गुरु पूर्णिमा पर विशेष: भगवान ब्रह्मा जीव का निर्माण करते हैं, ठीक उसी प्रकार से गुरु शिष्य का निर्माण करते हैं

गुकारश्चान्धकारस्तु रुकारस्तन्निरोधकृत् |
अन्धकारविनाशित्वात् गुरुरित्यभिधीयते |

( अद्वितारक उपनिषद)
‘गु’ कार अंधकार है और उसको दूर करने वाला ‘रु’ कार है | अज्ञान रूपी अन्धकार को नष्ट करने के कारण ही गुरु कहलाते हैं। गुरु को साक्षात भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है। जिस प्रकार से भगवान ब्रह्मा जीव का निर्माण करते हैं, ठीक उसी प्रकार से गुरु शिष्य का निर्माण करते हैं। “गुरु पूर्णिमा” का यह पावन दिवस, हमें याद दिलाता है कि जीवन में सबसे मूल्यवान वह नहीं जो हमने बाहर भौतिक रूप से पाया… बल्कि यह है जो हमारे गुरु ने हमें भीतर देखने की दृष्टि दी।गुरु पूर्णिमा का पावन अवसर अपने जीवन के सभी गुरु स्वरूपों व गुरु तत्व को नमन करने का दिन है… किसी भी माह की गणना का निर्धारण चंद्रमा की कला के आधार पर किया जाता है। चंद्रमा पर आधारित ही एक माह के दो पक्ष होते हैं शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष के 15 वें दिन को हम सब पूर्णिमा कहते हैं। वैसे तो प्रत्येक माह की पूर्णिमा विशेष होती है किंतु आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा अत्यंत महत्वपूर्ण है जिसे गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा कहा जाता है। शास्त्र की दृष्टि से देखें तो इन्हीं मान्यताओं के अनुसार महाभारत, अठारह पुराण, श्रीमद्भागवत, ब्रह्मसूत्र, मीमांसा जैसे अद्वितीय साहित्य-दर्शन के प्रणेता महर्षि वेद व्यास हैं…और इनका जन्म आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को हुआ था, महर्षि वेद व्यास को गुरुओं का गुरु कहा जाता है इसलिए उनके जन्मोत्सव को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। वेदांत दर्शन औऱ अद्वैतवाद के संस्थापक महर्षि वेदव्यास ऋषी पराशर के पुत्र थे। वर्तमान परिवेश में गुरु… केवल एक नाम नहीं, एक व्यक्तित्व नहीं, बल्कि वह तत्व है, वह चेतना है, जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है और हमें हमारे सत्य से परिचय कराता है।पूर्णिमा अर्थात जिस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है उसमें सबसे ज्यादा ऊर्जा में होती है क्योंकि चंद्रमा का संबंध धरती के जल से है, चंद्रमा समुद्र के जल को ऊपर की ओर खींचता है इसलिए जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार भाटा उत्पन्न होता है तथ्यों के अनुसार मानव के शरीर में भी लगभग 75% पानी है अतः पूर्णिमा का प्रभाव मानव शरीर पर भी पड़ता है वैज्ञानिकों के अनुसार पूर्णिमा की रात चंद्रमा का प्रभाव तेज होने के कारण शरीर के अंदर रक्त में न्यूरो सेल्स क्रियाशील हो जाते हैं। इसलिए आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा पर यदि हम अपने भीतर जाकर आध्यात्मिक कार्य करें जैसे ध्यान, साधना, सत्संग, गुरुपूजा आदि तो हम अपनी ऊर्जा को उन्नत ( upgrade) कर सकते हैं। जीवन में जब भी भटकाव आये या जब भी हम भ्रमित हों तब गुरु तत्व ही भीतर की आवाज़ सुनाने का काम करते हैं..। बाहर की दुनिया तो केवल परीक्षा है…असल खोज तो अपनी आत्मा की होती है और इस सत्य से परिचय करवाया गुरु तत्व ने।मेरे जीवन में जो भी सबक या आध्यात्मिक अनुभव आए हैं — चाहे वह मेरी गुरु मां द्वारा मिला हो, मेरे किसी टीचर या मेंटर द्वारा , मेरे माता-पिता या किसी ग्रन्थ अथवा पुस्तक द्वारा या किसी दिव्य आत्मा से मिला हो, चाहे वो कठिन अनुभवों से हुआ हो — मैं उन सभी को आज ह्रदय से धन्यवाद करती हूँ …इस गुरु पूर्णिमा पर “मैं वर्षा बघेल” संकल्प लेती हूं, और आप भी लीजिए —मैं अपने भीतर की सच्चाई से जुड़ूंगी, ध्यान और समर्पण के साथ… स्वयं तो आध्यात्म (आत्मा ) की राह पर चलूंगी साथ ही दूसरों की उनकी आध्यात्मिक यात्रा में सहायता करूंगी।

इस युग में कई रूप में ज्ञान व्याप्त है…किंतु हमें जागरूक होकर अपनी चेतना के स्तर को बढ़ाना है, और सत्य व सही ज्ञान को समझना व आत्मसात करना है। इस गुरु पूर्णिमा पर मैं प्रार्थना करती हूँ कि हम सभी के भीतर विवेक, संयम, श्रद्धा और साधना बनी रहे, और हम अपने आत्मिक विकास के पथ पर आगे बढ़ें ।
“गुरुदेव! आप साकार हों या निराकार, बाहर हों या भीतर कृपया हमें हर पल अपनी चेतना से जोड़कर रखें।”
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं 💐🙏

वर्षा बघेल
टैरो कार्ड रीडर
न्यूमरोलॉजिस्ट
रेकी मास्टर / टीचर
(पास्ट लाइफ / एनर्जी हीलर )
स्प्रिचुअल काउंसलर

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