
विपक्ष का तंज- ‘यह कैसी सुरक्षा?’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया कानपुर दौरे के दौरान एक सनसनीखेज घटना ने सियासी हलकों में भूचाल ला दिया। उनके स्वागत के लिए पहुंचे लोगों में एक कुख्यात हिस्ट्रीशीटर संदीप ठाकुर की मौजूदगी ने सबको चौंका दिया। इस शख्स पर हत्या, रंगदारी और अन्य संगीन अपराधों के 27 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं, और इसके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) तक लगाया जा चुका है। इस घटना ने न केवल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए, बल्कि सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच तीखी बयानबाजी का दौर शुरू कर दिया। प्रशासन ने सफाई दी कि स्वागत के लिए नाम सत्तारूढ़ पार्टी ने ही दिए थे, लेकिन विपक्ष ने इसे “सुरक्षा में भयानक चूक” करार देते हुए सरकार को कटघरे में खड़ा किया। आइए, इस सियासी तूफान की पूरी कहानी को करीब से समझते हैं।
हिस्ट्रीशीटर का स्वागत में शामिल होना: सनसनीखेज खुलासा
PM मोदी के कानपुर दौरे के दौरान एयरपोर्ट पर उनके स्वागत के लिए कई गणमान्य लोग मौजूद थे। लेकिन इस भीड़ में संदीप ठाकुर जैसे हिस्ट्रीशीटर की मौजूदगी ने सबको हैरान कर दिया। ठाकुर, जिस पर हत्या, हत्या की कोशिश और रंगदारी जैसे गंभीर आरोप हैं, का PM के स्वागत में शामिल होना सुरक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा सवालिया निशान है। सोशल मीडिया पर इस खबर ने आग की तरह तहलका मचा दिया, और लोग सवाल उठाने लगे कि आखिर इतनी बड़ी चूक कैसे हुई?
प्रशासन ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि स्वागत के लिए लोगों की लिस्ट सत्तारूढ़ पार्टी ने ही तैयार की थी, और पुलिस से इसका सत्यापन करने को नहीं कहा गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “हमें सिर्फ लिस्ट दी गई थी। बैकग्राउंड चेक का कोई निर्देश नहीं था।” लेकिन इस सफाई ने विपक्ष को और आक्रामक कर दिया, जिसने इसे सरकार और प्रशासन की लापरवाही करार दिया।
विपक्ष का तीखा हमला: ‘यह कैसी सुरक्षा व्यवस्था?’
विपक्ष ने इस घटना को सरकार की सुरक्षा व्यवस्था में “भयानक चूक” बताते हुए तीखा हमला बोला। एक विपक्षी नेता ने कहा, “जब एक हिस्ट्रीशीटर PM के स्वागत में खड़ा हो सकता है, तो यह देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। क्या SPG (स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप) सो रही थी?” विपक्ष ने यह भी सवाल उठाया कि क्या यह सत्तारूढ़ दल की जानबूझकर की गई चाल थी, ताकि अपराधियों को बढ़ावा दिया जाए।
सत्तारूढ़ दल का जवाब: ‘विपक्ष का सस्ता ड्रामा’
सत्तारूढ़ दल ने विपक्ष के इन आरोपों को “सस्ता सियासी ड्रामा” करार दिया। पार्टी के एक प्रवक्ता ने कहा, “यह एक छोटी सी चूक थी, जिसे विपक्ष अनावश्यक रूप से तूल दे रहा है। PM की सुरक्षा में कोई कमी नहीं आई।” उन्होंने यह भी दावा किया कि संदीप ठाकुर का नाम लिस्ट में कैसे आया, इसकी जांच की जा रही है।
हालांकि, पार्टी के इस जवाब ने विपक्ष को और हमलावर बना दिया। विपक्ष ने सवाल उठाया कि अगर यह छोटी सी चूक थी, तो फिर ऐसे हिस्ट्रीशीटर की स्क्रीनिंग क्यों नहीं की गई? एक विपक्षी नेता ने तंज कसते हुए कहा, “जब अपराधी PM का स्वागत कर रहे हैं, तो फिर कानून व्यवस्था का क्या हाल होगा?”
सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने PM की सुरक्षा व्यवस्था और SPG की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। SPG, जो PM की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है, को इस तरह की चूक के लिए कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने सवाल उठाया कि अगर एक हिस्ट्रीशीटर PM के इतने करीब पहुंच सकता है, तो यह देश की सुरक्षा के लिए कितना बड़ा खतरा हो सकता है।
एक यूजर ने लिखा, “SPG को इतनी बड़ी लापरवाही की सजा मिलनी चाहिए। यह देश की सुरक्षा से खिलवाड़ है।” एक अन्य यूजर ने टिप्पणी की, “जब हिस्ट्रीशीटर PM के स्वागत में खड़े हों, तो आम आदमी की सुरक्षा का क्या हाल होगा?” यह साफ है कि यह घटना न केवल सियासी, बल्कि सामाजिक और सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी गंभीर है।
सियासी निहितार्थ
यह विवाद सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच एक नई सियासी जंग का आगाज कर सकता है। विपक्ष इस मुद्दे को भुनाकर सरकार की कानून व्यवस्था और सुरक्षा नीतियों पर सवाल उठा रहा है। यह घटना उत्तर प्रदेश जैसे सियासी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण राज्य में और हंगामा मचा सकती है, जहां कानून व्यवस्था हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रही है।
वहीं, सत्तारूढ़ दल इस मामले को जल्द से जल्द दबाने की कोशिश में है। पार्टी ने दावा किया कि यह एक छोटी सी गलती थी, और इसकी जांच के बाद जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन विपक्ष इसे “सत्तारूढ़ दल की अपराधियों के साथ मिलीभगत” करार दे रहा है, जो सियासी माहौल को और गर्म कर सकता है।
भविष्य की संभावनाएं
इस घटना ने न केवल कानपुर, बल्कि पूरे देश में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। अगर एक हिस्ट्रीशीटर इतनी आसानी से PM के स्वागत में शामिल हो सकता है, तो यह सुरक्षा तंत्र में गंभीर खामियों को दर्शाता है। विपक्ष इस मुद्दे को संसद के अगले सत्र में उठा सकता है, जिससे सत्तारूढ़ दल पर दबाव बढ़ेगा।
साथ ही, यह घटना यह भी सवाल उठाती है कि क्या सियासी दलों की लापरवाही या जल्दबाजी के चलते ऐसी चूक हुई? अगर लिस्ट की स्क्रीनिंग की जिम्मेदारी स्पष्ट नहीं थी, तो यह प्रशासन और पार्टी के बीच तालमेल की कमी को दिखाता है।
सियासत और सुरक्षा का नया तूफान
PM मोदी के स्वागत में एक हिस्ट्रीशीटर की मौजूदगी ने न केवल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए, बल्कि सियासी जंग को भी नया रंग दे दिया। प्रशासन की सफाई और विपक्ष के तीखे तंज ने इस घटना को एक सियासी तमाशे में बदल दिया है। यह घटना न केवल कानपुर की सियासत, बल्कि पूरे देश में सुरक्षा और कानून व्यवस्था पर बहस छेड़ सकती है। अब सवाल यह है कि इस सियासी तूफान का अगला मोड़ क्या होगा? क्या यह सिर्फ एक चूक थी, या इसके पीछे कोई बड़ा सियासी खेल है? इसका जवाब तो वक्त ही देगा।