
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीट बंटवारे की चर्चा जोरों पर है. सूत्रों के अनुसार गठबंधन के भीतर दो प्रमुख फॉर्मूले पर विचार किया जा रहा है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान की भूमिका अहम है. बीजेपी गठबंधन को मजबूत करने और चिराग को संतुष्ट करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, जबकि जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के साथ संतुलन बनाए रखना भी चुनौती है.
पहले फॉर्मूले के तहत बीजेपी और जेडीयू को लगभग बराबर सीटें मिलने की संभावना है. सूत्रों के मुताबिक जेडीयू को 103 और बीजेपी को 103 सीटें दी जा सकती हैं. वहीं, चिराग पासवान की एलजेपी (रामविलास) को 28 सीटें, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (एचएएम) को 6 सीटें और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) को 3 सीटें मिल सकती हैं. इस फॉर्मूले में बीजेपी और जेडीयू के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की गई है, ताकि दोनों प्रमुख दलों की ताकत बरकरार रहे. चिराग पासवान को दी जा रही सीटों की संख्या उनकी बढ़ती राजनीतिक मांग को दर्शाती है.
दूसरे फॉर्मूले में चिराग पासवान की पार्टी को और अधिक महत्व दिया जा सकता है. कुछ सूत्रों का कहना है कि चिराग ने 40 सीटों की मांग की है, जिसे बीजेपी गंभीरता से ले रही है. इस फॉर्मूले में बीजेपी और जेडीयू को कम सीटें मिल सकती हैं, ताकि चिराग की पार्टी को ज्यादा सीटें दी जा सकें. उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को भी 20 सीटों की मांग के साथ विचार किया जा रहा है. इस फॉर्मूले का लक्ष्य चिराग के प्रभाव को बढ़ाना और युवा मतदाताओं को आकर्षित करना है.
चिराग पासवान बिहार की सियासत में अपनी मजबूत स्थिति बना चुके हैं. उनकी लोकप्रियता और युवा नेतृत्व को देखते हुए बीजेपी उन्हें गठबंधन में महत्वपूर्ण स्थान देना चाहती है. पिछले लोकसभा चुनाव में चिराग को 5 सीटें मिली थीं, जिसमें उनकी पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया था. अब विधानसभा चुनाव में उनकी बढ़ी हुई मांग गठबंधन की रणनीति को प्रभावित कर रही है.
एनडीए के सामने सबसे बड़ी चुनौती गठबंधन के सभी दलों को संतुष्ट करना है. जेडीयू और बीजेपी के बीच सीटों का बराबर बंटवारा पहले से तय माना जा रहा था, लेकिन चिराग और अन्य सहयोगी दलों की बढ़ती मांग ने समीकरण को जटिल बना दिया है. बीजेपी की कोशिश है कि गठबंधन एकजुट रहे और बिहार में विपक्ष को कड़ी टक्कर दे सके.
सीट बंटवारे को लेकर अंतिम फैसला जल्द होने की उम्मीद है. बिहार की सियासत में यह बंटवारा गठबंधन की जीत और एकता के लिए अहम होगा. सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि बीजेपी और चिराग पासवान के बीच क्या समीकरण बनता है.