
सुर्खियों में आया मामला
राजस्थान के तेज तर्रार आईपीएस हेमंत कलाल पर पद का दुरुपयोग और अवैध हिरासत का आरोप लगा है। यह मामला राजस्थान हाईकोर्ट में पहुंचा है। वही कलाल ने अपनी बहन के पति को जयपुर पुलिस थाने में अवैध रूप से हिरासत में रखा है। हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई 15 अप्रैल को होगी।
जोधपुर कमिश्नरेट में तैनात युवा आईपीएस हेमंत कलाल से जुड़ा एक विवाद सामने आया है। कलाल पर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए एक व्यक्ति को अवैध रूप से हिरासत में रखने का आरोप लगा है। वही यह मामला करीब एक माह पहले का है, लेकिन यह प्रकरण राजस्थान हाईकोर्ट तक पहुंच गया। ऐसे में यह फिर से सुर्खियों में आ गया है। आईपीएस हेमंत कलाल वही अधिकारी हैं, जिन्होंने पिछले दिनों जोधपुर सेंट्रल जेल की पोली थी। अब वे खुद कानूनी शिकंजे में फंसते हुए दिखाई दे रहे हैं।
आईपीएस हेमंत कलाल राजस्थान के डूंगरपुर जिले के रहने वाले हैं। उदयपुर में ही उनकी बहन का एक केस चल रहा है। बहन ने अपने पति और ससुराल वालों पर दहेज प्रताड़ना का मुकदमा दर्ज करा रखा है। बहन के पति देवेंद्र मूलरूप से डूंगरपुर के सीमलवाड़ा के रहने वाले हैं। पिछले कुछ सालो से वे बैंगलोर में एक कोचिंग इंस्टीट्यूट चलाते हैं। कलाल की बहन का आरोप है कि उनके पति देवेंद्र कलाल ने उन्हें मानसिक और शारीरिक पीड़ा पहुंचाई। पहली पत्नी के होते हुए भी सिरोही निवासी एक महिला के साथ दूसरी शादी करने का भी आरोप लगाया है। इस मामले में उदयपुर पुलिस कोर्ट में चालान भी पेश कर चुकी है। साथ ही आईपीएस हेमंत कलाल पर आरोप लगा है कि वे अपने पद का दुरुपयोग करते हुए देवेंद्र को परेशान कर रहे हैं।
एडवोकेट एके जैन ने मुताबिक कि आईपीएस हेमंत कलाल ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए देवेंद्र कलाल के मोबाइल को ट्रेकिंग पर ले रखा है। 25 फरवरी को देवेंद्र कलाल किसी काम से जयपुर आए थे। तब उनकी लोकेशन पता करते हुए श्याम नगर पुलिस थाने का एक सिपाही एक प्राइवेट व्यक्ति के साथ आया। देवेंद्र को जबरन पुलिस थाने ले गए। वहां पर करीब 6 घंटे तक अवैध हिरासत में रखा। इस मामले में न्याय पाने के लिए देवेंद्र ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामले में कोर्ट ने श्याम नगर थाना प्रभारी, आईपीएस हेमंत कलाल और अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। वही इस मामले की सुनवाई अब 15 अप्रैल को होनी है।
पिछले दिनों आईपीएस हेमंत कलाल जोधपुर सेंट्रल जेल की पोल खोलकर मीडिया की सुर्खियों में आए थे। जेलों में आए दिन मोबाइल और अन्य प्रतिबंधित सामान मिलते रहते हैं। ऐसे में 30 जनवरी 2025 को वे अपनी टीम के साथ जोधपुर सेंट्रल जेल का औचक निरीक्षण करने पहुंचे थे। साथ ही जेल के मुख्य द्वार पर ड्यूटी कर रहे इंस्पेक्टर ने आईपीएस और उनकी टीम को जेल में प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी। पुलिस टीम करीब 20 मिनट तक जेल के बाहर खड़ी रही और बाद में बिना निरीक्षण किए ही वापस लौट गई। जेल प्रशासन द्वारा औचक निरीक्षण नहीं करने दिए जाने का मामला ऊपर तक पहुंचा। बाद में सरकार ने इस घटना को गंभीर माना और जेल इंस्पेक्टर को हटा दिया था।