बुद्ध पूर्णिमा 2025: महाबोधि मंदिर में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की पूजा-अर्चना…


भक्तों का उमड़ा सैलाब

बुद्ध पूर्णिमा 2025 के पावन अवसर पर बिहार के बोधगया स्थित विश्व प्रसिद्ध महाबोधि मंदिर में आध्यात्मिकता और भक्ति का अनुपम संगम देखने को मिला। इस खास दिन पर केरल के राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान ने महाबोधि मंदिर में पूजा-अर्चना की और भगवान बुद्ध को श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके साथ देश-विदेश से आए हजारों भक्तों ने भी इस पवित्र स्थल पर अपनी आस्था प्रकट की, जिससे मंदिर परिसर भक्ति और शांति के रंगों से सराबोर हो उठा।

राज्यपाल की उपस्थिति और पूजा:

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान सुबह-सवेरे महाबोधि मंदिर पहुंचे, जहां उनका पारंपरिक बौद्ध रीति-रिवाजों के साथ स्वागत किया गया। उन्होंने बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान लगाया और मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की। इस दौरान उन्होंने भगवान बुद्ध के शांति, करुणा और अहिंसा के संदेश को याद करते हुए कहा, “बुद्ध का जीवन हमें सत्य और प्रेम के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यह पवित्र भूमि हर इंसान को शांति और आत्मचिंतन का अवसर प्रदान करती है।” उनकी उपस्थिति ने समारोह को और गरिमामय बना दिया।

महाबोधि मंदिर में भक्तों का उत्साह:

बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर महाबोधि मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। सुबह से ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की कतारें लगी रहीं, जो बुद्ध की शिक्षाओं और उनके जीवन से प्रेरणा लेने आए थे। देश के विभिन्न हिस्सों के अलावा थाईलैंड, श्रीलंका, जापान, म्यांमार और वियतनाम जैसे देशों से आए बौद्ध अनुयायियों ने भी मंदिर में प्रार्थना की। मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों, दीपों और ध्वजों से सजाया गया था, जो उत्सव के माहौल को और आकर्षक बना रहा था।

बोधि वृक्ष और बुद्ध की शिक्षाओं का महत्व:

महाबोधि मंदिर, जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, विश्व धरोहर स्थल है और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे पवित्र तीर्थों में से एक है। बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान और प्रार्थना का विशेष आयोजन किया गया, जिसमें भिक्षुओं ने बौद्ध सूत्रों का पाठ किया। इस अवसर पर भक्तों ने बुद्ध की शिक्षाओं—अहिंसा, करुणा और मध्यम मार्ग—को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लिया।

बोधगया में उत्सव का माहौल:

बोधगया में बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव केवल मंदिर तक सीमित नहीं रहा। पूरे शहर में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। बौद्ध मठों और विहारों में विशेष प्रार्थना सभाएं हुईं, जहां भिक्षु-भिक्षुणियों ने बुद्ध के उपदेशों का प्रचार किया। स्थानीय लोग और पर्यटक भी इस उत्सव का हिस्सा बने। रात में मंदिर परिसर को दीपों से रोशन किया गया, जिसने बोधगया को एक दिव्य आलोक से भर दिया।

बुद्ध पूर्णिमा का वैश्विक महत्व:

बुद्ध पूर्णिमा, जिसे वैशाख पूर्णिमा या वेसाक के नाम से भी जाना जाता है, भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण का स्मरण कराती है। यह पर्व न केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि विश्व भर में शांति और मानवता के प्रेमियों के लिए भी महत्वपूर्ण है। बोधगया, जो बुद्ध की ज्ञान-भूमि है, इस दिन दुनिया भर के लोगों को एकजुट करती है।

आध्यात्मिकता और पर्यटन का संगम:

बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर बोधगया में पर्यटकों की संख्या में भी भारी इजाफा देखा गया। स्थानीय प्रशासन ने श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए थे, जिसमें सुरक्षा व्यवस्था, आवास और परिवहन शामिल थे। बोधगया के अन्य दर्शनीय स्थल, जैसे कि विभिन्न बौद्ध मठ और पुरातात्विक संग्रहालय, भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहे।

बुद्ध पूर्णिमा 2025 का उत्सव बोधगया में एक अविस्मरणीय अनुभव रहा, जहां राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की उपस्थिति ने इस अवसर को और विशेष बना दिया। महाबोधि मंदिर में भक्तों की भीड़, बौद्ध सूत्रों का पाठ और दीपों की रोशनी ने शांति और करुणा का संदेश विश्व भर में फैलाया। यह पर्व हमें बुद्ध के उपदेशों को अपनाने और अपने जीवन को सार्थक बनाने की प्रेरणा देता है। अगर आप भी इस पवित्र भूमि की यात्रा का प्लान बना रहे हैं, तो बोधगया की आध्यात्मिक ऊर्जा आपके जीवन को नई दिशा दे सकती है।

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