पॉक्सो एक्ट के तहत बच्चों को मुआवजा नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के तहत यौन शोषण का शिकार हुए बच्चों को मुआवजा देने की योजना लागू करने में देरी पर केंद्र सरकार और अन्य पक्षों से जवाब मांगा है। यह निर्देश एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया गया जिसमें पीड़ित बच्चों के लिए मुआवजा सुनिश्चित करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। यह मामला देश में बाल यौन शोषण के पीड़ितों के अधिकारों और उनकी सहायता के लिए उठाए जा रहे कदमों पर सवाल उठाता है।

याचिका में कहा गया है कि पॉक्सो एक्ट 2012 में बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण प्रदान करने के लिए बनाया गया था। इस कानून के तहत पीड़ित बच्चों को मुआवजा देने का प्रावधान है ताकि उन्हें आर्थिक और सामाजिक सहायता मिल सके। हालांकि याचिका में दावा किया गया कि कई राज्यों में यह योजना प्रभावी ढंग से लागू नहीं हो रही है। कई पीड़ित बच्चों को समय पर मुआवजा नहीं मिल रहा जिसके कारण उनकी पुनर्वास प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस कमी को गंभीर माना और सरकार से इसकी स्थिति स्पष्ट करने को कहा।

कोर्ट ने यह भी पूछा कि मुआवजा योजना को लागू करने में क्या बाधाएं हैं और इसे प्रभावी बनाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। याचिका में यह भी मांग की गई कि सभी राज्यों में एक समान मुआवजा नीति लागू की जाए ताकि पीड़ितों को बिना देरी के सहायता मिल सके। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और राज्यों से चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

इस मामले ने सोशल मीडिया पर भी चर्चा छेड़ दी है। कई यूजर्स ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता जताई और कहा कि बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के खिलाफ सख्ती के साथ-साथ पीड़ितों की सहायता भी जरूरी है। एक एक्स पोस्ट में लिखा गया कि मुआवजा न मिलने से पीड़ितों का भरोसा सिस्टम से उठ सकता है। वहीं कुछ लोगों ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए और इसे लापरवाही करार दिया।

बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के इस कदम का स्वागत किया है। उनका कहना है कि मुआवजा न केवल आर्थिक सहायता प्रदान करता है बल्कि पीड़ित बच्चों को सामाजिक और मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत करने में भी मदद करता है। यह फैसला भविष्य में पॉक्सो एक्ट के प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

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