
मध्यप्रदेश के डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा का एक बयान इन दिनों राजनीतिक विवाद का विषय बन गया है. शुक्रवार को जबलपुर में सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स के प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय सेना की सराहना करते हुए कहा, “पूरा देश सेना और सैनिकों के चरणों में नतमस्तक है.” उनके इस बयान पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे भारतीय सेना के शौर्य का अपमान करार दिया है.
देवड़ा ने कहा – जब तक बदला नहीं लिया जाएगा, चैन से नहीं बैठेंगे
अपने संबोधन में डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा ने पहलगाम हमले में मारे गए निर्दोष पर्यटकों का ज़िक्र करते हुए कहा कि वह दृश्य बेहद पीड़ादायक था. उन्होंने कहा, “मन में बहुत क्रोध था. जो पर्यटक घूमने गए थे, उनके धर्म पूछ-पूछ कर और महिलाओं को अलग खड़ा कर गोली मारी गई. बच्चों के सामने यह नरसंहार हुआ. तब से पूरे देश का मन विचलित है.”
देवड़ा ने कहा कि जब तक इन आतंकियों और उन्हें पनाह देने वालों का नाश नहीं हो जाता, देश को शांति नहीं मिलेगी. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया और कहा कि “जो जवाब हमारी सेना ने दिया है, वो ऐतिहासिक है. सेना के साहस को जितना सराहा जाए, कम है.”
कांग्रेस का तीखा हमला – सेना प्रधानमंत्री के चरणों में नहीं, देश की सेवा में है
देवड़ा के बयान पर कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, “सेना और सैनिक प्रधानमंत्री मोदी के चरणों में नतमस्तक हैं — यह कहना सेना के शौर्य और बलिदान का घोर अपमान है.”
राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने भी डिप्टी सीएम पर निशाना साधते हुए कहा, “मोदी जी और देश की जनता हमारी वीर सेना के चरणों में नतमस्तक है, न कि सेना किसी नेता के चरणों में. इस तरह के बयान सुरक्षा बलों का मनोबल गिराने वाले हैं.”
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भारतीय सेना किसी दल या नेता की नहीं, बल्कि भारत के संविधान और नागरिकों की रक्षा के लिए समर्पित संस्था है. किसी भी नेता को सेना को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए.
बीजेपी की सफाई – यह सेना के साहस की सराहना है, न कि अपमान
इस पूरे मामले पर अब मध्यप्रदेश भाजपा की ओर से भी बयान आया है. भाजपा प्रवक्ताओं ने कहा कि डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा का आशय गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया. वह सिर्फ यह कहना चाह रहे थे कि देश की जनता सेना के बलिदान और वीरता के आगे श्रद्धा से नतमस्तक है. यह बयान सेना के सम्मान को बढ़ाने वाला है, अपमान करने वाला नहीं.
हालांकि विपक्ष का कहना है कि ऐसे बयानों से बचना चाहिए, जो सेना को राजनीतिक नेतृत्व से कमतर दर्शाने का संकेत दें. इस पूरे विवाद ने एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि क्या सेना को राजनीतिक विमर्श से पूरी तरह अलग रखना चाहिए और क्या नेताओं को ऐसे शब्दों का चयन सावधानी से नहीं करना चाहिए.