Nag Panchami 2025: कब है नाग पंचमी 28 या 29 जुलाई, आईए जानें क्यों मनाते हैं नाग पंचमी, क्या है महत्व

24 जुलाई 2025: नागपंचमी: एक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पर्व

सावन में नाग पंचमी कब मनाते हैं! आईए जानते हैं पूजा विधि और पर्व का महत्व!
नाग पंचमी वाले दिन- क्या करें और क्या ना करें?

हिंदू धर्म में सर्पों को केवल एक जीव के रूप में नहीं, बल्कि दिव्यता, शक्ति और रहस्य के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। नागपंचमी, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है और यह नागों को समर्पित पर्व है।

प्रमुख पौराणिक कथाएँ:

1. कालिया नाग और श्रीकृष्ण:

भगवान श्रीकृष्ण ने बचपन में यमुना नदी में रहने वाले विषैले कालिया नाग को पराजित कर नदी को शुद्ध किया। उसी दिन को नागपंचमी के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई।

2. जनमेजय का सर्प-सत्र:

महाभारत के राजा जनमेजय ने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए सभी सर्पों के नाश हेतु सर्प-सत्र नामक यज्ञ आरंभ किया था। तभी आस्तिक मुनि ने यज्ञ को रोककर नागों को विनाश से बचाया। यह दिन पंचमी तिथि का ही था, जिसे नागपंचमी कहा गया।

पूजा विधि और व्रत नियम:

प्रातःकालीन तैयारी:

  • स्नान करके साफ कपड़े पहनें
  • घर के मुख्य द्वार या पूजा स्थल पर गोबर या पीली मिट्टी से नाग का चित्र बनाएं
  • नागदेवता को फूल, चावल, हल्दी, दूब, कुश, चंदन आदि अर्पित करें

विशेष प्रसाद:

  • नागदेवता को दूध, शहद और मीठे पकवान अर्पित करें
  • कुछ स्थानों पर चावल की खीर या मीठी पूड़ी का भोग लगाया जाता है मंत्र एवं आरती:

“ॐ नमः नागाय”
“ॐ वासुकी नमः”
“ॐ अनंताय नमः”

इसके पश्चात नाग पंचमी की कथा सुनी जाती है और आरती की जाती है।

क्षेत्रीय विविधता:

महाराष्ट्र:

  • घरों के दरवाज़ों पर नाग के चित्र बनाए जाते हैं
  • महिलाएं व्रत रखती हैं और घर के पुरुष खेतों में नाग देवता को दूध चढ़ाने जाते हैं

उत्तर प्रदेश और बिहार:

  • मिट्टी या लकड़ी के नाग बनाकर घर में पूजा की जाती है
  • नागदेवता की कहानी सुनाई जाती है, जिसे “नाग कथा” कहा जाता है

दक्षिण भारत:

  • नाग मंदिरों में विशेष पूजा होती है, जैसे कि नागार्जुन, कुक्के सुब्रमण्य आदि मंदिरों में

नागपंचमी का वैज्ञानिक और पर्यावरणीय पक्ष:

  • सर्प हमारे कृषि तंत्र के महत्वपूर्ण अंग हैं; वे चूहों को खाकर फसल की रक्षा करते हैं
  • यह पर्व हमें सिखाता है कि सभी जीवों का अस्तित्व आवश्यक है।
  • यह प्राकृतिक जैव विविधता को सम्मान देने और जीवमात्र के साथ संतुलन बनाए रखने का संदेश देता है

आध्यात्मिक दृष्टिकोण: कुंडलिनी जागरण का प्रतीक:

  • योगशास्त्र के अनुसार नाग एक कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक है, जो रीढ़ की हड्डी में सुप्त अवस्था में स्थित होती है
  • नाग की पूजा उस आत्मिक शक्ति को जागृत करने का भी प्रतीकात्मक रूप है

नागपंचमी के दिन क्या न करें?

  • जमीन पर हल चलाना, खुदाई करना या पेड़-पौधों की कटाई से बचें
  • नागों को हानि पहुँचाना पाप माना जाता है
  • दूध को व्यर्थ न बहाएं — दूध को शुद्ध रूप में मंदिरों में अर्पण करें या ज़रूरतमंदों में बाँटें

Related Posts

बृहदेश्वर मंदिर तंजावुर: तमिलनाडु का Big Temple, वास्तुकला का बेजोड़ और अनोखा मंदिर

2 अगस्त 2025: बृहदेश्वर मंदिर, जिसे राजराजेश्वर मंदिर और बिग टेंपल (Big Temple) भी कहा जाता है, भारत के तमिलनाडु राज्य के तंजावुर शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान…

Read more

घर में कहां बनाए पूजा घर: वास्तुशास्त्र के अनुसार पूजा घर का सही स्थान और निर्माण के नियम जाने

2 अगस्त 2025: पूजा घर न केवल एक धार्मिक स्थान है, बल्कि यह घर की आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र भी होता है। यह स्थान सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है…

Read more

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!