
लोकसभा चुनाव 2024 के बाद विपक्षी गठबंधन INDIA की एकजुटता पर गहरे सवाल उठने लगे हैं. पहले शशि थरूर ने चिंता जताई और अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने भी INDIA गठबंधन की स्थायित्व को लेकर संदेह जताया है. चिदंबरम ने सार्वजनिक मंच से कहा कि उन्हें अब इस बात का भरोसा नहीं रह गया है कि विपक्षी दलों का यह गठबंधन ज्यादा दिन तक टिक पाएगा…
बीजेपी ने इस मौके को हाथ से नहीं जाने दिया और कांग्रेस पर करारा हमला बोल दिया. भाजपा का कहना है कि जब खुद कांग्रेस के शीर्ष नेता यह मानने लगे हैं कि पार्टी और गठबंधन का कोई भविष्य नहीं है, तो देश की जनता पहले से ही यह समझ चुकी है.
चिदंबरम की टिप्पणी से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ीं
कांग्रेस के दिग्गज नेता पी. चिदंबरम ने हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि उन्हें अब INDIA गठबंधन की एकता पर भरोसा नहीं है. उन्होंने इस बात पर खास चिंता जताई कि विधानसभा चुनावों में अक्सर गठबंधन के दल आपस में ही लड़ते नजर आते हैं. दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जैसे दल एक-दूसरे के खिलाफ ही मैदान में उतरते हैं.
चिदंबरम ने स्वीकार किया कि विपक्ष आज एक मजबूत और संगठित संगठन, यानी भारतीय जनता पार्टी, से मुकाबला कर रहा है, जो एक “हार न मानने वाली मशीनरी” बन चुकी है. उन्होंने कहा कि विपक्ष को हर मोर्चे पर मिलकर बीजेपी से लड़ना होगा, लेकिन वर्तमान हालात इस दिशा में उत्साहजनक नहीं हैं.
बीजेपी ने चिदंबरम के बयान को बनाया हथियार
पी. चिदंबरम की टिप्पणी के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि जब राहुल गांधी के करीबी नेता ही यह मानते हैं कि विपक्षी गठबंधन बिखर चुका है, तो विपक्ष जनता का विश्वास कैसे जीत पाएगा? बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, “जब पी. चिदंबरम जैसा नेता कहता है कि विपक्ष का कोई भविष्य नहीं है और बीजेपी अजेय हो चुकी है, तो फिर जनता क्या उम्मीद करे?”
बीजेपी ने इसे कांग्रेस की अंदरूनी कमजोरी और INDIA गठबंधन की नाकामी का प्रमाण बताया है. साथ ही इसे बिहार चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए बड़ा झटका बताया जा रहा है.
क्या INDIA गठबंधन का अंत नजदीक है?
भले ही INDIA गठबंधन फिलहाल औपचारिक रूप से बरकरार है, लेकिन नेताओं के बयानों से यह साफ हो गया है कि इस गठबंधन की नींव कमजोर होती जा रही है. चुनावी राज्यों में आपसी टकराव, साझा रणनीति की कमी और विचारधारा में भिन्नता इस गठबंधन को अंदर से खोखला कर रही है.
अब कांग्रेस पर दबाव है कि वह न सिर्फ अपने वरिष्ठ नेताओं की बयानबाजी को नियंत्रित करे, बल्कि विपक्षी दलों के बीच बेहतर समन्वय भी स्थापित करे. सवाल यह है कि क्या विपक्ष बीजेपी जैसी सशक्त और संगठित पार्टी के खिलाफ एक प्रभावी विकल्प पेश कर पाएगा या फिर यह गठबंधन इतिहास के पन्नों में सिमट जाएगा?