
मध्य प्रदेश का पहला पांच सितारा मंदिर बना खजराना मंदिर !
खजराना गणेश मंदिर भारत के प्रसिद्ध गणेशमंदिरों में से एक है।
, इंदौर का खजराना गणेश मंदिर अब 5-स्टार रेटिंग वाला मंदिर बन गया है। यह रेटिंग दुबई की एक कंपनी द्वारा दिया गया है, और यह मध्यप्रदेश का पहला 5-स्टार गणेश मंदिर बन गया है ।
यह मंदिर अपनी स्थापना के समय से ही एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है, और अब 5-स्टार रेटिंग के साथ, यह और भी अधिक प्रसिद्ध हो गया है । खजराना गणेश मंदिर का निर्माण रानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था, और यह मंदिर इंदौर के सबसे पूजनीय मंदिरों में से एक है.
इस मंदिर में हर बुधवार और रविवार को बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं, और स्थानीय मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं ।
खजराना मंदिर का इतिहास:
यह मंदिर काफी पुराना है और यह धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में महत्वपूर्ण है।
इंदौर शहर और आसपास के अन्य शहरों के नागरिकों को खजराना मंदिर में बहुत विश्वास है। इस मंदिर की मान्यता परसों पुरानी है। यह मंदिर बहादुर मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा बनाया गया था। यह हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण स्थान है।
खजराना गणेश मंदिर का निर्माण रानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। यह मंदिर भारत के प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है।
ज्यादातर बुधवार एवं रविवार को विशाल संख्या मे लोग दर्शन करने के लिए इस मंदिर में आते हैं। एक स्थानीय मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में पूजा करने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस मंदिर का मुख्य त्योहार विनायक चतुर्थी है और इसे अगस्त और सितंबर के महीने में भव्य तरीके से आयोजित किया जाता है।
मंदिर को सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया है। मंदिर का प्रबंधन भट्ट परिवार द्वारा किया जाता है।
मूर्ति की पुनः स्थापना:
एक समय था जब औरंगजेब ने सभी मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया था।
ऐसा माना जाता है कि औरंगजेब से मूर्ति की रक्षा करने के लिए, मूर्ति को एक कुएं में छिपा दिया गया था ।और फिर उस मूर्ति को 1735 में, इसे कुएं से निकाल लिया गया था ।
और 1735 में एक मंदिर की स्थापना अहिल्याबाई होल्कर द्वारा की गई थी,। तब इस मूर्ति की स्थापना इस मंदिर में की गई थी।
मंदिर का विस्तार:
पिछले कुछ वर्षों में मंदिर का काफी विकास हुआ है। यह एक छोटी झोपड़ी से एक विशाल मंदिर और शहर में सबसे प्रतिष्ठित मंदिर के रूप में विकसित हुआ है। मंदिर में सोने, हीरे और अन्य बहुमूल्य रत्नों का नियमित दान किया जाता है। गर्भगृह की बाहरी दीवार और इसका द्वार चांदी से बना हुआ है और इस पर विभिन्न मनोदशाओं और उत्सवों का चित्रण किया गया है। गणेश जी की मूर्ति की आंखें हीरे से बनी हुई हैं जो इंदौर के एक व्यवसायी ने दान में दी थीं। गर्भगृह की ऊपरी दीवार चांदी से बनी है।
मंदिर की विशेषताएं:
- मुख्य त्योहार:
विनायक चतुर्थी, जो अगस्त-सितंबर में मनाई जाती है, मंदिर का मुख्य त्योहार है। - दान:
मंदिर में नियमित रूप से सोने, हीरे और अन्य कीमती रत्नों का दान किया जाता है। - गर्भगृह:
गर्भगृह की बाहरी दीवार और द्वार चांदी से बने हैं, जिन पर विभिन्न त्योहारों और मनोदशाओं को दर्शाया गया है। - मूर्ति:
भगवान गणेश की मूर्ति की आंखें हीरे से बनी हैं, जो इंदौर के एक व्यापारी द्वारा दान की गई थीं।
मान्यता:
पुरानी मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर में पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- सभी यहां मंदिर की तीन बार परिक्रमा करते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए एक धागा बांधते हैं ।
- और जब मन्नत पूरी हो जाती है, तो भक्त आकर पूजा अर्चना कर प्रसाद चढ़ाते हैं और धागे को खोलते हैं।