
29 जुलाई 2025: हर साल 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है । जिसका मकसद बाघों को बचाने और उनके जंगलों को सुरक्षित रखने के लिए लोगों को जागरूक करना है।
बाघों के संरक्षण की क्यों है जरूरत:
बाघों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए 1 अप्रैल 1973 को प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया था । इसके बाद 2010 में रूस के सेंट पीटर्स बाग में एक बाघ सम्मेलन आयोजित किया गया। जब दुनिया के 13 देशों ने मिलकर तय किया कि बाघों की घटती संख्या को रोका जाए और 2022 तक उनकी संख्या दोगुनी की जाए। इस बाघ सम्मेलन में 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने का निर्णय लिया गया । बाघ सिर्फ एक जानवर नहीं, बल्कि जंगल का राजा है और उसकी मौजूदगी से पूरा जंगल स्वस्थ रहता है। भारत ने इस दिशा में बड़ी कामयाबी पाई है और आज दुनिया के 75% बाघ हमारे यहां पाए जाते हैं।
ग्लोबल टाइगर फोरम के अनुसार लगभग 5574 भाग जंगल में बचें हैं।
बाघ के बारे में कुछ जानकारी:
बाघ की उम्र लगभग 26 वर्ष तक हो सकती है। साइबेरियन टाइगर विश्व का सबसे बड़ा बाघ होता है। उसका वजन 300 किलोग्राम तक होता है। और इसकी लंबाई करीब 12 फीट तक हो सकती है।
बाघ एक बहुत ही ताकतवर , फुर्तीला और अपार शक्ति के कारण इसे राष्ट्रीय जानवर के रूप में दर्जा दिया गया। अभी तक जानकारी के अनुसार आठ तरह के टाइगर देश भर में पाए जाते हैं। रॉयल बंगाल टाइगर भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया है।
यह जंगली जानवरों में सबसे बड़े आकार के होते हैं ।बाघ हर दिन करीब 18 से 20 घंटे सोता है।
बाघ जंगली सुअर और हिरण जैसे बड़े खुद वाले जानवरों का शिकार करते हैं। लेकिन यह बंदर ,भैंस ,भालू यहां तक की मगरमच्छों को भी अपना शिकार बना लेते हैं ।मवेशियों, बकरियां ,पालतू जानवरों को भी खा लेते हैं।
यह खास दिन बाघों की संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास की रक्षा करने के लिए जागरूकता बढ़ाने का एक अहम अवसर है । मध्य प्रदेश में बाघ की दहाड़ किस तरह से बरकरार है । 2022 के मुताबिक भारत में कुल 3622 भाग की पुष्टि हुई है।अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मध्य प्रदेश में सबसे अधिक भाग है राष्ट्रीय उद्यानों के प्रबंधन के शीर्ष पर मध्य प्रदेश है।
मध्य प्रदेश है बाघों का सर्वश्रेष्ठ आवास:
मध्य प्रदेश में सबसे अधिक 785 भाग है। बाघों का सर्वश्रेष्ठ आवास क्षेत्र कान्हा टाइगर रिजर्व राष्ट्रीय उद्यानों के प्रबंधन में टॉप पर मध्य प्रदेश है। मध्य प्रदेश में कुल 9 टाइगर रिजर्व हैं।
राजस्थान में टाइगर रिजर्व में कार्यक्रम होंगे आयोजित:
राजस्थान के अंदर पांच टाइगर रिजर्व है ।हर टाइगर रिजर्व के अंदर अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे ।सबसे खास बात यह है कि हर टाइगर रिजर्व के प्रत्येक बफर जोन में दो 2000 पौधे रोपे जाएंगे और सभी को प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र घोषित किया जाएगा । सभी टाइगर रिजर्व में पर्यटक प्लास्टिक कैरी बैग छोड़ देते हैं। जिससे बाघों की जान को खतरा होता है।
रणथंभोर में बाघिन टी- 16 मछली को भव्य श्रद्धांजलि दी जाएगी।
जोगी महल गेट के पास मछली की विशाल प्रतिमा लगाई जाएगी।
सरकार और कई संस्थाएं मिलकर इन्हें बचाने में लगातार काम कर रही हैं। फिर भी जंगल कटाई, शिकार और इंसानों से टकराव जैसी दिक्कतें अभी भी हैं। इस खास दिन पर कई कार्यक्रम और सोशल मीडिया कैंपेन चलाए जाते हैं। ताकि लोग समझें कि बाघों को बचाना क्यों ज़रूरी है, क्योंकि अगर बाघ सुरक्षित हैं, तो जंगल भी सुरक्षित हैं — और इसका फायदा हम सभी को मिलता है।