
ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना का ऐतिहासिक शुभारंभ
आज मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने जा रहा है, जब विश्व की सबसे बड़ी भूजल रिचार्ज परियोजना, “ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज” के लिए मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सरकार के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर होंगे। इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य ताप्ती नदी के जल को दो पहाड़ों के बीच भूमिगत भंडारण के माध्यम से संरक्षित करना है, जो भूजल स्तर को बढ़ाने और जल संकट से निपटने में मील का पत्थर साबित होगा।
परियोजना का अनूठा स्वरूप
ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना अपने आप में एक अनूठा प्रयोग है। यह विश्व की पहली ऐसी परियोजना है, जिसमें नदी के जल को भूमिगत भंडारण के लिए दो पहाड़ों के बीच संग्रहित किया जाएगा। इस नवाचार से न केवल भूजल स्तर में सुधार होगा, बल्कि कृषि, पेयजल आपूर्ति और पर्यावरण संरक्षण को भी बल मिलेगा। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के संयुक्त प्रयासों से यह परियोजना दोनों राज्यों के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
एमओयू का महत्व
आज भोपाल में आयोजित समारोह में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की उपस्थिति में इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में शुरू की गई तीसरी नदी जोड़ो परियोजना का हिस्सा है। इस समझौते से दोनों राज्य जल संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए एक साझा रणनीति पर काम करेंगे।
परियोजना के लाभ
ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना के कई दूरगामी लाभ हैं:
भूजल स्तर में वृद्धि: भूमिगत जल भंडारण से क्षेत्र में भूजल स्तर में सुधार होगा, जिससे सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राहत मिलेगी।
कृषि को बल: बेहतर जल उपलब्धता से किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा, जिससे फसल उत्पादन में वृद्धि होगी।
पेयजल संकट का समाधान: यह परियोजना ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पेयजल की कमी को कम करने में मदद करेगी।
पर्यावरण संरक्षण: भूजल संरक्षण से पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती मिलेगी और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में सहायता मिलेगी।
परियोजना की तकनीकी विशेषताएं
ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना में अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। ताप्ती नदी के जल को विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए भूमिगत जलाशयों में संग्रहित किया जाएगा। यह प्रक्रिया न केवल जल संरक्षण को बढ़ावा देगी, बल्कि बाढ़ जैसे प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को भी कम करेगी। परियोजना का ब्लू प्रिंट तैयार हो चुका है और इसे लागू करने के लिए दोनों राज्यों ने व्यापक योजना बनाई है।
प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना को जल संरक्षण और सतत विकास के लिए एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया है। उनके नेतृत्व में शुरू की गई नदी जोड़ो परियोजना का यह तीसरा चरण देश के अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा। इस परियोजना को लागू करने में केंद्र सरकार का भी पूर्ण सहयोग प्राप्त है।
आगे की राह
ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना के एमओयू पर हस्ताक्षर होने के बाद इसका कार्यान्वयन शीघ्र शुरू होने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह परियोजना न केवल मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र, बल्कि पूरे देश के लिए जल प्रबंधन के क्षेत्र में एक नया मानदंड स्थापित करेगी।