
शहबाज शरीफ को दिया सख्त संदेश
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच सऊदी अरब ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए एक बड़ा बयान जारी किया है। सऊदी विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को स्पष्ट संदेश देते हुए दोनों देशों से तनाव कम करने और शांति की दिशा में कदम उठाने की अपील की है। यह बयान ऐसे समय में आया है, जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत-पाक सीमा पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। सऊदी अरब ने साफ कहा कि वह हर तरह के आतंकवाद का विरोध करता है और दोनों देशों के बीच अमन-चैन की स्थापना चाहता है। आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं।
सऊदी अरब का बयान: शांति का आह्वान
9 मई 2025 को सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव पर चिंता जताई। बयान में कहा गया, “सऊदी अरब भारत और पाकिस्तान के बीच शांति और स्थिरता की वकालत करता है। हम दोनों देशों से संयम बरतने और बातचीत के जरिए मतभेद सुलझाने की अपील करते हैं। आतंकवाद का कोई भी रूप अस्वीकार्य है, और हम क्षेत्र में शांति के लिए प्रतिबद्ध हैं।” यह बयान पाकिस्तान के लिए एक सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि सऊदी अरब ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो-टॉलरेंस नीति को दोहराया।
सूत्रों के मुताबिक, सऊदी अरब ने पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ को यह भी संदेश दिया कि वह सीमा पर तनाव बढ़ाने वाली गतिविधियों को तुरंत रोकें। सऊदी अरब का यह रुख इसलिए भी अहम है, क्योंकि वह इस्लामिक देशों के बीच एक प्रभावशाली आवाज माना जाता है और पाकिस्तान के साथ उसके आर्थिक व कूटनीतिक रिश्ते गहरे हैं।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और बढ़ता तनाव
भारत की ओर से हाल ही में अंजाम दिया गया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक कार्रवाई थी। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिसके बाद पाकिस्तान ने आक्रामक बयानबाजी शुरू कर दी। कर्नल सोफिया कुरैशी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह, और विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने 7 मई 2025 को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस ऑपरेशन की सफलता की जानकारी दी थी। भारत ने साफ किया था कि यह कार्रवाई उसकी संप्रभुता की रक्षा के लिए थी।
पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन को उकसावे की कार्रवाई करार दिया और जवाबी कार्रवाई की धमकी दी। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया। सीमा पर गोलीबारी की खबरें और कूटनीतिक तल्खी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इस ओर खींचा, जिसके बाद सऊदी अरब ने हस्तक्षेप किया।
सऊदी अरब की भूमिका: क्यों है अहम?
सऊदी अरब का यह बयान कई मायनों में महत्वपूर्ण है। पहला, सऊदी अरब का पाकिस्तान पर आर्थिक और कूटनीतिक प्रभाव है। हाल के वर्षों में पाकिस्तान को सऊदी अरब से बड़े पैमाने पर वित्तीय सहायता मिली है। ऐसे में सऊदी अरब का सख्त रुख पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। दूसरा, सऊदी अरब भारत के साथ भी अपने रिश्तों को मजबूत कर रहा है। भारत-सऊदी के बीच व्यापार, निवेश, और रक्षा सहयोग लगातार बढ़ रहा है।
सऊदी अरब ने दोनों देशों से बातचीत की मेज पर आने की अपील की है, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ उसका सख्त रुख भारत के स्टैंड को मजबूती देता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सऊदी अरब का यह बयान क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक सकारात्मक कदम है।
सोशल मीडिया पर चर्चा
सऊदी अरब के बयान ने सोशल मीडिया, खासकर X पर, जबरदस्त हलचल मचा दी है। कई यूजर्स ने सऊदी अरब के इस कदम की तारीफ की। एक यूजर ने लिखा, “सऊदी अरब ने पाकिस्तान को उसकी औकात दिखा दी। भारत का स्टैंड सही है, आतंकवाद के खिलाफ जंग में कोई समझौता नहीं।” वहीं, कुछ यूजर्स ने इसे कूटनीतिक जीत करार दिया।
हालांकि, कुछ यूजर्स का मानना है कि सऊदी अरब को दोनों देशों पर समान दबाव बनाना चाहिए। एक पोस्ट में लिखा गया, “सऊदी अरब का बयान स्वागतयोग्य है, लेकिन उसे भारत-पाक को बराबर जिम्मेदारी लेने के लिए कहना चाहिए।”
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान ने अभी तक सऊदी अरब के बयान पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि शहबाज शरीफ सरकार इस बयान से असहज है। पाकिस्तान पहले ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ अपनी बात रखने की कोशिश कर रहा है, लेकिन सऊदी अरब जैसे सहयोगी देश का यह रुख उसके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
भारत का रुख: आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस
भारत ने हमेशा से आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति अपनाई है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ इसी नीति का हिस्सा था। विदेश मंत्रालय ने सऊदी अरब के बयान का स्वागत करते हुए कहा कि भारत शांति के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन अपनी सुरक्षा और संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करेगा। भारत ने पाकिस्तान से आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करने और सीमा पर शांति बनाए रखने की मांग की है।
शांति की उम्मीद
सऊदी अरब का बयान भारत-पाक तनाव को कम करने में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सऊदी अरब की मध्यस्थता से दोनों देश बातचीत की मेज पर आ सकते हैं। हालांकि, पाकिस्तान की ओर से सकारात्मक कदम उठाना इसकी कुंजी होगा। अगर पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करता, तो क्षेत्र में तनाव बरकरार रह सकता है।