
25 July 2025: भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी कही जाने वाली वाराणसी, जिसे बनारस और काशी के नाम से भी जाना जाता है, विश्वभर में प्रसिद्ध है। इसी पवित्र नगरी में स्थित है काशी विश्वनाथ मंदिर, जो भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह भारत की आध्यात्मिक परंपराओं, इतिहास और संस्कृति का जीवंत प्रतीक भी है। काशी को मोक्ष का द्वार भी कहते हैं l
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास
मान्यता है कि काशी शहर की स्थापना स्वयं भगवान शिव ने की थी।शिव पुराण में वर्णन मिलता है शिव ने कभी मुक्त नमक लिंग को स्वयं यहां स्थापित किया था l स्कंद पुराण में उल्लेख है कि काशी शिवजी की प्रिय नगरी है और वे यहाँ सदा विराजते हैं।
जो मनुष्य काशी में आकर गंगा स्नान करता है, उसके सभी संचित तथा क्रियमाण कर्म का नाश हो जाता है l
मंदिर का निर्माण और पुनर्निर्माण
- कहा जाता है कि मूल मंदिर 11वीं सदी में बनवाया गया था, लेकिन समय-समय पर इसे नष्ट और पुनर्निर्मित किया गया।
- 1669 ई. में मुग़ल शासक औरंगजेब ने मंदिर को तोड़कर वहाँ ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई।
- वर्तमान मंदिर का निर्माण 1780 में मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर ने कराया।
- इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के शिखर पर सोने का आवरण चढ़वाया था, जिसमें लगभग 1 टन सोना लगा था।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
- यह मंदिर मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक है। मान्यता है कि जो भक्त यहाँ भगवान शिव के दर्शन करता है, उसे मृत्यु के बाद मुक्ति मिलती है।
- यहां भगवान शिव को “विश्वनाथ” या “विश्वेश्वर” कहा जाता है, जिसका अर्थ है “संपूर्ण जगत के स्वामी”।
- गंगा नदी के निकट स्थित यह मंदिर पवित्रता और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर है।
- मृत्यु के समय अगर किसी के कान में “शिव नाम” कहा जाए और अंत्येष्टि काशी में हो, तो उसे मोक्ष प्राप्त होता है – ऐसी मान्यता है।
मंदिर की वास्तुकला
- मंदिर उत्तर भारतीय नागर शैली में बना हुआ है।
- इसका मुख्य शिखर स्वर्ण जड़ा हुआ है, जिसे दूर से ही देखा जा सकता है।
- मंदिर परिसर में 15 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर हैं – जैसे काल भैरव, विनायक, मां अन्नपूर्णा, विष्णु और दुर्गा।
प्रमुख त्योहार और आयोजन
महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। लाखों श्रद्धालु इस दिन जलाभिषेक और रुद्राभिषेक के लिए आते हैं।
श्रावण मास में पूरे महीने शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाया जाता है।
दीपावली एवं कार्तिक पूर्णिमा पर मंदिर को दीयों और पुष्पों से सजाया जाता है। गंगा घाट पर विशेष आरती होती है।
हर सोमवार को शिवभक्त बड़ी संख्या में दर्शन करने आते हैं। मंगलवार को भीड़ अधिक होती है क्योंकि यह वाराणसी में मां अन्नपूर्णा पूजा का दिन माना जाता है।
काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर परियोजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2021 में “काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर” का उद्घाटन हुआ। यह प्रोजेक्ट मंदिर को गंगा नदी से जोड़ता है और श्रद्धालुओं को सुगम मार्ग प्रदान करता है।
- पहले मंदिर तक पहुँचना कठिन था, लेकिन अब आधुनिक सुविधा युक्त रास्तों, सुरक्षा और स्वच्छता के कारण यह अनुभव बेहद भव्य हो गया है।
- कॉरिडोर में भक्ति पथ, संग्रहालय, गैलरी, ध्यान केंद्र और श्रद्धालुओं के विश्राम स्थल भी शामिल हैं।
मंदिर कैसे पहुँचें?
रेल द्वारा:
- नजदीकी रेलवे स्टेशन: वाराणसी जंक्शन (VNS)
- रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 5 किलोमीटर है।
हवाई मार्ग:
- निकटतम हवाई अड्डा: लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट, बाबतपुर (VNS Airport)
- एयरपोर्ट से टैक्सी द्वारा लगभग 45 मिनट का सफर।
सड़क मार्ग:
- उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से बसें और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं।
- बनारस के स्थानीय ऑटो-रिक्शा और ई-रिक्शा मंदिर तक ले जाते हैं।
दर्शन और पूजा की जानकारी
- मंदिर खुलने का समय: प्रातः 4:00 बजे से रात्रि 11:00 बजे तक
- ऑनलाइन पूजा बुकिंग: आधिकारिक वेबसाइट या ऐप से सुविधा उपलब्ध है।
- मंदिर के आसपास मोबाइल और कैमरा प्रतिबंधित हैं, इसलिए लॉकर्स का उपयोग करें।
- पूजा-सामग्री मंदिर के बाहर उपलब्ध होती है।
- महिलाएं साड़ी या सलवार-कुर्ता और पुरुष धोती/पायजामा पहनकर जाएँ तो पारंपरिकता बनी रहती है।
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
सुबह का समय सबसे शांत और शुभ माना जाता है। सावन और महाशिवरात्रि पर भी विशेष पूजा होती है।
विदेशी नागरिक पासपोर्ट दिखाकर प्रवेश कर सकते हैं।
मंदिर परिसर के अंदर फोटोग्राफी पूर्णतः प्रतिबंधित है।
काशी विश्वनाथ मंदिर एक ऐसा तीर्थ स्थल है जहाँ आस्था, अध्यात्म और भारतीय संस्कृति का अद्भुत संगम होता है। यह मंदिर न केवल भगवान शिव का निवास है, बल्कि हर श्रद्धालु की आत्मा को शांति देने वाला स्थल भी है। यदि आप जीवन में कभी एक बार भी वाराणसी आएँ, तो इस मंदिर के दर्शन अवश्य करें।
हर हर महादेव