
भारत में बूस्टर डोज और मास्क को लेकर 7 बड़े सवालों के जवाब
कोरोना वायरस (कोविड-19) एक बार फिर वैश्विक सुर्खियों में है, खासकर एशिया के कुछ हिस्सों जैसे हांगकांग और सिंगापुर में मामलों की बढ़ती संख्या के बाद। भारत में भी हाल के हफ्तों में कोविड-19 के नए मामले सामने आए हैं, जिसने लोगों के मन में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या अब बूस्टर डोज लेने की जरूरत है? क्या मास्क फिर से अनिवार्य हो जाएगा? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए हमने डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों से बात की और आपके लिए 7 सबसे महत्वपूर्ण सवालों के जवाब लाए हैं। आइए, इस गंभीर मुद्दे को समझते हैं और जानते हैं कि भारत में कोविड-19 की स्थिति और उससे बचाव के लिए क्या करना चाहिए।

- क्या भारत में कोविड-19 के मामले फिर से बढ़ रहे हैं?
हाल के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कोविड-19 के मामले कम हैं, लेकिन कुछ राज्यों जैसे केरल, महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु में मामूली बढ़ोतरी देखी गई है। 19 मई 2025 तक देश में 257 सक्रिय मामले दर्ज किए गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति अभी नियंत्रण में है, लेकिन सतर्कता बरतना जरूरी है। हांगकांग में जहां 10 हफ्तों में मामले 30 गुना बढ़े हैं, वहीं भारत में स्थिति इतनी गंभीर नहीं है। फिर भी, स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाई-लेवल मीटिंग बुलाकर स्थिति की समीक्षा की है, जिसमें NCDC और ICMR जैसे संगठनों के विशेषज्ञ शामिल हुए।
- क्या बूस्टर डोज लेना अब जरूरी है?
डॉक्टरों के अनुसार, बूस्टर डोज की जरूरत आपकी उम्र, स्वास्थ्य स्थिति और पिछली वैक्सीनेशन हिस्ट्री पर निर्भर करती है। विशेष रूप से बुजुर्गों, गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों और कमजोर इम्यून सिस्टम वालों को बूस्टर डोज लेने की सलाह दी जा रही है। हाल के अध्ययनों से पता चला है कि बूस्टर डोज गंभीर संक्रमण और अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकती है। हालांकि, सामान्य आबादी के लिए बूस्टर डोज अनिवार्य नहीं है, लेकिन अगर आपने आखिरी डोज 18 महीने से पहले ली थी, तो विशेषज्ञ नई डोज लेने की सलाह दे रहे हैं।
- मास्क का इस्तेमाल फिर से शुरू करना चाहिए?
डॉक्टरों का कहना है कि मास्क का इस्तेमाल अब अनिवार्य तो नहीं है, लेकिन भीड़-भाड़ वाली जगहों, खराब वेंटिलेशन वाले क्षेत्रों और अस्पतालों जैसी संवेदनशील जगहों पर मास्क पहनना समझदारी होगी। सिंगापुर जैसे देशों में, जहां कोविड-19 के मामलों में 28% की वृद्धि हुई है, मास्क को लेकर सख्ती बढ़ाई गई है। भारत में भी विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि अगर आपको सर्दी-खांसी जैसे लक्षण हैं या आप किसी जोखिम वाले क्षेत्र में हैं, तो मास्क जरूर पहनें।
- क्या JN.1 वैरिएंट भारत के लिए खतरा है?
JN.1 वैरिएंट, जो एशिया के कुछ हिस्सों में तेजी से फैल रहा है, भारत में अभी तक बड़े पैमाने पर नहीं देखा गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह वैरिएंट हल्के लक्षणों वाला है और मौजूदा वैक्सीन्स इसके खिलाफ प्रभावी हैं। हालांकि, इसकी संक्रामकता ज्यादा है, जिसके चलते सतर्क रहना जरूरी है। भारत में वैक्सीनेशन और हाइब्रिड इम्यूनिटी (पिछले संक्रमण और वैक्सीन से मिली रोग प्रतिरोधक क्षमता) के कारण स्थिति गंभीर होने की संभावना कम है।
- लॉन्ग कोविड का खतरा कितना है?
लॉन्ग कोविड, यानी संक्रमण के बाद लंबे समय तक रहने वाले लक्षण, अभी भी एक चिंता का विषय है। येल यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार, लॉन्ग कोविड से पीड़ित कुछ मरीजों में बूस्टर डोज के बाद लक्षण बिगड़ सकते हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों के लिए यह सुरक्षित है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि अगर आपको लॉन्ग कोविड का अनुभव है, तो बूस्टर डोज लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।
- क्या बच्चों को बूस्टर डोज की जरूरत है?
बच्चों के लिए कोविड-19 वैक्सीन की जरूरत उनकी उम्र और स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करती है। 12 साल से ऊपर के बच्चों को, खासकर जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी है, बूस्टर डोज दी जा सकती है। हालांकि, स्वस्थ बच्चों में गंभीर कोविड का खतरा कम होने के कारण, सामान्य तौर पर बूस्टर डोज की सलाह नहीं दी जा रही। माता-पिता को अपने बच्चों के लिए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
- कोविड-19 से बचाव के लिए
और क्या करें?

डॉक्टरों का कहना है कि कोविड-19 से बचने के लिए बुनियादी सावधानियां अभी भी जरूरी हैं। इनमें शामिल हैं:
हाथों की नियमित सफाई:
साबुन और पानी या सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
सामाजिक दूरी:
भीड़-भाड़ वाली जगहों पर सावधानी बरतें।
स्वस्थ जीवनशैली:
जिंक और विटामिन सी जैसे पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
लक्षणों पर नजर:
अगर आपको बुखार, खांसी या सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत टेस्ट करवाएं और डॉक्टर से संपर्क करें।

भारत की स्थिति: सतर्कता, लेकिन घबराहट नहीं
स्वास्थ्य मंत्रालय और विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में अभी स्थिति नियंत्रण में है। सरकार ने हाई-लेवल मीटिंग्स के जरिए स्थिति की निगरानी शुरू कर दी है, और अस्पतालों को तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं। डॉक्टरों का कहना है, “डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन अवेयर रहना जरूरी है।” भारत की मजबूत वैक्सीनेशन ड्राइव और पहले के अनुभवों ने देश को इस स्थिति से निपटने के लिए तैयार किया है।