
21 जुलाई 2025: सावन का दूसरा सोमवार……
21 जुलाई को सावन का दूसरा सोमवार पड़ रहा है । इसके साथ ही कामिका एकादशी भी मनाई जा रही है । इस दिन भगवान शिव और पार्वती की पूजा की जाती है। इसके साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की भक्ति भाव से की जाती है । साथ ही एकादशी का व्रत भी रखा जाता है।
कामिका एकादशी पर कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं :
श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहते हैं।
इसके अलावा इस दिन वृद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है । सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहने से जलाभिषेक करने के लिए पूरा दिन शुभ है।
सावन मास में कामिका एकादशी 21 जुलाई को पड़ रही है। इस वृत का पारण अगले दिन द्वादशी तिथि पर किया जाता है। इस दिन विशेष चीजों के दान का विशेष महत्व होता है।
कामिका एकादशी 20 जुलाई को 12:12 पर शुरू हो जाएगी और इस तिथि का समापन 21 जुलाई को 9:38 पर होगा उदया तिथि के अनुसार कामिका एकादशी का व्रत 21 जुलाई को किया जाएगा।
व्रत और पारण की विधि:
सुबह स्नान करके स्वच्छ साफ कपड़े पहनें इसके बाद सुबह तांबे के लोटे से सूर्य देव को लाल चंदन मिलाकर अर्घ्य दें।
इस दिन महादेव के साथ-साथ श्री हरि विष्णु का भी जलाभिषेक करना अत्यंत शुभ और लाभकारी माना जाता है। आज के दिन सावन का दूसरा सोमवार है। इस दिन कामिका एकादशी का भी संयोग इस दिन को अति शुभ बनाता है । सावन के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को कामिका एकादशी कहते हैं।
इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की पूजा का विशेष महत्व होता है। यह अद्भुत संयोग बहुत कम बनता है ,जब भक्त भगवान शिव और विष्णु की कृपा एक ही दिन में प्राप्त कर सकते हैं।
इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मनोभाव से पूजा की जाती है । एक चौकी में पीले रंग का वस्त्र बिछाकर श्री हरि और माता लक्ष्मी को विराजित करें। भगवान विष्णु को पुष्प फल दूध पंचामृत अर्पित करें। पीले फूल फल और चंदन से
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन करें। देसी घी का दिया जलाकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और मंत्रों का जाप करें।
पूजा करते हुए एकादशी के व्रत की कथा पढ़ी जाती है ,आरती की जाती है और भोग लगाने के बाद भगवान विष्णु से मनोकामना पूर्ति हेतु कामना की जाती है।
कैसे करें भगवान विष्णु और शिव की पूजा एक साथ:
1..भगवान शिव की पूजा जलाभिषेक से करें ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें
2..भगवान विष्णु की पूजा उन्हें पीले फूल पीले फल अर्पित करें पीले चंदन का तिलक लगाए और ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करें
3..इसके अलावा शिव चालीसा रुद्राष्टकम और विष्णु चालीसा या विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
और एकादशी का व्रत करें।
4.. इसके पश्चात भगवान विष्णु और भगवान शिव की आरती कर भोग लगाएं और प्रसाद सभी को वितरित करें।