते हैं। बालाकोट में स्पाइस 2000 बमों का उपयोग, जो छतों को भेदकर अंदर विस्फोट करते हैं, और ऑपरेशन सिंदूर में स्कैल्प मिसाइलें, हैमर बम, और लॉइटरिंग म्यूनिशन्स का इस्तेमाल इस बात का प्रमाण है। ये हथियार रात के अंधेरे में भी सटीकता के साथ लक्ष्य को नष्ट कर सकते हैं, जबकि दुश्मन की जवाबी कार्रवाई की संभावना कम रहती है।
मनोवैज्ञानिक प्रभाव: डर का साया
रात के समय हमले न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मनोवैज्ञानिक रूप से भी दुश्मन को कमजोर करते हैं। अचानक और अप्रत्याशित हमले आतंकी संगठनों और उनके समर्थकों में डर पैदा करते हैं। ऑपरेशन सिंदूर में बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय, मुरिदके में लश्कर-ए-तैयबा के ठिकाने, और अन्य आतंकी शिविरों पर एक साथ हमले ने यह संदेश दिया कि भारत किसी भी समय, कहीं भी कार्रवाई करने में सक्षम है। यह मनोवैज्ञानिक दबाव आतंकवादियों के हौसले को तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सुरक्षा और रणनीति: न्यूनतम जोखिम, अधिकतम प्रभाव
रात के समय ऑपरेशन करने से भारतीय सेना को अपने सैनिकों और उपकरणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलती है। अंधेरे में दुश्मन की वायु रक्षा प्रणाली और रडार सिस्टम की प्रभावशीलता कम हो जाती है। बालाकोट हमले में भारतीय विमान पहाड़ों की आड़ में उड़ान भरते हुए लक्ष्य तक पहुंचे, जिससे पाकिस्तानी रडार उन्हें पकड़ नहीं सके। ऑपरेशन सिंदूर में भी मध्य-हवाई ईंधन भरने और हवाई चेतावनी प्रणालियों का उपयोग करके भारतीय वायुसेना ने जोखिम को न्यूनतम रखा। इसके अलावा, रात के समय नागरिक गतिविधियां कम होती हैं, जिससे अनजाने में नागरिक हताहत होने की संभावना भी कम रहती है।
इतिहास से सबक: रात की रणनीति का महत्व
रात के समय सैन्य कार्रवाइयां कोई नई बात नहीं हैं। इतिहास में कई युद्ध और ऑपरेशन रात में किए गए हैं ताकि आश्चर्य और गोपनीयता का लाभ उठाया जा सके। भारत ने भी इस रणनीति को बार-बार अपनाया है। 2016 के उरी सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर 2019 के बालाकोट हमले और अब 2025 के ऑपरेशन सिंदूर तक, भारत ने हर बार रात के समय को चुना ताकि दुश्मन को जवाब देने का समय न मिले। ये ऑपरेशन न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ता को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि भारतीय सेना हर स्थिति के लिए तैयार है।