
बैंकों के साथ विवाद पर खुलासा
भगोड़ा कारोबारी विजय माल्या ने भारत लौटने की इच्छा जताई है लेकिन इसके लिए उन्होंने एक अहम शर्त रखी है. एक हालिया पॉडकास्ट साक्षात्कार में माल्या ने कहा कि वह भारत तभी लौटेंगे जब उन्हें निष्पक्ष सुनवाई और सम्मानजनक जीवन की गारंटी मिले. माल्या पर किंगफिशर एयरलाइंस के लिए बैंकों से लिए गए 9,000 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज को न चुकाने का आरोप है. 2016 से ब्रिटेन में रह रहे माल्या ने अपने बयान में बैंकों और सरकार पर सवाल उठाए हैं. उनके इस बयान ने एक बार फिर सियासी और वित्तीय हलकों में हलचल मचा दी है.
माल्या ने दावा किया कि उन्होंने किंगफिशर एयरलाइंस के लिए 6,203 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था लेकिन बैंकों ने उनसे 14,131 करोड़ रुपये की वसूली कर ली है. उन्होंने कर्नाटक हाई कोर्ट में इस मामले में पारदर्शिता की मांग की है और बैंकों से अपने खातों का ब्योरा मांगा है. माल्या का कहना है कि उन्हें चोर के रूप में पेश किया जा रहा है जबकि उन्होंने कोई धोखाधड़ी नहीं की. उन्होंने यह भी कहा कि वह भारत की जेलों की स्थिति को लेकर चिंतित हैं और निष्पक्ष सुनवाई के बिना वापसी उनके लिए जोखिम भरी हो
माल्या के इस बयान ने भारत में कई तरह की प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं. कुछ लोग इसे उनकी वापसी की कोशिश के रूप में देख रहे हैं जबकि अन्य इसे कानूनी प्रक्रिया से बचने की रणनीति मानते हैं. भारत सरकार और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) माल्या को प्रत्यर्पण के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहे हैं. ब्रिटेन की अदालतों में भी इस मामले की सुनवाई चल रही है लेकिन माल्या ने अब तक प्रत्यर्पण से बचने में सफलता पाई है. उनके इस ताजा बयान को कुछ विश्लेषकों ने सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश के रूप में देखा है.
माल्या ने अपने साक्षात्कार में यह भी कहा कि वह भारत के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हैं लेकिन उन्हें उचित मौका चाहिए. उनके दावों के मुताबिक बैंकों ने उनके साथ गलत व्यवहार किया है और उनकी संपत्तियों को जरूरत से ज्यादा वसूली के लिए इस्तेमाल किया गया. यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत में आर्थिक अपराधों और भगोड़े कारोबारियों के खिलाफ सख्ती बढ़ रही है. माल्या का यह बयान न केवल उनके प्रत्यर्पण के मामले को बल्कि बैंकों की वसूली प्रक्रिया पर भी सवाल उठा रहा है. अब यह देखना होगा कि सरकार और न्यायिक प्रणाली इस पर क्या रुख अपनाती है.