What A Ride…. तिरंगा थामे अंतरिक्ष पहुंचे भारत के लाल एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला, कल इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचकर रचेंगे इतिहास

वॉशिंगटन। भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने आज अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी। वे एक्सियम मिशन के तहत 25 जून को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए रवाना हुए। इससे पहले नासा का यह मिशन छह बार तकनीकी दिक्कतों के कारण कैंसिल हो चुका था। उनके साथ तीन अन्य एस्ट्रोनॉट भी इस मिशन में शामिल हैं। इस मिशन में शुभांशु शुक्ला पायलट की भूमिका में है। इनके अलावा पोलैंड के स्लॉवोसज मिशन एक्सपर्ट के तौर पर, पैगी व्हिटसन कमांडर, और हंगरी के टीबोर कापू मिशन एक्सपर्ट के तौर पर शामिल हैं।

अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद शुभांशु ने अपना रिएक्शन भी जाहिर किया उन्होंने कहा what a ride… साथी उन्होंने कहा मेरे कंधे पर लगा तिरंगा बताता है कि मैं आप सभी के साथ हूं। शुभांशु की इस उपलब्धि पर उनके माता-पिता आशा शुक्ला और शंभू दयाल शुक्ला इमोशनल नजर आए। मेरे बेटे की इस सफलता पर काफी खुश और गौरांवित महसूस कर रहे थे।

यह मिशन भारतीय समय अनुसार दोपहर करीब 12:00 कैनेडी स्पेस केंद्र से लॉन्च किया गया। नासा के इस मिशन में स्पेस एक के फाल्कन 9 रॉकेट से जुड़े ड्रैगन कैप्सूल में सभी एस्ट्रोनॉट को भेजा गया।

बताया जा रहा है कि यह स्पेसक्राफ्ट करीब 28 घंटे बाद यानी 26 जून को शाम 4:30 बजे ISS से जुड़ेगा।

शुभांशु ने इस दौरान देश के लिए एक संदेश भी साझा किया। उन्होंने कहा नमस्कार मेरे प्यारे देशवासियों, क्या सफर है ! 41 साल बाद हम एक बार फिर अंतरिक्ष में हैं। यह अद्भुत सफ़र है। हम पृथ्वी के चारों ओर 7:30 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से चक्कर लगा रहे हैं। मेरे कंधों पर लगा तिरंगा मुझे बताता है कि मैं आप सभी के साथ हूं। मेरी यह यात्रा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की शुरुआत नहीं है बल्कि भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत है। मैं चाहता हूं कि आप सभी इस यात्रा का हिस्सा बने। आपके सीने में भी गर्व की अनुभूति होनी चाहिए। आइए मिलकर भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत करें। जय हिंद जय भारत।

41 साल बाद कोई भारतीय एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में अपनी मौजूदगी दर्ज कर रहा है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय एजेंसी इसरो के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत भारतीय वायु सेवा के ग्रुप कैप्टन सुधांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए सिलेक्ट किया गया है। शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर पहुंचने वाले पहले और स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय होंगे। इससे पहले राकेश शर्मा 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष की यात्रा के लिए गए थे।

एक्स कम 4 मिशन इससे पहले चार बार कैंसिल किया जा चुका है। इसकी वजह तकनीकी कारण बताए गए थे। 19 ममई को लॉन्चिंग कैंसिल की गई थी। 8 जून को भी शेड्यूल तैयार होने के बाद लॉन्चिंग को टाल दिया गया था। इसके बाद 10 जून को नई तारीख दी गई थी, लेकिन मौसम की खराबी के चलते मिशन को कैंसिल कर दिया गया था। चौथी बार 11 जून को मिशनरी शेड्यूल किया गया। इस बार ऑक्सीजन लीक हो गई। इसके बाद 19 जून को नई तारीख दी गई, लेकिन मौसम की दिक्कतों के चलते फिर से मिशन को रोक दिया गया और छठवीं बार 22 जून को यह मिशन शेड्यूल किया गया, लेकिन किसी तकनीकी कारण के चलते इसे भी रोक दिया गया।

बता दें, इस मिशन का उद्देश्य नई टेक्नोलॉजी और स्पेस से जुड़ी कुछ रिसर्च को नया आयाम देने की कोशिश भर है। यह मिशन प्राइवेट स्पेस ट्रैवल को बढ़ावा देने के लिए भी एक कदम है। इसमें भविष्य में कमर्शियल स्पेस स्टेशन बनाने की भी योजना है , जिसमें मानव को अंतरिक्ष की यात्रा कराई जा सके।

शुभांशु शुक्ला की बात करें तो उनका जन्म 1986 में उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था। अपनी पढ़ाई राष्ट्रीय रक्षा अकादमी एनडीए से की 2006 में वायु सेवा में शामिल हुए। फाइटर जेट उड़ने का अनुभव भी शुभांशु रखते हैं। उन्हें इसरो के गगनयान मिशन के लिए भी चुना गया है, जो भारत का पहला अंतरिक्ष मानव मिशन है। उन्होंने अंतरिक्ष यात्री के लिए बनने के लिए रूस और अमेरिका से ट्रेनिंग ली है।

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