
2 अगस्त 2025: बृहदेश्वर मंदिर, जिसे राजराजेश्वर मंदिर और बिग टेंपल (Big Temple) भी कहा जाता है, भारत के तमिलनाडु राज्य के तंजावुर शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और द्रविड़ वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर (UNESCO World Heritage Site) में शामिल किया गया है।
मंदिर का इतिहास
बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण चोल सम्राट राजराजा चोल प्रथम ने 11वीं शताब्दी (1003-1010 ई.) में करवाया था। यह मंदिर चोल साम्राज्य की शक्ति, समृद्धि और वास्तुकला की उत्कृष्टता का प्रतीक है। यह उस समय के सबसे ऊंचे मंदिरों में से एक था और आज भी अपनी भव्यता के लिए विश्वविख्यात है।
बृहदेश्वर मंदिर की वास्तुकला
- ग्रेनाइट से बना विशाल मंदिर
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इसे बिना किसी पहाड़ के पास बने, ग्रेनाइट पत्थरों से निर्मित किया गया था। लगभग 60,000 टन ग्रेनाइट का उपयोग कर इसे बनाया गया। यह बात आज भी इंजीनियरों और इतिहासकारों को चौंकाती है। - ऊंचा शिखर (विमानम)
मंदिर का शिखर (विमान) लगभग 66 मीटर ऊँचा है, जो इसे भारत के सबसे ऊंचे मंदिरों में स्थान देता है। इस पर एक विशाल कलश स्थापित है, जो एक ही पत्थर से बना हुआ है और जिसका वजन लगभग 80 टन है। - नंदी की विशाल प्रतिमा
मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थित नंदी बैल की मूर्ति लगभग 16 फीट लंबी और 13 फीट ऊँची है। यह भारत की सबसे बड़ी नंदी प्रतिमाओं में से एक है और एक ही पत्थर से बनाई गई है। - गर्भगृह और शिवलिंग
गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग लगभग 4 मीटर ऊँचा है और मंदिर की दिव्यता को दर्शाता है।
बृहदेश्वर मंदिर की विशेषताएँ
मंदिर की छाया दोपहर के समय ज़मीन पर नहीं गिरती, जो इसकी स्थापत्य कला की अनोखी विशेषता मानी जाती है।
मंदिर की दीवारों पर चोल युग की चित्रकारी और तमिल शिलालेख खुदे हुए हैं जो इतिहास, संस्कृति और कला की जानकारी देते हैं।
यह मंदिर आज भी सक्रिय पूजा स्थल है और यहां हर साल शिवरात्रि तथा अन्य पर्वों पर विशेष अनुष्ठान और उत्सव आयोजित होते हैं।
युनेस्को विश्व धरोहर में शामिल
बृहदेश्वर मंदिर को 1987 में UNESCO द्वारा “Great Living Chola Temples” की श्रेणी में शामिल किया गया। यह भारत की सांस्कृतिक धरोहरों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
बृहदेश्वर मंदिर पर्यटन जानकारी
स्थान: तंजावुर, तमिलनाडु
समर्पित देवता: भगवान शिव
खुलने का समय: सुबह 6:00 बजे से रात 8:30 बजे तक
प्रवेश शुल्क: भारतीय पर्यटकों के लिए निशुल्क, कुछ विशेष दीर्घाओं हेतु नाममात्र शुल्क
सर्वश्रेष्ठ समय: अक्टूबर से मार्च तक का मौसम यात्रा के लिए उपयुक्त होता है।
तंजावुर के अन्य आकर्षण
यदि आप बृहदेश्वर मंदिर देखने जाएं तो पास के अन्य दर्शनीय स्थलों में निम्नलिखित शामिल हैं:
सिवगंगा गार्डन – बच्चों और परिवार के लिए आकर्षण
तंजावुर आर्ट गैलरी – चोल काल की मूर्तियाँ और पेंटिंग्स
सरस्वती महल लाइब्रेरी – भारत की सबसे पुरानी लाइब्रेरी में से एक
बृहदेश्वर मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है बल्कि तमिलनाडु की गौरवशाली विरासत, चोल वंश की स्थापत्य कला, और भारत की सांस्कृतिक शक्ति का प्रतीक भी है। यदि आप भारत की प्राचीन मंदिर वास्तुकला, इतिहास और आध्यात्मिकता को नजदीक से देखना चाहते हैं, तो बृहदेश्वर मंदिर की यात्रा जरूर करें।