भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग: भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक, सह्याद्रि की वादियों में बसा शिव का चमत्कारी धाम

22 जुलाई 2025: भारत में शिवभक्तों के लिए 12 ज्योतिर्लिंग अत्यंत पावन स्थल माने जाते हैं । इन्हीं में से एक है– भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, जो महाराष्ट्र के पुणे ज़िले में सह्याद्रि पर्वतमाला की गोद में बसा हुआ है। यह न सिर्फ एक धार्मिक स्थल है, बल्कि प्रकृति प्रेमियों और ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए भी किसी स्वर्ग से कम नहीं।इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को भगवान के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग काफी बड़ा और मोटा है, जिसके कारण इस मंदिर को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के पास ही भीमा नदी बहती है जो कृष्णा नदी में जाकर मिल जाती है।

🔱 भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

महा बलवान राक्षस भीम , कुम्भकर्ण के द्वारा कर्कटी नामक राक्षसी से उत्पन्न हुआ था l और अपनी माता के साथ सह्य पर्वत पर रहता था l जब उसे यह पता चला कि कुम्भकर्ण का वध राम द्वारा किया गया है l तो वह कुपित हो उठा और और रामचंद्र को पीड़ा पहुंचाने के उद्देश्य से तप करने के लिए चला गया l उसने 1000 वर्ष तक महान तप किया l और वरदान में ब्रह्मा जी से अप्रतिम बल प्राप्त किया l इस बल के प्रभाव से उसने सभी देवताओं का विनाश करना शुरू किया l सर्वप्रथम उसने इंद्र आदि देवताओं को जीता और उन्हें अपने स्थान से हटा दिया l भगवान विष्णु को भी दैत्य ने जीत लिया l पृथ्वी को जीत लिया l
फिर कामरूप के स्वामी सुदक्षिण सदस्यों को जीतने के लिए वह गया l जहां राजा के साथ उसका भयंकर युद्ध हुआ l ब्रह्मा के वरदान के प्रभाव से उसने उसे भी जीत लिया और कमरूपेश्वर राजा को अत्यधिक क्लेश देने लगा l उसने उस धर्मात्मा शिवभक्त तथा धर्मात्मा राजा को बेड़ियों से बांध दिया और एकांत में बंद कर दिया l तब राजा ने वहां पार्थिव शिवलिंग बनाकर शिव जी का पूजन प्रारंभ किया और विधि विधान से पूजन करने लगे l जब राक्षस को यह पता चला कि राजा शिव पूजन कर रहा है , तो वह उन्हें मारने के लिए तलवार लेकर राजा के पास गया l वहां पार्थिव शिवलिंग रखा था l उसने पार्थिव लिंग पर प्रहार किया l उसकी तलवार पार्थिव लिंग का स्पर्श भी नहीं कर पाई तब तक उस पार्थिव लिंग से शिवजी स्वयं प्रकट हो गए और उन्होंने उस दुष्ट राक्षस भीम का नाश किया l
तत्पश्चात् देवताओं एवं ऋषियों की प्रार्थना को स्वीकार कर लोकहित करने वाले भक्त वत्सल शिवजी प्रेम पूर्वक वही स्थिति हो गए l
तभी से इसे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कहा जाता है।

स्थान और पहुंच

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित है, पुणे शहर से लगभग 110 किमी दूर।

सड़क मार्ग: पुणे से भीमाशंकर तक बस, टैक्सी और निजी वाहन से पहुंचा जा सकता है।

रेल मार्ग: नज़दीकी रेलवे स्टेशन पुणे जंक्शन है।

हवाई मार्ग: सबसे नजदीकी एयरपोर्ट पुणे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है।

मंदिर की विशेषताएँ
यह मंदिर नगार शैली में बना हुआ है, जो प्राचीन भारतीय वास्तुकला की सुंदर मिसाल है।

मंदिर का निर्माण नाना फडणवीस ने करवाया था, जो पेशवा काल के प्रमुख मंत्री थे।

यहां के शिवलिंग को स्वयंभू (स्वतः प्रकट) माना जाता है।

प्राकृतिक सौंदर्य और ट्रेकिंग का आनंद

भीमाशंकर मंदिर केवल एक धार्मिक स्थान नहीं है, बल्कि यह भीमाशंकर वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी का हिस्सा भी है। यहां ट्रेकिंग, जंगल सफारी और नायाब जैव विविधता देखने का अद्भुत अनुभव मिलता है।

यहाँ पाई जाती है शिवमृग (Giant Indian Squirrel), जो बहुत दुर्लभ है।

मानसून के समय हरियाली, झरने और कोहरा इसे एक परीकथा जैसा रूप देते हैं।

श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक जानकारी

उत्सव: महाशिवरात्रि, श्रावण मास, और कार्तिक पूर्णिमा पर विशेष भीड़ होती है।

रहने की सुविधा: यहाँ श्रद्धालुओं के लिए धर्मशालाएँ, छोटे होटल और रिसॉर्ट्स उपलब्ध हैं।

मंदिर दर्शन का समय: सुबह 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक।

यहाँ की हवा में एक आध्यात्मिक शांति है जो आत्मा को सुकून देती है।

स्थानीय गाँव के लोग बेहद मेहमाननवाज़ हैं और यहां का खाना सरल लेकिन स्वादिष्ट होता है।

ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए यह जगह स्वर्ग समान है — खासकर मानसून और सर्दियों में।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग एक ऐसा स्थान है जहां आस्था और प्रकृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यह स्थान केवल शिवभक्तों के लिए नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए है जो जीवन में कुछ सच्ची शांति, पवित्रता और प्राकृतिक सौंदर्य की तलाश में है।

अगर आप कभी महाराष्ट्र आएं, तो भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की यात्रा ज़रूर करें — यह अनुभव जीवन भर आपके साथ रहेगा।

हर हर महादेव

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