
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को विशेष रूप से पवित्र और शुभ फलदायक माना गया है ।इस दिन स्नान ,दान, पूजा, पाठ जैसे कर्म करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। वैशाख मास की अमावस्या का धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व होता है।
जानते हैं वैशाख अमावस्या की सही तिथि और शुभ मुहूर्त—
वैदिक पंचांग के अनुसार वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या 27 अप्रैल को सुबह 4:28 पर शुरू हो रही है। वहीं अमावस्या तिथि की समाप्ति 27 अप्रैल को देर रात 1:02 पर होगी ।उदया तिथि के अनुसार वैशाख अमावस्या 27 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी।
वैशाख अमावस्या पर क्या करें:
- वैशाख की अमावस्या वाले दिन जूते चप्पल दान करना शुभ मानते हैं
- शाम के समय पीपल के पेड़ में दीपक जलाना से पितृ प्रसन्न होते हैं
- पलाश के पत्तों पर कौवे को खाना देना इसे पितृ दोष शांत होता है से मुक्ति मिलती है *इस दिन शनि चालीसा का पाठ करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं शनि महाराज को तिल और तेल चढ़ाएं और नीले आंकड़े का फूल अर्पित करें। इससे शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव भी काम होता है ।
- वंश वृद्धि के लिए पीतल के लोटे में जल लेकर पितरों को तर्पण किया जाता है। वृक्ष लगाए जाते हैं । पितृ प्रसन्न होते हैं ,और वंश वृद्धि होती है ।
- इस दिन घड़ा मिट्टी का घड़ा जल पंखा और फलों का दान करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और घर में सुख समृद्धि बढ़ती है।
*हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करने से घर में सकारात्मक बढ़ती है और नेगेटिव एनर्जी दूर होती है।
वैशाख अमावस्या पर क्या ना करें :
*इस दिन स्नान दान का महत्व होता है किंतु कच्चा भोजन ब्राह्मणों को नहीं देना चाहिए ।इससे लक्ष्मी रुष्ट हो जाती है और सुख सौभाग्य में कमी आतीहै ।
*इस दिन महिलाओं के अपमान से बचना चाहिए ।
*इस दिन नाखून और बाल नहीं काटे जाते । सिर पर तेल लगाने से भी बचना चाहिए ।
*इस दिन सफेद वस्तुओं का दान नहीं लेना चाहिए ।
*इस दिन किसी भी नौकर चाकर या मजदूर का भूल कर भी अपमान ना करें। इससे आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है।
*इस दिन तामसिक भोजन से बचना चाहिए। इससे घर में नेगेटिव एनर्जी बढ़ जाती है ,जो कलह का कारण बनती है।