
कानपुर में हेयर ट्रांसप्लांट के दौरान हुई लापरवाही ने दो जिंदगियों को खत्म कर दिया. डेंटिस्ट डॉ. अनुष्का तिवारी के क्लिनिक में हेयर ट्रांसप्लांट कराने वाले दो पेशेंट — पनकी पावर प्लांट के सहायक अभियंता विनीत दुबे और फर्रुखाबाद के इंजीनियर मयंक कटियार की 24 घंटे के भीतर मौत हो गई. अब यह मामला तूल पकड़ चुका है और पुलिस डॉक्टर के खिलाफ गंभीर जांच में जुट गई है. डॉक्टर इस समय फरार बताई जा रही हैं.
मौत की समान परिस्थितियाँ
शुरुआती जांच में दोनों मौतों में तीन कॉमन पॉइंट सामने आए हैं:
- 24 घंटे में मौत और लक्षण समान:
दोनों इंजीनियरों की मौत हेयर ट्रांसप्लांट के 24 घंटे के भीतर हो गई. दोनों को सिर में तेज दर्द, चेहरे पर सूजन और फिर तड़प-तड़पकर मौत का सामना करना पड़ा. यह समानता पुलिस को डॉक्टर की लापरवाही की ओर इशारा करती है. - ऑपरेशन टेक्नीशियन से करवाया गया:
डॉ. अनुष्का ने सर्जरी खुद न करके अपने OT टेक्नीशियन से करवाई. दवाइयां भी बिना किसी पक्के प्रिस्क्रिप्शन के, सादे कागज पर लिखकर दी गईं. यह मेडिकल गाइडलाइंस के खिलाफ है. - केस बिगड़ने पर जिम्मेदारी से बचने की कोशिश:
जैसे ही केस बिगड़ने लगे, डॉक्टर ने पेशेंट्स के परिवारों को किसी अन्य डॉक्टर के पास भेजने की सलाह दी. विनीत दुबे को उन्होंने खुद अनुराग हॉस्पिटल में एडमिट कराया था, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी.
पुलिस जांच में चुनौतियाँ
पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती मौत की वजह को साबित करना है. विनीत दुबे की मौत के 54 दिन बाद FIR दर्ज हुई, जिससे साक्ष्य जुटाने में कठिनाई हो रही है. हालांकि उनकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मौजूद है और बिसरा भी सुरक्षित किया गया है. वहीं, मयंक कटियार की बॉडी का बिना पोस्टमॉर्टम अंतिम संस्कार कर दिया गया, जिससे कानूनी सबूत नहीं जुटाए जा सके.
सबूतों की सूची
पुलिस के पास कुछ अहम सबूत हैं जो डॉक्टर के खिलाफ चार्जशीट तैयार करने में मदद कर सकते हैं:
• दोनों इंजीनियरों के परिवारों के लिखित बयान
• बैंक ट्रांजेक्शन डिटेल जिसमें डॉक्टर को ट्रांसफर किए गए पैसे
• क्लिनिक के CCTV फुटेज
• कॉल डिटेल रिकॉर्ड
इन सबूतों से यह साबित करने की कोशिश की जा रही है कि डॉ. अनुष्का की लापरवाही के चलते ही दोनों पेशेंट्स की जान गई.
डॉक्टर फरार, पुलिस की तलाश जारी
FIR दर्ज होते ही डॉक्टर अनुष्का तिवारी लापता हो गई हैं. पुलिस ने उनके संभावित ठिकानों पर दबिश देना शुरू कर दिया है. इस मामले ने कानपुर ही नहीं, पूरे राज्य में मेडिकल प्रैक्टिस पर सवाल खड़े कर दिए हैं. बिना योग्यता के सर्जरी कराना और मेडिकल गाइडलाइंस की अनदेखी ने दो परिवारों को उजाड़ दिया है.
अब सबकी निगाहें पुलिस की जांच पर टिकी हैं — क्या डॉक्टर को न्यायिक प्रक्रिया के तहत सजा मिलेगी या यह मामला भी बाकी केसों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?